इतिहास शिक्षण की विधियाँ itihaas shikshan ki vibhinn vidhiyan
इतिहास शिक्षण का मुख्य उद्देश्य छात्रों में ऐतिहासिक घटनाओं की समझ विकसित करना, विश्लेषणात्मक सोच को प्रोत्साहित करना और इतिहास से जुड़ी सीख को वर्तमान और भविष्य के संदर्भ में जोड़ना होता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इतिहास शिक्षण में कई विधियों का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक विधि की अपनी विशेषताएँ और महत्व होता है।
कक्षा कक्ष में शिक्षण के कार्यों को मूल्यत: दो भागों में विभक्त कर सकते हैं।
१. कक्षा प्रबंधन
२. विषय वस्तु का प्रस्तुतीकरण
विषय वस्तु को छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए अध्यापक विभिन्न प्रकार के पद्धतियां अपनाता है। प्रस्तुतीकरण को प्रभावी बनाने हेतु वह कितने पद्धतियों का प्रयोग भी करते हैं।
कक्षा प्रबंधन तथा विषय वस्तु के प्रस्तुतीकरण से वह अपने हिसाब से अभ्यास भी करता है विषय वस्तु के प्रस्तुतीकरण के लिए अपनाई गई पद्धतियां के प्रकार की भी हो सकती हैं। इतिहास शिक्षण की पाठ्य सामग्री को छात्रों के समुख प्रस्तुत करने की कुछ विशेष पद्धतियां है।
इतिहास शिक्षण विधि का अर्थ
परंपरागत रूप में शिक्षण विधि का अभिप्राय है शिक्षक द्वारा किए जाने वाले कार्य परंतु आधुनिक युग में शिक्षण विधि के लिए जो पद प्रयुक्त किए जाते हैं वे छात्रों को सीखने की क्रियाओं का वर्णन करते हैं। शिक्षण विधि के द्वारा शिक्षक उन कार्यों को निर्देशित करता है जिनके द्वारा वर्ग सक्रिय रहता है छात्रों को विषय वस्तु को समझने में मदद मिलती हैं। शिक्षण विधि एक व्यापक शब्द है जिसमें विभिन्न प्रक्रिया है युक्तियां या प्रविधियां निहित है।
शिक्षण विधि की परिभाषाएं
वैसले के अनुसार
“_शिक्षण विधि शिक्षक द्वारा संचालित वह क्रिया है जिसे छात्रों को ज्ञान की प्राप्ति होती है_।”
वाइनिंग के अनुसार
“शिक्षण विधि शिक्षा प्रक्रिया का गतिशील कार्य है।”
जॉन डीवी के अनुसार
वैदिक विधि निष्कर्ष निकालने में सामग्री को संगठित करने का एक ढंग है।
घट व गेरवेरिया के अनुसार
विधि प्रक्रियाओं की वह सु परिभाषित संरचना है जिसमें परिस्थितियों की मांगों के अनुसार प्रविधियां निहित होती हैं।
इतिहास शिक्षण की प्रमुख विधियां
इतिहास शिक्षण की विधियां निम्नलिखित हैं-
१. कहानी कथन विधि या कथात्मक विधि
२. नाटकीय विधि
३. व्याख्यान विधि
४. वाद विवाद विधि
५. स्रोत विधि
६. प्रश्नोत्तर विधि
७. योजना विधि
८. दत्त कार्य विधि
९. निरीक्षण विधि
१०. पाठ्यपुस्तक विधि
११. जीवन कथा विधि
नीचे इतिहास शिक्षण की विभिन्न विधियों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
1. कहानी कथन विधि या कथात्मक विधि (Storytelling Method)
इस विधि में इतिहास को कहानी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। शिक्षक ऐतिहासिक घटनाओं को रोचक ढंग से सुनाते हैं ताकि छात्र उन्हें कल्पना कर सकें और गहराई से समझ सकें।
विशेषताएँ:
✔️ इसमें ऐतिहासिक घटनाओं को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
✔️ छात्र ध्यानपूर्वक सुनते हैं और उनमें कल्पनाशीलता विकसित होती है।
✔️ यह विधि प्राथमिक कक्षाओं के लिए अधिक प्रभावी होती है।
उदाहरण:
यदि स्वतंत्रता संग्राम पढ़ाया जा रहा है, तो इसे कहानी के रूप में सुनाकर छात्रों को स्वतंत्रता सेनानियों की भावनाओं और संघर्षों से जोड़ने का प्रयास किया जा सकता है।
