vyaktitva ke gun personality in hindi व्यक्तित्व क्या है व्यक्तित्व के गुण
व्यक्तित्व क्या है(personality in hindi)
व्यक्तित्व एक मनोवैज्ञानिक अवधारणा है। इसका प्रयोग लोगों द्वारा व्यापक रूप में किया जाता है। किसी के रंग रूप, शारीरिक बनावट, वेशभूषा, सौंदर्य आदि बाह्य लक्षणों के आधार पर प्रायः व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में बताया जाता है इस तरह व्यक्ति के शरीर की बाहरी दिखावट को उसका व्यक्तित्व समझा जाता है। परंतु यह पूर्ण रूप से सत्य और उपयुक्त नहीं है। क्योंकि एक अच्छे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के लिए उसकी शारीरिक बनावट के अतिरिक्त उसके आंतरिक भावनाएं, उनकी सोच, उनकी मानसिकता, चिंतन शक्ति, सामाजिकता, व्यवहार, आत्माविश्वास, आत्मनिर्भरता, प्रभुत्व भावना जैसे महत्वपूर्ण लक्षणों को भी देखा जाता है आंतरिक एवं बाहरी रूपों से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है और वह एक अच्छे व्यक्तित्व वाले इंसान बन जाता हैं। एक व्यक्ति में अच्छे एवं बुरे दोनों ही गुण होते हैं व्यक्ति के इन गुणों के आधार पर उस व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में बताया जाता है।
व्यक्तित्व का अर्थ
व्यक्तित्व शब्द अंग्रेजी भाषा पर्सनैलिटी(personality) का हिंदी रूपांतरण है पर्सनैलिटी लैटिन भाषा के शब्द पर्सोना(persona) से लिया गया है जिसका अर्थ होता है नकली चेहरा (नकाब, मुखौटा, मर्क्स) या वेशभूषा। पर्सोना का तात्पर्य व्यक्ति के बदलते रूप से हैं इसी कारण पर्सनैलिटी शब्द का प्रयोग अपनी बोलचाल वेश-भूषण,रूप-रंग, आदि से दूसरों को प्रभावित करने के अर्थ में किया जाने लगा। जो व्यक्ति अपने गुणों से दूसरों को जितना ज्यादा प्रभावित करता है उस व्यक्ति का व्यक्तित्व उतना ही अच्छा और प्रभावशाली माना जाता है।
व्यक्तित्व की परिभाषा (vyaktitva ki paribhasha dijiye)
वैलेनटीन के अनुसार व्यक्तित्व की परिभाषा:
“व्यक्तित्व जन्मजात और अर्जित प्रवृत्तियों का योग है।”
डेविल के अनुसार व्यक्तित्व की परिभाषा:
व्यक्तित्व व्यक्ति के व्यवहारों का संकलन है जो उसके मानसिक समायोजन में अभिव्यक्त होता है।
personality in hindi
१. शारीरिक गुण
२.मानसिक गुण
३. सामाजिक गुण
४. संवेगात्मक गुण
५. चारित्रिक गुण
६. आत्म चेतना
७. सामाजिकता
८. शारीरिक एवं मानसिक
९. सामंजस्य
१०. लक्ष्य की प्राप्ति
११. एकता एवं एकीकरण
१२. दृढ़ इच्छाशक्ति
१३. विकास की निरंतरता
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१. शारीरिक गुण:
व्यक्ति के शारीरिक दोनों के अंतर्गत शरीर की लंबाई, चौड़ाई, भार, आवाज, मुखाभिव्यक्ति, रूप, रंग, आंखों की रचना तथा मन है। आकर्षक रंग, रूप, अच्छी वाणी, अच्छी कद और अच्छा स्वास्थ्य अच्छे व्यक्तित्व की विशेषता होती है।
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२.मानसिक गुण:
उच्च स्तर का बुद्धि अच्छी चिंतन शक्ति तार्किक शक्ति सृजनशीलता कल्पनाशील उत्तम विचार आदि अच्छे व्यक्तित्व के गुण हैं बुद्धि स्वाभाव तथा चरित्र तीनों ही व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं सामान्य मंद तथा उत्कृष्ट बुद्धि वाले व्यक्तियों के व्यक्तित्व में तदनुरूप विभिन्न ता पाई जाती है। सामान्य तथा मन्द बुद्धि के लोग कुछ बुद्धि वालों का अनुकरण करते हैं स्वभाव के अंतर्गत आशावादी निराशावादी चिड़चिड़ा तथा अस्थिर व्यक्ति आते हैं चरित्र के अंतर्गत सामाजिक धार्मिक विश्वास नैतिक मान्यताएं तथा आचरण नहीं होते हैं।
३. सामाजिक गुण
व्यक्तित्व का सर्वाधिक सशक्त पक्ष उसके सामाजिक गुण हैं इन्हीं गुणों के कारण व्यक्ति लोकप्रिय होता है। सामाजिकता, परोपकार की भावना, दया की भावना, नैतिकता सहयोग की भावना भाईचारा की भावना इत्यादि व्यक्ति के अच्छे गुण होते हैं।
४. संवेगात्मक गुण :
उच्च आकर्षक उद्देश्य पूर्णता आशावादी एवं ईर्ष्या भाव मुख्य संवेगिक स्थिरता आदि की प्रमुख विशेषता है।
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५. चारित्रिक गुण
