US-China Trade War 2025: चीन से जंग ट्रंप का बड़ा फैसला 125% टैरिफ, बाकी देशों को 90 दिन की राहत
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं – संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और चीन (China) – एक बार फिर आमने-सामने हैं। वर्षों से चल रही ट्रेड वॉर (व्यापार युद्ध) अब 2025 में एक नए, और शायद सबसे निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 125% का टैरिफ (Import Duty) लागू करके इस तनाव को और अधिक भड़काया है। यह फैसला न सिर्फ अमेरिका और चीन के संबंधों पर असर डालेगा, बल्कि इसका सीधा प्रभाव वैश्विक व्यापार, निवेश, आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) और उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ेगा।
ट्रंप की टैरिफ नीति: अमेरिका फर्स्ट की रणनीति
ट्रंप प्रशासन का यह तर्क रहा है कि चीन वर्षों से अमेरिका के साथ अनुचित व्यापार व्यवहार कर रहा है।
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चीन Intellectual Property का उल्लंघन करता है,
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अमेरिकी उत्पादों को चीन में प्रतिस्पर्धा नहीं मिलती,
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और अमेरिकी कंपनियों को भारी घाटा उठाना पड़ता है।
इन्हीं वजहों से ट्रंप ने “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत चीन पर पहले 34%, फिर 104% और अब सीधा 125% टैरिफ लागू कर दिया है। यह एक ऐसा कदम है जो चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने की मंशा रखता है, साथ ही घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करता है।
अन्य देशों को 90 दिन की राहत
जहां चीन पर सीधा वार किया गया है, वहीं अन्य व्यापारिक साझेदार देशों को 90 दिनों की छूट दी गई है। उन पर 10% का टैरिफ लगाया गया है लेकिन उसे फिलहाल स्थगित रखा गया है। इससे ट्रंप यह संदेश देना चाहते हैं कि उनका असली निशाना केवल चीन है, न कि बाकी दुनिया।
चीन की जवाबी कार्रवाई: पलटवार की रणनीति
चीन ने भी अमेरिका के इन कदमों का मजबूत और आक्रामक जवाब दिया है।
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पहले उसने अमेरिका के उत्पादों पर 34% का टैरिफ लगाया,
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फिर 84% तक टैरिफ बढ़ा दिया।
हालांकि 125% के बाद चीन की नई प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि बीजिंग भी जल्द ही नई रणनीति बना सकता है। चीन की सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दबाव में झुकने वाली नहीं है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
यह टैरिफ युद्ध केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहेगा। इसका असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर होगा, खासकर:
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विकासशील देश, जो अमेरिका और चीन दोनों से व्यापार करते हैं, उन्हें निर्यात में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।
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वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होंगी, जिससे कच्चे माल और उत्पादों की उपलब्धता और लागत प्रभावित होगी।
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वैश्विक निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ेगी, जिससे स्टॉक मार्केट में अस्थिरता देखी जा सकती है।
अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए बुरी खबर
इस टैरिफ युद्ध का सबसे बड़ा बोझ अमेरिकी जनता पर पड़ने वाला है। क्योंकि:
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चीन से आने वाले कपड़े, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, घरेलू सामान और खिलौनों की कीमतें बढ़ेंगी।
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मंहगाई बढ़ेगी और खपत में गिरावट देखने को मिल सकती है।
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कई छोटे व्यवसाय जो चीन से कच्चा माल लाते हैं, उनकी लागत में भारी इजाफा होगा।
ट्रंप का तर्क: आत्मनिर्भर अमेरिका
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यह टैरिफ नीति अमेरिका को दीर्घकालीन रूप में आत्मनिर्भर बनाएगी।
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अमेरिकी कंपनियां सस्ते चीनी माल की जगह लोकल मैन्युफैक्चरिंग की ओर रुख करेंगी।
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रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
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और देश की अर्थव्यवस्था को स्थायित्व और शक्ति मिलेगी।
US-China Trade War Timeline (2025 Update)
घटनाक्रम | विवरण |
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पहली टैरिफ घोषणा | अमेरिका ने चीन पर 34% टैरिफ लगाया |
जवाबी कदम | चीन ने अमेरिका से आयात पर 34% टैरिफ लगाया |
दूसरी लहर | अमेरिका ने 104% टैरिफ लगाया |
चीन का पलटवार | चीन ने 84% टैरिफ लागू किया |
नया मोड़ | अमेरिका ने 125% टैरिफ लागू किया |
अन्य देशों के लिए | 10% टैरिफ, 90 दिन की छूट |
संभावित असर | वैश्विक बाजार में अस्थिरता, उपभोक्ता मूल्य वृद्धि |
आगे क्या? क्या यह वैश्विक मंदी की शुरुआत है?
2025 में जिस प्रकार से यह ट्रेड वॉर उग्र हो रहा है, उसमें यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो वैश्विक मंदी (Global Recession) का खतरा मंडरा सकता है।
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दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का टकराव वैश्विक व्यापार प्रणाली को गंभीर झटका दे सकता है।
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विश्व व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका भी अब सवालों के घेरे में आ गई है।
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निवेशक, व्यवसाय और सरकारें – सभी इस अस्थिरता को लेकर चिंतित हैं।
जीत किसकी होगी?
US-China Trade War 2025 अब केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक युद्ध का रूप ले चुका है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस युद्ध में आखिरकार जीत किसकी होती है—क्या ट्रंप की टैरिफ नीति अमेरिका को आत्मनिर्भर बना पाएगी या चीन अपनी आर्थिक ताकत के दम पर अमेरिका को झुकने पर मजबूर कर देगा?
एक बात तो तय है: दुनिया अब टैरिफ के इस युद्ध को बहुत गंभीरता से देख रही है, और इसकी गूंज हर महाद्वीप में सुनाई दे रही है।
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