मध्यांक का सूत्र |
मध्यांक के अर्थ (median in hindi)
किसी समंक श्रेणी को
आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर उस श्रेणी के मध्य में जो मूल्य आता
है वह मध्यांक कहलाता है। दूसरे शब्दों में, समंक श्रेणी को आरोही अथवा अवरोही क्रम में व्यवस्थित करने
पर मध्यांक वह अंक है जिसके ऊपर 50% अंक तथा नीचे की ओर भी 50% अंक होते हैं अर्थात मध्यांक एक व्यवस्थित अंक वितरण का वह
अंक है जो संपूर्ण समंक श्रेणी को ठीक दो समान भागों में विभाजित कर देता है। मध्यांक की गणना
मध्यांक की परिभाषा(median in hindi)
गिलफर्ड के अनुसार :-
मध्यांक एक ऐसा बिंदु होता है जिसके मापन के किसी एक स्केल पर टिक आधे अंक ऊपर की
तरफ तथा ठीक आधे अंक नीचे की तरफ होते हैं
कौनर के अनुसार :-
मध्यांक सामान्य श्रेणी का बाजार मूल्य है जो समूह को दो बराबर भागों में इस
प्रकार बैठता है की एक भाग में सारे मूल्य मध्यांक से अधिक और दूसरे भाग में सारे
मूल्य उससे कम हो।
मध्यांक की गणना(median in hindi)
मध्यांक की गणना
मुख्यतः तीन श्रेणी से किया जाता हैं
1. व्यक्तिगत श्रेणी (Individual series)
2. खंडित श्रेणी (Discrete series)
3. सतत श्रेणी (Continuous Series)
1. व्यक्तिगत श्रेणी (Individual series)
व्यक्तिगत श्रेणी में
मध्यांक की गणना नीम्न प्रकार से की जाती हैं
सर्वप्रथम दिए के
मूल्यों को आरोही यानी कि बढ़ते क्रम में अथवा अवरोही यानी के घटते क्रम में
व्यवस्थित किया जाता है।
क्रम से व्यवस्थित
करने के पश्चात मध्यांक की गणना निम्न सूत्र से की जाती हैं-
मध्यांक का सूत्र
M = (N + 1) /2
जहां M
= मध्यांक मूल्य
N = पदों की संख्या
इस सूत्र की सहायता से
मध्यांक पद की संख्या ज्ञात की जाती है। इस पद संख्या का मद मूल्य ही समंक श्रेणी
का मध्यांक कहलाता है।
प्रश्न : समंक श्रेणी 5
5 6 7 8 9 10 1 11 12 एवं 14 का मध्यांक ज्ञात कीजिए?
उत्तर : दिए गए समंक
श्रेणी में पदों की संख्या 11 विषम है मध्यांक पद की गणना हेतु सूत्र
मध्यांक का सूत्र
– M = (N + 1) /2 वां पद
M = (11 + 1) /2 वां पद
M = 12/2 वां पद
M = 6 वां
पद
दिए गए समय श्रेणी में
मध्यांक पद 6 वां
पद का मूल्य 9 है
अतः समंक श्रेणी का मध्यांक 9 है।
2. खंडित श्रेणी (Discrete series) (median in hindi)
खंडित आवृत्ति श्रेणी
में मध्यांक ज्ञात करने के लिए नीम्न क्रियाएं करनी पड़ती हैं-
सर्वप्रथम खंडित समंक
श्रेणी की आवृत्ति को संचयी आवृत्ति में परिवर्तित किया जाता है।
तत्पश्चात नियम सूत्र
से मध्यांक पद क्रमांक की गणना की जाती है- median formula in
hindi
मध्यांक का सूत्र
– M = (N + 1) /2 वां पद
जहां M
= मध्यांक
N = पदों की संख्या
मध्यांक पद क्रमांक का मूल्य संचयी आवृत्ति की
सहायता से ज्ञात कर लिया जाता है, जी संचयी आवृत्ति में यह क्रम संख्या प्रथम सम्मिलित होती
है उसका मूल्य ही मध्यांक होता है।
प्र. समंक श्रेणी का
मध्यांक ज्ञात कीजिए:
प्राप्तांक 8 10
12 14 16
18 20
आवृत्ति 3 7
12 28 10
9 6
उत्तर :
प्राप्तांक |
आवृत्ति |
संचयी आवृत्ति |
8 10 12 14 16 18 20 |
3 7 12 28 10 9 6 |
3 10 22 50 60 69 75 |
|
N = 75 |
|
M = (N + 1)/2 वां पद
= (75 + 1)/2 वां पद
