अधिगम असमर्थता की विशेषताएं


अधिगम असमर्थ बच्चों की समस्याएं बहुत व्यापक होती है तथा विभिन्न प्रकार की होती हैं। उनको लिखने पढ़ने बोलने व समझने में कठिनाइयों का अनुभव होता है। उनकी मूर्तियां समस्याएं ध्यान व एकाग्रता होती है। वे किसी भी वस्तु पर एकाग्र नहीं हो पाते।

अधिगम असमर्थ बालको द्वारा सामना की जाने वाली कुछ समस्यात्मक विशेषताएं इस प्रकार है-

अधिगम असमर्थता की विशेषताएं

१. अवधान का अभाव

२. स्मृति समस्या

३. वाचन संबंधी समस्या

४. भाषा – a) लिखित   b) मौखिक

#संज्ञानात्मक विशेषताएं:-अधिगम बाधित बालक मानसिक रूप से कमजोर होते हैं। उनमें ग्रहण करने तथा समझने की शक्ति कम होती है। मैं अपनी बात को पूरी तरह से नहीं कह पाते हैं। मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण शब्दों को जोड़ नहीं पाते तथा बीच-बीच में अक्षरों को छोड़ देते हैं या अन्य अक्षरों से जोड़ देते हैं।

# शैक्षिक विशेषताएं :- ऐसे बालक के लिए विशेष रूप से बनी शैक्षिक कक्षाओं में बैठा कर शिक्षा देनी चाहिए तथा बच्चों को छोटे-छोटे समूह में बैठकर विशेष प्रशिक्षित शिक्षक का प्रबंध करना चाहिए ताकि वे सामान्य बालक को समझा सके।

 

# शारीरिक विशेषताएं :- अधिगम बाधित बालकों के शारीरिक हम जैसे हाथ पैर सुचारू रूप से कार्य नहीं कर पाते हैं। जिस वजह से उन्हें शिक्षा ग्रहण करने में कठिनाइयां होती है।

 

# व्यवहारात्मक विशेषताएं :- ये बालक व्यवहारिक रूप से बहुत आगे कार्य होते हैं। ऐसे बालकों को जल्दी गुस्सा तथा जल्दी नर्वस हो जाते हैं तथा उनको काबू करना मुश्किल होता है। ये आत्मा विश्वासी कम होते हैं। ये माता-पिता पर ज्यादा निर्भर होते हैं।

 

# संप्रेषण विशेषताएं :- इस प्रकार के बालकों में संप्रेषण की समस्याएं बाधित करते हैं। वह बोले तथा पढ़ने में दिक्कत करते हैं तथा अपनी बातों को मुख के अलावा संकेत हावभाव के द्वारा भी दूसरों तक पहुंचाने में असमर्थ होते हैं।

 

अधिगम अक्षमता को दूर करने में शिक्षक की भूमिका (adhigam akshamta mein shikshak ki bhumika)

१. विशिष्ट या अधिगम बाधिता से ग्रसित बालकों को दिए जाने वाले निर्देशों का पालन आवश्यक हैं।

२. भाषा का प्रयोग करें तथा संकेत के शब्दों को रंगीन बनाएं। ३. जो भी पाठ्यक्रम बच्चों को जब हम बताए तो विशेषकर हमें यह ध्यान देना आवश्यक है कि लिखते समय मुख्य शब्दों को रेखांकित करते हुए उनको बहुत सरल अर्थ एवं शब्दों में समझाना है।

४. प्रत्येक पद अथवा अनुदेशन के लिए अलग-अलग रंगों की चॉक का प्रयोग करना चाहिए।

५. बालकों को अनुदेशक देते समय ध्वनि का स्तर ऊंचा करें।

६. बालकों के सरल अधिगम हेतु चित्रों तथा शिक्षण विधियों का अधिक प्रयोग करें।

७. बच्चों में शब्दों के खेल को एक महत्वपूर्ण अंग बनाएं ताकि विशिष्ट तथा अधिगम बाधिता से प्रभावित बच्चे शब्दों का ज्ञान कुछ इस तरीके से प्राप्त करें।

८. बालकों के शिक्षण विषय में मौखिक पद्धति यानी कि कविताओं के माध्यम से अर्थों को सरल बनाने की कोशिश करें।

९. बालकों को तरह-तरह के चित्रण एवं रंगीन कागज को का प्रयोग करके उनके चित्र ज्ञान को बढ़ावा दे और उस चीज से जुड़े हुए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करें और उन्हें उनका अर्थ समझावे ।

१०. श्यामपट्ट पर विभिन्न रंगों के चॉक से अलग-अलग प्रश्न लिखने चाहिए ताकि छात्रों को उनका स्थान ढूंढने में सहायता मिले।

११. अधिगम बाधिता से पीड़ित बच्चों को सामान्य वर्ग के बच्चों का अनुकरण करने की ओर प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि वैसे बच्चे इस तरह की क्रिया कलापों या निर्देशों को बखूबी पालन कर सकते हैं।

१२. पाठ के अंत में संपूर्ण पाठ में क्या क्या बताया गया है उसके बारे में सारांश दे तथा प्रश्न पूछे।

अतः हमें इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए की अधिगम बाधिता से पीड़ित बालक के अभिभावक माता पिता को बच्चे पर विश्वास होना चाहिए तथा प्रोत्साहन देते रहना चाहिए और उनके अनुकूल वातावरण प्रदान करना चाहिए।

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