इतिहास शिक्षण के उद्देश्य।। इतिहास शिक्षण के सामान्य उद्देश्य

इतिहास शिक्षण के उद्देश्य।। इतिहास शिक्षण के सामान्य उद्देश्य

किसी भी कार्य को करने के लिए उद्देश्य का ज्ञान होना आवश्यक है अतः शिक्षण कार्य उद्देश्य के अभाव में सुचारू रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है इस संबंध में बेटी भाटिया ने लिखा है

उद्देश्यों की ज्ञान के अभाव में शिक्षण उस नाविक के समान हैं जो अपने लक्ष्य मंजिल को नहीं जानता है और बालक उस पतवार विहीन नौका के समान हैं जो लहरों के थपेड़े खाकर किसी टप्पर जा सकेगी।

इतिहास शिक्षण के उद्देश्य।। इतिहास शिक्षण के सामान्य उद्देश्य

शिक्षा समाज की आधारशिला है समाज में जिस प्रकार की शिक्षा होगी उसी प्रकार के समाज का निर्माण होगा। भारत में इतिहास शिक्षण के उद्देश्य समय रहते बदलते रहते हैं प्राचीन काल में भारत में इतिहास धर्म के एक शाखा के रूप में था। तब इतिहास शिक्षण का उद्देश्य देना या इस समय की संपूर्ण शिक्षा धर्म थी इसलिए इतिहास शिक्षण के उद्देश्य अभी धार्मिक थे।

अतः इस बात का सदैव प्रयास किया जाए कि समाज के उद्देश्य, समाज की मांगे, आवश्यकताओं, रुचियां एवं आकांक्षाओं के अनुरूप हो। परंतु आधुनिक शिक्षा में बालक को अत्याधिक महत्व प्रदान किया जाने लगा है। इस कारण शैक्षिक लक्ष्यों के निर्माण में उनकी आवश्यकताओं सूचियों क्षमताओं आदि का भी ध्यान रखा जाने लगा है। समाज या निर्धारित करता है कि क्या प्राप्त किया जाना चाहिए। शिक्षक या निर्धारित या निर्धारण करता है कि क्या प्राप्त करना है? इससे निकला हुआ परिणाम की शैक्षिक उद्देश्यों के निर्धारित समाज शिक्षक, छात्र या प्रचलित जीवन दर्शन है।

इतिहास शिक्षण के उद्देश्य

इतिहास शिक्षण को अध्ययन करने से पूर्व हमें या स्पष्ट हो जाना चाहिए कि लक्ष्य और सामान्य उद्देश्य में क्या अंतर है क्योंकि इन दोनों में अधिकार छात्र भ्रमित होते हैं इन दोनों में अंतर स्पष्ट करने के लिए हैं इतिहास शिक्षण के उद्देश्यों को हम दो भागों में बांट सकते हैं-

१. सामान्य उद्देश्य

२. विशिष्ट उद्देश्य

१. इतिहास शिक्षण के सामान्य उद्देश्य :-

सामान्य उद्देश्य को हम संक्षेप में लक्ष्य कहते हैं लक्ष्य आदर्श होते हैं जिसका क्षेत्र असीमित होता है। तथा जिसको पूर्ण रूप से प्राप्त करना प्राय: असंभव होता है। इसकी प्राप्ति के लिए संपूर्ण विद्यालय, समाज तथा राष्ट्रीय उत्तरदायी होता है।

कहानी कथन विधि या कथात्मक विधि

२.इतिहास शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्य:-

विशिष्ट उद्देश्य विभिन्न विषयों और उन विषयों के लिए निश्चित किए जाते हैं इसका प्रयोग केवल शिक्षण कार्य के लिए ही नहीं छात्रों के लिए उपलब्धियों की जांच करने के लिए भी किया जाता है। इसका क्षेत्र सीमित होता है तथा हम इसको पूर्ण रूप से निश्चित ही प्राप्त कर सकते हैं।