= 38 वां पद
उपयुक्त सारणी में संचाई वृत्तियों से ज्ञात
होता है कि मध्यांक पद क्रमांक 38 संचई आवृत्ति 50 में प्रथम बार आता है अतः संचई आवृत्ति 50 का पद मूल्य 14 ही मध्यांक है।
3. सतत श्रेणी (Continuous Series)
सतत श्रेणी वाले संमकों में गणना निम्न प्रकार की
जाती है –
1. सर्वप्रथम संचयी आवृत्तियाँ ज्ञात किया जाता
है।
2. निंम सूत्र की सहायता से मध्यांक पद ज्ञात किया
जाता है:
M = (N)/2 वां पद
N = पदों
की संख्या
3. मध्यांक पद क्रमांक
जिस संचयी आवृति में सबसे पहले आता है उससे संबन्धित वर्ग को मध्यांक वर्गान्तर कहा
जाता है।
4. मध्यांक वर्गान्तर ज्ञात
करने के पश्चात मध्यांक के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है – median formula in hindi
मध्यांक का सूत्र –
M = मध्यांक
L = मध्यांक वर्गान्तर
की शुध्द निम्नतम सीमा
F = मध्यांक वर्गान्तर
से ठीक पूर्व वाले वर्ग की संचयी आवृत्ति
f = मध्यांक वर्गान्तर की आवृत्ति
प्र. नीचे दिये गये आवृति
वितरण में मध्यांक की गणना कीजिए।
वर्ग अंतराल |
आवृत्ति |
50-54 55-59 60-64 65-69 70-74 75-79 80-84 |
4 4 7 10 8 5 2 |
|
N = 40 |
उत्तर :
वर्ग अंतराल |
आवृत्ति f |
संचयी आवृत्ति C.F. |
50-54 55-59 60-64 65-69 70-74 75-79 80-84 |
4 4 7 10 8 5 2 |
4 4 + 4 = 8 8 +7 = 15 15 + 10 = 25 25 + 8 = 33 33 + 5 = 38 38 + 2 = 40 |
मध्यांक पद क्रमांक M = ( N + 1)/2
वां पद
या M = (40 + 1)/2 वां पद
या M = 21.5 वां पद
उपर्युक्त में क्रमांक
21.5 वां पद सबसे पहले 25 संचयी आवृति वर्ग में आता है। अतः श्रेणी का मध्यांक वर्गान्तर
65-69 वर्ग है। median formula in hindi
मध्यांक का सूत्र
– `L+frac{N/2-F}{f}times i`
का प्रयोग मध्यांक मूल्य
की गणना के लिए किया जायेगा। उपयुक्त उदाहरण में
N
का मान 40 है F (मध्यांक वर्गान्तर से ठीक पूर्व वाले वर्ग की संचयी) आवृत्ति का मान 15
है f (मध्यांक वर्गान्तर की आवृत्ति )10 है तथा मध्यांक वर्ग
के निम्नतम शुद्ध सीमा 64.5 है।
M = `64.5+frac{40/2-15}{10}times 5`
M = 64.5 + 2.5 = 67
मध्यांक की विशेषताएं(median in hindi)
- यह माप अंक वितरण के
ठीक मध्य वाले मान, माप या संख्या को बतलाता है। - इसकी गणना में अंक
वितरण में सम्मिलित पदों की संख्या का ही प्रभाव पड़ता है न कि पदों की मूल्य अथवा
मानों का।
मध्यांक के लाभ(median in hindi)
- छोटे अंक समूह में
इसकी गणना में अन्य केंद्रीय प्रवृत्तियों की मापों की अपेक्षा सबसे कम समय लगता
है। - इसका प्रयोग उस स्थिति
में भी उपयुक्त रहता है जबकि अंक वितरण अपूर्ण हो अथवा जब अंत के या आरंभ के कुछ
वर्ग अंतर या अंक छूट गयें हों। - मध्यांक का प्रयोग ऐसी
स्थिति में विशेषतः उपयोगी रहता है जबकि अंक वितरण सामान्य न रहकर विषम हो। - इसका उपयोग गुणात्मक
तथ्यों के मापन में भी विशेषकर उपयोगी रहता है।
मध्यांक के दोष (median in hindi)
- इसकी गणना में एक
वितरण के आरंभ के अंको तथा अंत के अंकों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। - इसका उपयोग केवल विशेष
परिस्थितियों में ही हो सकता है जैसे जबकि वितरण अपूर्ण हो अथवा विषम। - इसका अर्थ सामान्य के
लिए समझना प्राय: कठिन रहता है।