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व्यक्तित्व का स्वरूप 

यद्यपि व्यक्तित्व शब्द बहुत व्यापक है और व्यक्तित्व शब्द का प्रयोग हम विभिन्न अर्थों में करते हैं। परंतु जब आप कहते हैं कि राम का व्यक्तित्व अच्छा है तब प्रायः इसका तात्पर्य होता है राम की शारीरिक रचना बड़ी ही सुंदर है, वह देखने में स्वस्थ सुंदर और युवा है। किंतु यह विचार उन्हीं लोगों का है जो लोक सेवा आयोग के चुनाव मंडल के समक्ष उपस्थित होते हैं। उनके अनुसार यदि कोई व्यक्ति सुंदर है अपने विचारों को व्यक्त कर सकता है दूसरों को अपने ढंग से आकर्षित कर सकता है तो वह अवश्य ही सफल हो सकता है क्योंकि यह सब एक अच्छे व्यक्ति के गुण समझे जाते हैं। परंतु वास्तविक रूप में या विचार त्रुटिपूर्ण है। यह तो सत्य है कि व्यक्तित्व के अंदर ये सभी बातें सम्मिलित है किंतु कुछ शेष बातें और भी हैं जो हमारे कथन की “राम का व्यक्तित्व अच्छा है” में अंतर्निहित  थे।

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व्यक्तित्व की प्रकृति(vyaktitva ka swaroop)

१. मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास उसके वंशानुक्रम और वातावरण दोनों पर निर्भर करता है।

२. मनुष्य का व्यक्तित्व वंशानुक्रम और पर्यावरण का योग नहीं गुणनफल होता है।

३. मनुष्य के स्थायी गुण एवं योग्यताएं ही उसके व्यक्तित्व के अंग होते हैं।

४. मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास जन्म से मरण तक होता है।

५. मनुष्य का व्यक्तित्व उसकी जन्मजात शक्तियों और अर्जित गुणों एवं योग्यताओं का योग न होकर उनकी एक विशिष्ट रचना होता है।

६. मनुष्य के व्यक्तित्व में आत्म चेतना का गुण विद्यमान होता है।

७. मनुष्य के व्यक्तित्व में सामाजिकता का गुण पाया जाता है।

८. मनुष्य के व्यक्तित्व में सामंजस्यता का गुण पाया जाता है।

९. मनुष्य के व्यक्तित्व में दृढ़ इच्छाशक्ति विद्यमान होती है।

१०. मनुष्य के व्यक्तित्व निरंतर निर्माण की क्रिया में रहता है।

११. मनुष्य के व्यक्तित्व में निर्देशित लक्ष्य प्राप्ति का गुण विद्यमान होता है।

१२. मनुष्य का व्यक्तित्व बहुआयामी संप्रत्यय है। इसमें उसकी जमजम शक्तियों और अर्जित गुण दोनों आते हैं।

१३. मनुष्य के व्यक्तित्व का मुख्य गुण वातावरण के साथ समायोजन करना है।

१४. मनुष्य के व्यक्तित्व गतिशील प्रक्रिया है।

१५. मनुष्य के व्यक्तित्व व्यवहार ढंग रूचि और दृष्टिकोण ओ की क्षमताओं का संगठन है।

१६. व्यक्ति के व्यक्तित्व विभिन्न गुणों का एकीकरण होता है।

१७. मनुष्य के व्यक्तित्व शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और सांस्कृतिक घटक ओं का संयुक्त योग है।

१८. मनुष्य के व्यक्तित्व स्वाभाव और चारित्रिक गुणों का अद्भुत मिश्रण है।

१९. व्यक्तित्व का अवकलन समाज के संदर्भ में ही संभव होता है।

२०. प्रत्येक मनुष्य का व्यक्तित्व विशिष्ट होता है अनूठा होता है कुछ अलग होता है।

 

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