इतिहास शिक्षण की विधियां

इतिहास शिक्षण के सामान्य उद्देश्य

इतिहास शिक्षण केवल अतीत की घटनाओं का अध्ययन भर नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति, राजनीति और मानवीय प्रवृत्तियों को समझने का एक सशक्त माध्यम भी है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों में जागरूकता, विश्लेषण क्षमता और नैतिक मूल्यों का विकास होता है। नीचे इतिहास शिक्षण के कुछ प्रमुख उद्देश्य दिए गए हैं:

१. इतिहास के प्रति रुचि उत्पन्न या जागृत करना।

२. वर्तमान को स्पष्ट करना।

३. मानसिक शक्तियों का विकास करना।

४. नैतिक मूल्यों को ग्रहण करना।

५. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना।

६. सामाजिक गुणों का विकास करना।

७. राष्ट्रीय भावना का विकास करना।

८. अंतरराष्ट्रीय भावना का विकास करना।

९. संस्कृति की जानकारी रखना।

१०. सामाजिकरण करना।

११. दीक् काल तथा समाज का ज्ञान (प्राचीन)

१. इतिहास के प्रति रुचि उत्पन्न या जागृत करना

इतिहास का अध्ययन तभी प्रभावी होता है जब विद्यार्थियों में इसके प्रति स्वाभाविक रुचि विकसित की जाए। इसे रोचक बनाने के लिए शिक्षकों को कहानी, नाट्य रूपांतरण और दृश्य-श्रव्य साधनों का उपयोग करना चाहिए।

२. वर्तमान को स्पष्ट करना

इतिहास अतीत का अध्ययन होने के बावजूद वर्तमान को समझने में सहायक होता है। यह स्पष्ट करता है कि आज की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्थाएँ किस प्रकार विकसित हुई हैं।

३. मानसिक शक्तियों का विकास करना

इतिहास का अध्ययन करने से स्मरण शक्ति, तर्कशक्ति, विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।

४. नैतिक मूल्यों को ग्रहण करना

इतिहास से हमें नैतिकता, कर्तव्यपरायणता, सत्यनिष्ठा और अन्य सामाजिक मूल्यों की प्रेरणा मिलती है। यह अतीत की गलतियों से सीखने की समझ विकसित करता है।

५. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना

इतिहास को केवल तथ्यों का संग्रह न मानकर उसके पीछे की तर्कशीलता और प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकालने की प्रवृत्ति विकसित करना आवश्यक है।

६. सामाजिक गुणों का विकास करना

इतिहास समाज में सहिष्णुता, एकता, समानता, और सहयोग जैसे गुणों का विकास करने में सहायक होता है।

७. राष्ट्रीय भावना का विकास करना

इतिहास शिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता, स्वाभिमान और सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान की भावना विकसित होती है।

७. अंतरराष्ट्रीय भावना का विकास करना

इतिहास केवल राष्ट्र की सीमाओं तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह विभिन्न देशों, सभ्यताओं और संस्कृतियों के बीच संबंधों को समझने में भी मदद करता है। इससे वैश्विक दृष्टिकोण का विकास होता है।

९. संस्कृति की जानकारी रखना

इतिहास हमें विभिन्न सभ्यताओं, परंपराओं, भाषाओं, और कला-संस्कृति की समृद्धि के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिससे सांस्कृतिक विविधता को समझने और स्वीकार करने की क्षमता बढ़ती है।

१०. सामाजिकरण करना

इतिहास शिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों को समाज में सामंजस्य बिठाने, एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करने और समाज के प्रति उत्तरदायित्व निभाने की शिक्षा मिलती है।

११. दीर्घकालिक और समाज का ज्ञान (प्राचीन)

इतिहास शिक्षण हमें प्राचीन सभ्यताओं, समाजों और उनकी उपलब्धियों के बारे में बताता है, जिससे हम अपनी जड़ों और ऐतिहासिक विकासक्रम को समझ सकते हैं।

निष्कर्ष

इतिहास शिक्षण का उद्देश्य केवल अतीत को जानना नहीं, बल्कि उसे समझकर वर्तमान और भविष्य को बेहतर बनाना भी है। यह विद्यार्थियों में तर्कशीलता, नैतिकता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामाजिक चेतना का विकास करता है, जिससे वे एक बेहतर नागरिक बन सकें।

