शैशवावस्था में शारीरिक विकास | Physical Development in Infancy in Hindi
शैशवावस्था (Infancy) बच्चे के जीवन की वह महत्वपूर्ण अवस्था होती है जो जन्म से लेकर लगभग 6 वर्ष की आयु तक फैली होती है। यह अवस्था बच्चे के समग्र विकास की नींव होती है, जिसमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भाषा संबंधी विकास बहुत तेज़ी से होता है। शारीरिक विकास (Physical Development) की दृष्टि से यह अवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय शरीर की बनावट, मांसपेशियां, हड्डियां, मस्तिष्क और आंतरिक अंग तीव्र गति से विकसित होते हैं।
शैशवावस्था के दो चरण:
1. जन्म से 3 वर्ष तक (Infant Stage)
इस अवधि को आमतौर पर नवजात अवस्था कहा जाता है। यह वह काल होता है जिसमें बालक ठीक तरह से बोल नहीं पाता है इसे अंग्रेजी में infant कहते हैं जिसका सीधा सा अर्थ है नहीं बोलने वाला यानी कि बालक बात करना तो सीखता है पर ठीक से बोल नहीं पाता उनके शब्द स्पष्ट नहीं होते। कोई भी बालक 3 वर्ष तक अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने योग्य नहीं हो पाता है। इस दौरान बच्चे के शारीरिक विकास की गति सबसे तेज होती है।
2. 3 से 6 वर्ष तक (Toddler Stage)
इस काल में बालक भली-भांति बोलना सीख लेता है इसलि infancy की अवस्था 3 वर्ष बाद समाप्त हो जाती है सुविधा तथा व्यवहार की दृष्टि से 6 वर्ष की आयु को शैशवावस्था में रखा गया है। 3 वर्षों के दौरान बालक का शारीरिक विकास तीव्र गति से होता है अगले 3 वर्ष में भाषा की गति तुलनात्मक रूप से कुछ मन्द पड़ जाती है अतः इसे मत गति से विकास का काल कहा जा सकता है। इस चरण में बच्चा बोलना, चलना, खेलना और सामाजिक व्यवहार सीखने लगता है। भाषा विकास प्रमुखता से होता है, हालांकि शारीरिक वृद्धि की गति थोड़ी धीमी हो जाती है।
शैशवावस्था में शारीरिक विकास (physical development in infancy in hindi)
१. शिशु का आकार (size):-
जन्म के समय शिशु की लंबाई लगभग 20 इंच होती है। बालक बालिका से 1/2 इंच अधिक लंबे होते हैं। प्रथम वर्ष में शिशु की लंबाई लगभग 27 या 28 इंच दूसरे वर्ष में 31 या 33 इंच और 6 वर्ष तक लगभग 40 या 44 इंच हो जाती है।
२. शिशु का भार (weight) :-
जन्म के समय बालक बालिकाओं से अधिक होता है। नवजात शिशु का भार 6 से 8 पाउंड तक होता है। प्रथम 6 माह में शिशु का भार दोगुना और एक वर्ष में 3 गुना हो जाता है। 3 वर्ष में लगभग 20 या 25 पाउंड और छोटे वर्ष तक 40 पाउंड हो जाता है।
३. शैशवावस्था शिशु की मांसपेशियां (Muscles) :-
शिशु की मांसपेशियों का भार उसके शरीर के कुछ भार का 23% होता है। धीरे-धीरे बढ़ता है। उसकी भुजाओं का विकास तीव्र गति से होता है। प्रथम 2 वर्ष में भुजाएं दुगुनी और टांगे लगभग डेढ़ गुना हो जाती है। 6 वर्ष की आयु तक उनकी मांसपेशियों में लचीलापन आ जाता है।
४. शैशवावस्था में शिशु की हड्डियां (Bones) :-
नवजात शिशु की हड्डियां छोटी कोमल और लचीली होती है। हड्डियों की संख्या 270 होती है। हटिए कैल्शियम, फास्फोरस तथा अन्य खनिज पदार्थों की सहायता से मजबूत होती है इसे अस्थिकरण की प्रक्रिया कहते हैं। बालक की अपेक्षा बालिका की अस्थिकरण प्रक्रिया जल्दी होती है।
५. शैशवावस्था में शिशु का दांत (Teeth) :-
जन्म के समय से शिशु के दांत नहीं होते। लगभग सातवें मास से दांत निकालना शुरू हो जाता है। ये अस्थायी दांत होते हैं। इनको दूध के दांत कहां जाता है। 1 वर्ष की आयु तक इनकी संख्या 8 हो जाती है तथा लगभग 4 वर्ष की आयु तक सब दांत निकल आते हैं। इसके बाद एक दांत गिर जाते हैं और 5 में या 6 वर्ष की आयु में स्थाई दांत निकलने लगते हैं।
६.सिर व मस्तिष्क (Head and Brain) :-
नवजात शिशु का सिर शरीर की अपेक्षा बड़ा होता है। जन्म के समय सिर की लंबाई उसके शरीर की कुल लंबाई की 1/4 होती है। प्रथम2 वर्षों में सिर बहुत तेजी से बढ़ता है। उसके बाद विकास की गति धीमी हो जाती हैं। जन्म के समय मस्तिष्क का भार लगभग 350 ग्राम होता है। 6 वर्ष की आयु तक या बढ़कर 1260 ग्राम हो जाता है। वयस्क मस्तिष्क का भार 14 ग्राम बताया जाता है। इससे स्पष्ट है कि शैशवावस्था में मस्तिष्क के बाहर की वृद्धि तीव्र गति से होती हैं।
७. शीशु के आंतरिक अंगों का विकास :-
जन्म के बाद शरीर के आंतरिक अंगों का आप ही विकास होता है। इसमें पाचक अंग, फेफड़े, मांसपेशियां, स्नायु मंडल, रक्त संचार अंग, उत्पादक अंग, तथा ग्रंथियों का क्रमशः विकास होता है।
इस प्रकार शैशवावस्था में शारीरिक विकास तीव्र गति से होती है।
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निष्कर्ष (Conclusion)
शैशवावस्था में शारीरिक विकास अत्यंत महत्वपूर्ण एवं तीव्र गति से होने वाली प्रक्रिया है। इस दौरान बच्चे की लंबाई, वजन, मांसपेशियां, हड्डियां, मस्तिष्क और दांतों का विकास बहुत तेजी से होता है। इस समय शिशु को संतुलित पोषण, उचित देखभाल, स्वच्छता और चिकित्सकीय मार्गदर्शन मिलना अत्यंत आवश्यक है ताकि वह एक स्वस्थ और मजबूत नींव के साथ जीवन की अगली अवस्थाओं की ओर बढ़ सके।
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