Home Loan EMI Mistakes: होम लोन EMI की यह आम गलती आपको लाखों का नुकसान करा सकती है – बचने के आसान तरीके
हर इंसान का सपना होता है कि उसका खुद का घर हो। इस सपने को पूरा करने के लिए अक्सर लोग होम लोन (Home Loan) का सहारा लेते हैं। लोन मिलना अब पहले से आसान हो गया है, लेकिन लोन की EMI (Equated Monthly Installment) को चुकाने की योजना बनाना और उससे जुड़ी गलतियों से बचना बेहद जरूरी है। क्योंकि एक छोटी सी चूक आपको ब्याज में लाखों रुपये का नुकसान करवा सकती है।
EMI प्लानिंग में सबसे बड़ी गलती क्या है? Home Loan EMI Mistakes
जब आप होम लोन लेते हैं, तो अक्सर लोग यह गलती करते हैं कि वे अपनी EMI को जितना कम से कम रख सकते हैं, उतना रखने की कोशिश करते हैं। यह एक आम लेकिन गंभीर गलती है, क्योंकि जब बैंक ब्याज दर (Interest Rate) बढ़ाती है, तो EMI वही रहती है, लेकिन लोन की अवधि (Tenure) बढ़ा दी जाती है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपने 20 साल के लिए ₹30 लाख का होम लोन लिया और आपकी EMI ₹25,000 प्रति माह तय हुई, तो अगर RBI रेपो रेट बढ़ाता है और ब्याज 1-2% बढ़ जाता है, तो आपकी EMI में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन लोन की अवधि 25-30 साल तक बढ़ सकती है। इससे आप कुल ब्याज में लाखों रुपये अधिक चुकाते हैं, जिससे आपके होम लोन की लागत बहुत बढ़ जाती है।
EMI वही क्यों रहती है, लेकिन लोन लंबा क्यों हो जाता है?
जब आप फ्लोटिंग ब्याज दर (Floating Rate) पर होम लोन लेते हैं, तो ब्याज दर बढ़ने पर आपकी EMI वही रहती है, लेकिन लोन की अवधि बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि जब ब्याज दर बढ़ती है, तो बैंक आपकी EMI को स्थिर रखते हुए लोन की अवधि 10-15 साल तक बढ़ा देते हैं। इसके अलावा, अगर आपने लोन की री-स्ट्रक्चरिंग नहीं करवाई, तो लोन की अवधि और बढ़ सकती है। शुरुआत में जब आप EMI का भुगतान करते हैं, तो मुख्य रूप से आप ब्याज चुकाते हैं और प्रिंसिपल की राशि कम नहीं होती, जिससे भी लोन का कार्यकाल बढ़ जाता है। बैंक ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें लंबी अवधि तक लोन चलाने से अधिक ब्याज कमाने का मौका मिलता है। EMI में तुरंत बदलाव न करके, बैंक आपको तात्कालिक राहत देते हैं, लेकिन यह भविष्य में आपको बड़ी वित्तीय परेशानियों में डाल सकता है।
कैसे बचें इस महंगी गलती से? (Best Home Loan Repayment Tips)
- EMI बढ़ाएं, अवधि नहीं:
जब भी ब्याज दर बढ़े, तो बैंक से स्पष्ट रूप से कहें कि आपकी EMI बढ़ाई जाए, न कि लोन की अवधि। इससे आपकी लोन की अवधि लंबी नहीं होगी और आप समय पर कर्ज चुका पाएंगे, साथ ही ब्याज में भी बड़ी बचत होगी। - हर साल करें पार्ट-पेमेंट (Home Loan Prepayment):
अगर आपको बोनस, सेविंग्स या टैक्स रिफंड मिलता है, तो उसका उपयोग लोन का प्रीपेमेंट करने में करें। इससे प्रिंसिपल जल्दी कम होगा और ब्याज की राशि घटेगी, जिससे कुल लोन की लागत कम होगी। - EMI की प्लानिंग शुरू से ही स्मार्ट करें:
जब आप होम लोन की EMI चुनते हैं, तो सिर्फ यह न देखें कि मासिक बोझ कम हो, बल्कि यह भी विचार करें कि कुल ब्याज कितना होगा और लोन को कितने साल में खत्म किया जा सकेगा। यह आपको लंबी अवधि में बड़ी बचत करने में मदद करेगा। - Loan Restructuring का विकल्प हमेशा रखें:
अपने लोन का रिव्यू हर साल करें और अगर जरूरत हो तो बैंक से बात करके EMI और लोन की अवधि (Tenure) दोनों को री-स्ट्रक्चर करवाएं। इससे आपकी EMI में संतुलन बना रहेगा और आप लोन को समय से पहले चुका सकते हैं। - Online EMI Calculator का समझदारी से करें इस्तेमाल:
बहुत से लोग EMI Calculator का इस्तेमाल सिर्फ EMI जानने के लिए करते हैं, लेकिन आपको इससे केवल EMI नहीं, कुल ब्याज और लोन की अवधि पर भी ध्यान देना चाहिए। यह आपको पूरी योजना को समझने में मदद करेगा और आपको अपनी वित्तीय स्थिति के मुताबिक निर्णय लेने का सही रास्ता दिखाएगा।
इन सरल लेकिन प्रभावी टिप्स का पालन करके, आप अपनी होम लोन EMI को स्मार्ट तरीके से मैनेज कर सकते हैं और ब्याज में बचत कर सकते हैं।
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जानिए कितनी बड़ी हो सकती है आपकी गलती – एक केस स्टडी
मान लीजिए आपने ₹30 लाख का लोन लिया है, जिसकी ब्याज दर 8% है और EMI ₹25,000 प्रति माह तय हुई है। इस स्थिति में 20 साल में आपको कुल ₹30 लाख ब्याज चुकाना होगा। अब, यदि ब्याज दर 9% तक बढ़ जाती है और आपकी EMI वही ₹25,000 रहती है, तो लोन की अवधि बढ़कर 27 साल हो सकती है। इस स्थिति में आपको कुल ₹42 लाख ब्याज चुकाना पड़ेगा, यानी ₹12 लाख अतिरिक्त ब्याज का भुगतान होगा। यह दिखाता है कि बिना EMI बढ़ाए लोन की अवधि बढ़ जाने से ब्याज में बहुत अधिक नुकसान हो सकता है।