2. नाटकीय विधि (Dramatization Method)
इस विधि में छात्रों को ऐतिहासिक घटनाओं को नाटक के रूप में प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया जाता है। वे ऐतिहासिक पात्रों की भूमिका निभाते हैं, जिससे वे इतिहास को न केवल पढ़ते हैं बल्कि उसे अनुभव भी करते हैं।
विशेषताएँ:
✔️ छात्र इतिहास को गहराई से समझते हैं।
✔️ इसमें अभिनय और संवाद कौशल का विकास होता है।
✔️ इतिहास को जीवंत और रोचक बनाने में सहायक होती है।
उदाहरण:
महात्मा गांधी और भगत सिंह के विचारों को समझाने के लिए एक नाटकीय प्रस्तुति करवाई जा सकती है।
3. व्याख्यान विधि (Lecture Method)
इस विधि में शिक्षक ऐतिहासिक घटनाओं, तथ्यों और कारणों की विस्तार से व्याख्या करते हैं। यह पारंपरिक शिक्षण विधि है और उच्च कक्षाओं के लिए अधिक उपयोगी होती है।
विशेषताएँ:
✔️ बड़ी संख्या में छात्रों को पढ़ाने के लिए उपयोगी।
✔️ विषय-वस्तु को सुव्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
✔️ यह संक्षिप्त और व्यवस्थित ज्ञान देने के लिए प्रभावी होती है।
उदाहरण:
शिक्षक द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि और प्रभावों को बोर्ड पर नोट्स लिखकर समझाते हैं।
4. वाद-विवाद विधि (Debate Method)
इस विधि में छात्रों को किसी ऐतिहासिक घटना या विषय पर चर्चा और बहस करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इससे उनकी तार्किक क्षमता और विश्लेषण कौशल का विकास होता है।
विशेषताएँ:
✔️ यह छात्रों में आलोचनात्मक सोच और विश्लेषण की क्षमता विकसित करती है।
✔️ इसमें भागीदारी अधिक होती है और छात्र इतिहास को अपने दृष्टिकोण से देखने लगते हैं।
✔️ छात्रों में आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति की क्षमता बढ़ती है।
उदाहरण:
“गांधी जी की अहिंसा बनाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सशस्त्र क्रांति” जैसे विषयों पर बहस आयोजित करवाई जा सकती है।
5. स्रोत विधि (Source Method)
इस विधि में छात्रों को ऐतिहासिक स्रोतों से परिचित कराया जाता है, जिससे वे प्रत्यक्ष प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकाल सकें। इसमें प्राचीन अभिलेख, शिलालेख, ताम्रपत्र, सिक्के, चित्र, पांडुलिपियाँ, ऐतिहासिक दस्तावेज़ आदि का अध्ययन शामिल होता है।
विशेषताएँ:
✔️ यह इतिहास को प्रमाणित करने और वास्तविकता से जोड़ने में सहायक होती है।
✔️ छात्रों में शोध और अन्वेषण की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है।
✔️ ऐतिहासिक घटनाओं को स्पष्ट और सटीक तरीके से समझने में मदद करती है।
उदाहरण:
छात्रों को अशोक के शिलालेखों या मुगलों के प्रशासनिक दस्तावेजों के चित्र दिखाकर उन पर चर्चा की जा सकती है।
6. प्रश्नोत्तर विधि (Question-Answer Method)
इस विधि में शिक्षक छात्रों से प्रश्न पूछते हैं और उनके उत्तरों के आधार पर विषय को आगे बढ़ाते हैं। यह विधि छात्रों की समझ को परखने और उन्हें सक्रिय रूप से पाठ में शामिल करने के लिए प्रभावी होती है।
विशेषताएँ:
✔️ यह छात्रों को सतर्क और केंद्रित रखती है।
✔️ इससे शिक्षक को छात्रों की समझ का आकलन करने में सहायता मिलती है।
✔️ यह संवादात्मक और सहभागिता आधारित विधि है।
उदाहरण:
शिक्षक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर प्रश्न पूछ सकते हैं, जैसे – “1857 की क्रांति का प्रमुख कारण क्या था?”