जिन व्यक्ति में संकल्प शक्ति ईमानदारी निष्ठभाव देश प्रेम भ्रातृत्व मातृत्व कर्तव्य प्राण्यता इत्यादि व्यक्ति के अच्छे गुण होते हैं। एक मनुष्य के चरित्र का उसके व्यक्तित्व का निर्माण करने में अत्यंत योगदान रहता है। मैं सच्चा या झूठा हूं दूसरों के साथ ईमानदारी करता हूं या बेईमानी दूसरों की चीज को हथियाने में मुझे शर्म है या नहीं। जो व्यक्ति झूठ बोलता है बेईमान है चोर है उसका चरित्र ठीक नहीं समझा जाता। जिसका चारित्रिक ठीक नहीं होता उसका व्यक्तित्व शारीरिक रूप से भले ही आकर्षक हो उसकी पोल शीघ्र ही खुल जाती है। महात्मा गांधी सुंदर व आकर्षक ना थे परंतु उनके चरित्र के ही कारण उनका व्यक्तित्व असाधारण रूप से आकर्षक था विश्वा में उनकी पूजा होती है।
६. आत्मचेतना:
व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषता व्यक्ति में आत्म चेतना का होना है जिसका तात्पर्य व्यक्ति का या ज्ञान है कि वह कौन है समाज में उसकी क्या स्थिति है तथा अन्य लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं इसकी ज्ञान को आत्म चेतना के रूप में जाना जाता है। जो कि मनुष्य में ही पाया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को समाज के संदर्भ में अपने अस्तित्व का ज्ञान आवश्यक है यही ज्ञान उसके व्यवहार को प्रेरित करता है।
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७. सामाजिकता
व्यक्ति की सामाजिक कुशलता जिसमें वह समाज के अन्य व्यक्तियों के संपर्क में आकर अन्त: क्रिया करता है। समाज को समझता है तथा समाज में उनकी पहचान बनती है सामाजिकता के रूप में जानी जाती हैं। या व्यक्तित्व के विकास में प्रमुख घटक है
८. शारीरिक एवं मानसिक:
शरीर व मस्तिष्क बेटी के प्रमुख अंग हैं इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी व्यक्तित्व के विकास में बाधक हो सकती हैं अतः शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य का होना व्यक्तित्व के विकास के लिए अति आवश्यक है।
९. सामंजस्य:
व्यक्तित्व के अनेक विमाएं एवं क्षेत्र होते हैं जिनसे व्यक्तित्व का निर्माण होता है जैसे विभिन्न शीलगुण व्यवहार संरचना रहन सहन तथा गति आदि इन सभी के बीच सामंजस्य स्थापित करना व्यक्तित्व की विशेषता है।
१०. लक्ष्य की प्राप्ति:
बिना किसी कारण के व्यक्ति कोई भी व्यवहार निष्पादित नहीं करता है मानव के व्यवहार का सदैव एक निश्चित उद्देश्य होता है उसके व्यवहार और लक्ष्यों की जानकारी प्राप्त करके उसके व्यक्तित्व का अनुमान लगाया जा सकता है।
११. एकता एवं एकीकरण:
व्यक्तित्व के सभी तत्व शारीरिक मानसिक नैतिक सामाजिक तथा संवेगात्मक के बीच एकता एवं एकीकरण होता है। यह सभी मिलकर एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं। एकता एवं एकीकरण का हमारे जीवन में महत्व है जिसे सामाजिकता एवं राष्ट्रीयता का विकास होता है।
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१२. दृढ़ इच्छाशक्ति:
दृढ़ इच्छाशक्ति व्यक्तित्व की एक प्रमुख विशेषता है यह शक्ति व्यक्ति को इतनी क्षमता प्रदान करती हैं कि वह कठिन परिस्थितियों में भी संघर्ष करके अपने व्यक्तित्व को उत्कृष्ट बना सकती हैं। यदि इस शक्ति की कमी हो तो व्यक्ति का जीवन विघटित हो जाता है दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण व्यक्ति को लक्ष्य प्राप्ति में आसानी होती है।
१३. विकास की निरंतरता:
व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जैसे जैसे व्यक्ति के कार्यों विचारों अनुभव स्थितियों आदि में परिवर्तन होता जाता है वैसे वैसे उसके व्यक्तित्व के स्वरूप में भी परिवर्तन चला जाता है या प्रक्रिया व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है।
१४. अभियोजनशीलता:
वातावरण में समायोजन व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक बहुत बड़ा गुण है। संगठित व्यक्तित्व का यह लक्षण है की वह विभिन्न परिस्थितियों में चाहे वे अनुकूल हो अथवा प्रतिकूल अपने समायोजन के लिए सक्षम हो।
१५. प्रबल संकल्प शक्ति:
व्यक्ति में प्रबल संकल्प शक्ति उसके व्यक्तित्व के विकास में सहायक है। व्यक्ति को वातावरण में अपने समायोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। यदि ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति की संकल्प शक्ति दुर्बल होगी तो उसके व्यवहार में उसके व्यक्तित्व के निर्बलता प्रकट होती है।
निष्कर्ष के रूप में हम यह कह सकते हैं कि एक अच्छे व्यक्तित्व के गुण के लिए इन सभी गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है लेकिन सभी में सभी गुणों का होना संभव नहीं है इसलिए हर व्यक्ति का व्यक्तित्व अलग-अलग होता है कभी भी किसी का व्यक्तित्व एक समान नहीं हो सकता।
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