माध्यमिक स्तर पर इतिहास शिक्षण के उद्देश्य 

माध्यमिक स्तर पर इतिहास शिक्षण के उद्देश्य को भी हम दो भागों में विभाजित करते हैं-

i.निम्न माध्यमिक स्तर पर इतिहास शिक्षण के उद्देश्य

ii.उच्च माध्यमिक स्तर पर इतिहास शिक्षण के उद्देश्य

i.निम्न माध्यमिक स्तर पर इतिहास शिक्षण के उद्देश्य

निम्न माध्यमिक स्तर पर इतिहास शिक्षण का मुख्य उद्देश्य केवल ऐतिहासिक तथ्यों को रटाना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में गहरी समझ, विश्लेषणात्मक सोच और नैतिक मूल्यों का विकास करना है। निम्नलिखित बिंदुओं में इन उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया है:-

१. इतिहास विषय में रुचि उत्पन्न करना।

२. छात्रों में आलोचनात्मक योग्यता का विकास करना।

३. मानसिक शक्तियों का विकास करना।

४. समय ज्ञान का विकास करना।

५. देश प्रेम व विश्व बंधुत्व की भावना का विकास करना।

६. अच्छे आचरण का विकास करना।

७. वर्तमान व भविष्य के निर्माण की योग्यता का विकास करना।

  1. इतिहास विषय में रुचि उत्पन्न करना – विद्यार्थियों में इतिहास के प्रति जिज्ञासा और रुचि विकसित करना, जिससे वे अतीत को जानने और समझने के लिए प्रेरित हों।
  2. छात्रों में आलोचनात्मक योग्यता का विकास करना – ऐतिहासिक घटनाओं, कारणों और प्रभावों का विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करना ताकि वे विभिन्न दृष्टिकोणों से सोच सकें।
  3. मानसिक शक्तियों का विकास करना – तर्कशक्ति, स्मरणशक्ति और कल्पनाशक्ति को विकसित करना ताकि विद्यार्थी इतिहास को गहराई से समझ सकें और उससे सीख ले सकें।
  4. समय ज्ञान का विकास करना – विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और कालक्रम की समझ विकसित करना ताकि विद्यार्थी अतीत, वर्तमान और भविष्य के संबंध को बेहतर तरीके से समझ सकें।
  5. देश प्रेम व विश्व बंधुत्व की भावना का विकास करना – राष्ट्रीयता और अंतरराष्ट्रीय एकता की भावना को सशक्त बनाना ताकि विद्यार्थी अपने देश के गौरव को समझें और विश्व शांति के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं।
  6. अच्छे आचरण का विकास करना – इतिहास में महान व्यक्तियों और घटनाओं से प्रेरणा लेकर नैतिकता, ईमानदारी, सहनशीलता और करुणा जैसे गुणों का विकास करना।
  7. वर्तमान व भविष्य के निर्माण की योग्यता का विकास करना – इतिहास से सीख लेकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता विकसित करना, जिससे विद्यार्थी अपने जीवन और समाज को बेहतर बना सकें।

इन उद्देश्यों के माध्यम से इतिहास शिक्षण केवल एक विषय तक सीमित न रहकर, विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और सामाजिक चेतना के विकास का महत्वपूर्ण माध्यम बन जाता है।

ii. उच्च माध्यमिक स्तर पर इतिहास शिक्षण के उद्देश्य

उच्च माध्यमिक स्तर पर इतिहास शिक्षण केवल तथ्यों को जानने तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह विद्यार्थियों में विश्लेषणात्मक सोच, तार्किक क्षमता, ऐतिहासिक दृष्टिकोण और व्यापक समझ विकसित करने में सहायक होता है। निम्नलिखित बिंदुओं में इसके प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया है:-

१. अतीत से संबंधित घटनाओं तथ्यों विचारों समस्याओं व्यक्तियों आदि का ज्ञान करना।

२. छात्रों को इतिहास से संबंधित तथ्यों घटनाओं विचारों आदि का इस प्रकार बोध करना कि वे इनमें अंतर कर सके।