7. योजना विधि (Project Method)
इस विधि में छात्रों को किसी ऐतिहासिक विषय पर एक परियोजना बनाने का कार्य सौंपा जाता है, जिसमें वे विभिन्न स्रोतों से जानकारी इकट्ठा करके उसका विश्लेषण करते हैं।
विशेषताएँ:
✔️ छात्रों में खोजबीन और शोध कौशल विकसित होते हैं।
✔️ इससे स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
✔️ यह छात्रों को गहन अध्ययन और ऐतिहासिक घटनाओं को गहराई से समझने में मदद करती है।
उदाहरण:
छात्रों को “भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन” पर एक प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए कहा जा सकता है।
8. दत्त कार्य विधि (Assignment Method)
इस विधि में छात्रों को इतिहास से संबंधित गृहकार्य दिया जाता है, जिससे वे स्वाध्याय कर सकें और अपने विचारों को व्यवस्थित कर सकें।
विशेषताएँ:
✔️ यह छात्रों को आत्मनिर्भर बनाती है।
✔️ विषय की गहरी समझ विकसित करने में मदद करती है।
✔️ छात्र अपनी गति से अध्ययन कर सकते हैं।
उदाहरण:
“स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका” पर एक लेख लिखने के लिए छात्रों को दिया जा सकता है।
9. निरीक्षण विधि (Observation Method)
इस विधि में छात्रों को ऐतिहासिक स्थलों, संग्रहालयों, और पुरातात्विक स्थानों का दौरा कराया जाता है। इससे वे इतिहास को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर सकते हैं। इसे वास्तविक अनुभव से इतिहास की सीख देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
विशेषताएँ:
✔️ यह छात्रों में जिज्ञासा और अन्वेषण की प्रवृत्ति को बढ़ाती है।
✔️ इतिहास को केवल पढ़ने की बजाय उसे देखने और समझने का अवसर मिलता है।
✔️ व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देती है।
उदाहरण:
छात्रों को दिल्ली के लाल किले या आगरा के ताजमहल का भ्रमण करवा कर उनकी ऐतिहासिक महत्ता को समझाया जा सकता है।
10. पाठ्यपुस्तक विधि (Textbook Method)
इस विधि में पाठ्यपुस्तकों को आधार बनाकर इतिहास पढ़ाया जाता है। यह सबसे पारंपरिक विधि है और परीक्षाओं के लिए उपयुक्त होती है।
विशेषताएँ:
✔️ सभी छात्रों को समान और व्यवस्थित ज्ञान मिलता है।
✔️ विषय का क्रमबद्ध अध्ययन सुनिश्चित होता है।
✔️ परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है।
उदाहरण:
एनसीईआरटी (NCERT) या अन्य इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से विषय पढ़ाया जाता है।
11. जीवन कथा विधि (Biographical Method)
इस विधि में ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की जीवन कथाएँ पढ़ाई जाती हैं, जिससे छात्रों को प्रेरणा मिलती है। इससे छात्र व्यक्तिगत अनुभवों और संघर्षों से इतिहास को समझ सकते हैं।
विशेषताएँ:
✔️ छात्रों को नैतिक शिक्षा और प्रेरणा मिलती है।
✔️ ऐतिहासिक घटनाओं से भावनात्मक रूप से जुड़ने में मदद मिलती है।
उदाहरण:
महात्मा गांधी, नेपोलियन बोनापार्ट, शिवाजी महाराज आदि की जीवनी पढ़ाई जा सकती है।
निष्कर्ष
इतिहास शिक्षण में विभिन्न विधियों का उपयोग करके इसे अधिक रोचक और प्रभावी बनाया जा सकता है। छात्रों की रुचि और समझ के अनुसार इनका चयन किया जाना चाहिए।