नई नारी कविता की व्याख्या ।। Nai Nari Kavita Ki Vyakhya Class 8
आप सभी का इस आर्टिकल में स्वागत है आज हम इस आर्टिकल के माध्यम नई नारी कविता की व्याख्या क्लास 8, नई नारी कविता का भावार्थ को पढ़ने जा रहे हैं। जो पश्चिम बंगाल के सरकारी विद्यालय के कक्षा 8 के पाठ 6 नई नारी से लिया गया है जिसके कवि सी. सुब्रह्मण्य जी है। तो चलिए नई नारी कविता की व्याख्या क्लास 8 , nai nari kavita ki vyakhya Class 8 को देखें-`
सी. सुब्रह्मण्य भारती – जीवन परिचय
सी. सुब्रह्मण्य भारती का नाम उन महान व्यक्तित्वों में लिया जाता है जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय जागरण और स्वतंत्रता संग्राम के समय देशवासियों की चेतना को एक नए स्वरूप में ढालने का कार्य किया। वे न केवल एक महान कवि थे, बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलक, संगठनकर्ता, पत्रकार, समाज-सुधारक, कहानीकार और निबंधकार भी थे। उन्हें तमिल पुनर्जागरण के अग्रदूतों में प्रमुख स्थान प्राप्त है।
जन्म एवं प्रारंभिक जीवन
सी. सुब्रह्मण्य भारती का जन्म 11 दिसंबर 1882 को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के एट्टयपुरम नामक स्थान में हुआ था। वे बचपन से ही अत्यंत प्रतिभाशाली थे। मात्र सात वर्ष की आयु में उन्होंने कविताएँ लिखनी शुरू कर दी थीं। जब वे ग्यारह वर्ष के थे, तब एक कवि-सम्मेलन में अपनी आशुकविता प्रस्तुत कर उन्होंने सबको चकित कर दिया और उन्हें ‘भारती’ की उपाधि प्राप्त हुई।
शिक्षा एवं पत्रकारिता
उन्होंने बनारस (अब वाराणसी) में मैट्रिक के बाद की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद 1904 ई. में मदुरै में एक शिक्षक के रूप में कार्य किया। तत्पश्चात वे मद्रास (अब चेन्नई) आ गए जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध तमिल दैनिक ‘स्वदेशमित्रण’ में पत्रकार के रूप में काम किया।
राजनीतिक सक्रियता
भारती सक्रिय रूप से स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे। वे 1906 के कलकत्ता अधिवेशन और 1907 के सूरत अधिवेशन में प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए। उन्होंने ‘इंडिया’ (तमिल साप्ताहिक), ‘विजय’ (दैनिक पत्र), ‘कर्मयोगी’ (तमिल मासिक) और ‘बालभारत’ (अंग्रेजी मासिक पत्रिका) का संपादन एवं प्रकाशन भी किया।
काव्य-सृजन और साहित्यिक योगदान
सुब्रह्मण्य भारती का साहित्यिक जीवन 1905 से 1921 के बीच सबसे अधिक सृजनशील रहा। इसी काल में उन्होंने अपनी श्रेष्ठतम काव्य रचनाएँ लिखीं, जिनमें प्रमुख हैं:
- पांचाली शपथम्
- कन्नन पाट्टु (कृष्ण गीत)
- कुचिल पाट्टु (कोयल गीत)
उन्होंने अपने काव्य में देशभक्ति, मानवता, नारी-शक्ति, भारत माता की महिमा, और विश्वबंधुत्व जैसे विषयों को गहराई से व्यक्त किया। उनकी कविताएँ सरल, ओजस्वी और जनजागरण से परिपूर्ण हैं।
निधन
भारती जी का निधन अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में हुआ। एक बार एक हाथी ने उन्हें पटक दिया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए और फिर ठीक नहीं हो सके। अंततः 11 सितंबर 1921 को मात्र 39 वर्ष की आयु में उनका देहांत हो गया।
सी. सुब्रह्मण्य भारती एक क्रांतिकारी कवि और चिंतक थे। उन्होंने भारत की नारी शक्ति, स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार की दिशा में अपनी लेखनी से अद्वितीय योगदान दिया। प्रस्तुत कविता में उन्होंने यह दर्शाया है कि नारी अब शिक्षित हो रही है, आत्मनिर्भर बन रही है और समाज के विकास में अग्रसर हो रही है। उन्होंने नारी को गौरव, सम्मान और प्रगति का प्रतीक बताया।
नई नारी कविता की व्याख्या
1.
