दीपदान एकांकी का उद्देश्य क्या है स्पष्ट कीजिए (deepdan ekanki ke uddeshy ko spasht kijiye)
इस आर्टिकल में हमने रामकुमार वर्मा द्वारा रचित एकांकी ‘दीपदान’ के उद्देश्य को स्पष्ट करने की कोशिश की है किसी भी एकांकी का कोई न कोई उद्देश्य होता है एकांकीकार का मुख्य उद्देश्य एकांकी के माध्यम से पाठकों के सामने पन्ना धाय के देश प्रेम और राष्ट्रहित के लिए अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक हितों के बलिदान और त्याग को दिखाया गया है साथ ही बनवीर की नीचता को भी।
उत्तर: एकांकीकार किसी न किसी उद्देश्य से प्रेरित होकर किसी भी एकांकी की रचना करते हैं। दीपदान एकांकी भी एक उद्देश्य पूर्ण एकांकी है। दीपदान एकांकी के माध्यम से डॉ. रामकुमार वर्मा जी ने यह दिखाने का प्रयास किये है कि राजहित सबसे बड़ा होता है तथा इसके लिए यदि व्यक्तिगत और पारिवारिक हितों का बलिदान करना पड़े भी तो व्यक्ति को पीछे नहीं हटना चाहिए। पन्ना का पुत्र चंदन और कुंवर उदय सिंह दोनों एक ही उम्र के बालक है। चंदन के पैर पर चोट लगने के बाद चंदन अपनी मां पन्ना के पास आता है। पन्ना अपनी ओढ़नी के पल्लू से कपड़ा फाड़ कर उसके पैर में पट्टी बांधती है और उसे प्यार करती है तथा उसे खिला-पिला कर कुंवर उदय सिंह के पलंग पर सुला देती है। तभी बनवीर खून से रंगी हुई तलवार लिए पन्ना के पास पहुंचता है। वह पहले तो पन्ना को प्रलोभन देकर षड्यंत्र में मिलना चाहता है किंतु पन्नाधाय उसके प्रलोभन में नहीं आती है और कहती है- “मेरे महाराणा का नमक रक्त से भी महान है। नमक से रक्त बनता है रक्त से नमक नहीं बनता है।” पन्ना बनवीर पर अपनी कतर से वार करती है किंतु कतर उसकी ढाल से टकराकर गिर जाती है तब बनवीर झटपट पलंग के पास पहुंचता है और चंदन को कुंवर उदय सिंह समझ कर पन्ना की आंखों के सामने उसकी हत्या कर देता है। इस एकांकी के माध्यम से रामकुमार वर्मा जी ने इतिहास के पन्नों की झांकी प्रस्तुत करते हुए राज प्रेम को सबसे बड़ा बताया है। त्याग और बलिदान से मनुष्य का चरित्र ऊपर उठ जाता है तथा लोभ, विश्वास घाती एवं हत्या करने से मनुष्य का चरित्र बनवीर की भांति नीचे गिर जाता है। इसी तथ्य को स्पष्ट करना दीपदान एकांकी का मुख्य उद्देश्य है एकांकीकार अपने उद्देश्य में पूर्ण रूप से सफल हुए हैं।
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