या

कारण परिणाम में संबंध स्थापित कर सके।

३. इतिहास विषय में वास्तविक रूचि जागृत करना।

४. आलोचनात्मक चिंतन का विकास करना इसे भी इतिहास से संबंधित समस्याओं को पहचानने में विश्लेषण करने में ज्ञान एकत्रित करने तथा संबंध स्थापित करने की योग्यता का विकास कर सकेंगे।

५. छात्रों में समय रेखा, घटना रेखा, चार्ट, मॉडल इत्यादि बनाने की योग्यता का विकास करना।

६. छात्रों के दृष्टिकोण में उदारता या व्यापकता का विकास करना।

७. अतीत के आधार पर वर्तमान की समस्याएं सुलझा ने की योग्यता का विकास करना।

८. समाजिक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय घटना कर्मों के संबंध में स्वस्थ दृष्टिकोण का विकास करना।

९. विश्व के विभिन्न समस्याओं व संस्कृति की विशेषताओं का उनके ऐतिहासिक परिपेक्ष में अध्ययन करना।

१०. राष्ट्रीय की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक समस्याओं से अवगत कराना।

  1. अतीत की घटनाओं, तथ्यों, विचारों और व्यक्तित्वों का ज्ञान कराना – इतिहास के महत्वपूर्ण प्रसंगों, महान व्यक्तियों और उनके योगदान को समझने की योग्यता विकसित करना।
  2. तथ्यों और घटनाओं का विश्लेषण करना – विद्यार्थियों को इतिहास से जुड़े तथ्यों, घटनाओं और विचारों को समझने और उनमें तर्कसंगत भेद करने की क्षमता प्रदान करना, जिससे वे कारण-परिणाम के संबंध को स्पष्ट रूप से समझ सकें।
  3. इतिहास में वास्तविक रुचि जागृत करना – विद्यार्थियों को इतिहास पढ़ने के प्रति प्रेरित करना ताकि वे इसे उबाऊ विषय के रूप में न देखकर रोचक और ज्ञानवर्धक मानें।
  4. आलोचनात्मक चिंतन का विकास करना – ऐतिहासिक तथ्यों और घटनाओं का विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करना, जिससे विद्यार्थी ऐतिहासिक समस्याओं को पहचान सकें, उनका मूल्यांकन कर सकें और निष्कर्ष निकाल सकें।
  5. समय रेखा, घटना रेखा, चार्ट और मॉडल बनाने की क्षमता विकसित करना – इतिहास को समझने के लिए विभिन्न चित्रात्मक और चार्ट विधियों का उपयोग करना, जिससे विद्यार्थी ऐतिहासिक घटनाओं के कालक्रम को बेहतर तरीके से समझ सकें।
  6. व्यापक दृष्टिकोण और उदारता का विकास करना – इतिहास के अध्ययन के माध्यम से विद्यार्थियों में सहिष्णुता, बहुसांस्कृतिकता और वैश्विक दृष्टिकोण विकसित करना।
  7. वर्तमान समस्याओं को सुलझाने की योग्यता विकसित करना – अतीत की घटनाओं से सीख लेकर आधुनिक समस्याओं का समाधान खोजने की क्षमता विकसित करना।
  8. सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के प्रति जागरूकता विकसित करना – इतिहास शिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों में समसामयिक घटनाओं को समझने और उनके प्रति जागरूक होने की प्रवृत्ति विकसित करना।
  9. विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करना – विश्व की प्रमुख संस्कृतियों और उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझना, जिससे विद्यार्थी विभिन्न समाजों और उनके विकास को बेहतर ढंग से समझ सकें।
  10. राष्ट्रीय, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक समस्याओं से अवगत कराना – विद्यार्थियों को अपने देश और समाज की समसामयिक समस्याओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से अवगत कराना ताकि वे उनके समाधान के प्रति जागरूक बन सकें।

इन उद्देश्यों के माध्यम से इतिहास शिक्षण न केवल एक अकादमिक विषय के रूप में बल्कि एक समाजोपयोगी ज्ञान के रूप में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और बौद्धिक विकास में सहायक बनता है।

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