“और वह गौरवान्वित है अपनी विद्या की दीप्ति से।
ऐसी स्त्रियाँ स्थिरमति वाली होती हैं और
वे कभी चकाचौंध में राह नहीं भूल सकतीं।
अज्ञान के घने अंधकार में
भटक जाना उन्हें कतई स्वीकार नहीं।”
शब्दार्थ :
- गौरवान्वित = गर्वित, सम्मान पाने वाली
- दीप्ति = चमक, प्रकाश
- चकाचौंध = तेज रोशनी या दिखावे से भ्रम
- स्थिरमति = मजबूत और शांत सोच वाली
- अज्ञान = बिना ज्ञान के
- कतई = बिल्कुल नहीं
संदर्भ :
यह पंक्तियाँ ‘नई नारी’ नामक कविता से ली गई हैं। इस कविता के रचनाकार सी. सुब्रह्मण्य हैं।
प्रसंग :
इस कविता में कवि ने आज की शिक्षित, जागरूक और आत्मनिर्भर महिलाओं की विशेषताओं को बताया है। उन्होंने बताया है कि आधुनिक नारी अब समाज में एक मजबूत और उज्ज्वल स्थान बना चुकी है।
व्याख्या :
आज की नारी पढ़-लिखकर बहुत समझदार और आत्मनिर्भर बन गई है। वह अपनी शिक्षा और ज्ञान पर गर्व करती है। ऐसी महिलाएं मजबूत सोच वाली होती हैं और वे दिखावे या चमक-धमक से प्रभावित नहीं होतीं। वे हमेशा सही रास्ते पर चलती हैं और अज्ञानता या गलत रास्ते की ओर कभी नहीं जातीं। उन्हें अगर कुछ पसंद नहीं है, तो वह है अंधेरे और भ्रम में भटकना। वे अपने जीवन में सोच-समझकर ही फैसले लेती हैं।
2.
“संस्कृति विहीन जीवन को
वे हिकारत से नामंजूर कर देती हैं।
वे अनेकानेक शास्त्रों का अध्ययन करेंगी।
जीवन में और भी सुखों-सुविधाओं को लाएँगी।
युगों पुरानी मिथ्या परंपराओं को वे हटाएँगी,
और सभी अंधविश्वासों को तोड़ फेंकेंगी,
हर मानव गतिविधि का वे ध्यान रखेंगी
ताकि सभी देव तुल्य बन सकें।
वे पुरुषों की प्रशंसा को जीत लेंगी।”
शब्दार्थ :
- संस्कृति = सभ्यता, अच्छे संस्कार और सोच
- हिकारत = घृणा, तिरस्कार
- नामंजूर = अस्वीकार करना
- मिथ्या = झूठा, असत्य
- परंपरा = पुरानी प्रथा या तरीका
- अंधविश्वास = बिना सोच-विचार के विश्वास
- गतिविधि = कार्य या व्यवहार
- तुल्य = बराबर, समान
संदर्भ :
यह पंक्तियाँ ‘नई नारी’ नामक कविता से ली गई हैं, जिसे सी. सुब्रह्मण्य ने लिखा है। इसमें आधुनिक नारी की सोच, भूमिका और समाज में बदलाव लाने की ताकत को दर्शाया गया है।
प्रसंग :
इन पंक्तियों में कवि यह समझाते हैं कि आज की शिक्षित नारी समाज में फैली पुरानी और गलत परंपराओं को तोड़ेगी और समाज को नई सोच की ओर ले जाएगी। वह हर क्षेत्र में पुरुषों के समान काम करके उनकी प्रशंसा भी पाएगी।
व्याख्या :
आज की पढ़ी-लिखी नारी ऐसे जीवन को बिल्कुल पसंद नहीं करती जिसमें सभ्यता और अच्छे संस्कार न हों। वह बिना सोच-विचार की परंपराओं और झूठे अंधविश्वासों को नकार देती है। वह ढेर सारे शास्त्र और ज्ञान की बातें पढ़ेगी, और अपने जीवन को सुख-सुविधाओं से भर देगी।
वह पुरानी और बेकार हो चुकी परंपराओं को हटा देगी और समाज से अंधविश्वासों को मिटा देगी। वह समाज में होने वाली हर गतिविधि को समझेगी और उस पर ध्यान देगी, ताकि सब लोग अच्छे, भले और ईमानदार बन सकें — जैसे देवता होते हैं।
इस तरह की नारी अपने अच्छे कामों और सोच से पुरुषों का भी सम्मान और सराहना प्राप्त कर लेगी।
नई नारी कविता का सारांश
कविता का सारांश — “नई नारी”
सी. सुब्रह्मण्य द्वारा लिखित ‘नई नारी’ कविता में आधुनिक, शिक्षित और आत्मनिर्भर नारी के चरित्र और उसके समाज में बढ़ते महत्व को दर्शाया गया है। कवि बताते हैं कि आज की नारी अपने ज्ञान और शिक्षा पर गर्व करती है। वह दृढ़ विचारों वाली होती है और कभी भी जीवन की चकाचौंध या दिखावे से भ्रमित नहीं होती। वह सही रास्ते से नहीं भटकती और अज्ञानता के अंधकार में जीना उसे बिल्कुल स्वीकार नहीं है।
नई नारी ऐसे जीवन को नकार देती है जिसमें सभ्यता और संस्कार न हों। वह कई शास्त्रों और ज्ञान की बातों का अध्ययन करती है और अपने जीवन में सुख-सुविधाओं को शामिल करती है। वह झूठी, पुरानी परंपराओं और अंधविश्वासों को तोड़ती है। समाज के हर कार्य और गतिविधि पर ध्यान देती है ताकि सभी लोग अच्छे, ईमानदार और देवता जैसे बन सकें।
कवि यह संदेश देते हैं कि नई नारी अब केवल घर तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह समाज को नई दिशा देने वाली शक्ति बन गई है। वह अपने श्रेष्ठ व्यवहार, सोच और कार्यों से न सिर्फ समाज को बदलती है, बल्कि पुरुषों की प्रशंसा और सम्मान भी प्राप्त करती है।
इसे भी पढ़ें:
- नई नारी कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 ॥ Nai Nari Kavita Ke Question Answer Class 8
- प्रियतम कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 ।। Priyatam Kavita Ka Prashn Uttar Class 8
- प्रियतम कविता की व्याख्या क्लास 8 ।। प्रियतम कविता का भावार्थ क्लास 8 ।। priyatam kavita ka bhavarth class 8
- जनगीत कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8।। Jan Geet Kavita Ka Question Answer Class 8
- जन गीत कविता का व्याख्या क्लास 8 , जन गीत कविता का भावार्थ क्लास 8, जन गीत कविता की व्याख्या
- यदि फूल नहीं बो सकते तो कविता का व्याख्या क्लास 8 ।। Yadi Phool Nahi Bo Sakte To Kavita Ka vyakhya Class 8
- यदि फूल नहीं बो सकते तो कविता का प्रश्न उत्तर क्लास 8 ।। Yadi Phool Nahi Bo Sakte To Kavita Ka Question Answer Class 8
- कोई नहीं पराया कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 , Koi Nahi Paraya Kavita Ka Question Answer Class 8
- कोई नहीं पराया कविता की व्याख्या क्लास 8, कोई नहीं पराया कविता का भावार्थ, Koi Nahi Paraya Ka Vyakhya Class 8