प्रियतम कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 ।। Priyatam Kavita Ka Prashn Uttar Class 8
आप सभी का इस आर्टिकल में स्वागत है आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से प्रियतम कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 को पढ़ने जा रहे हैं। जो पश्चिम बंगाल के सरकारी विद्यालय के कक्षा 8 के पाठ 3 प्रियतम से लिया गया है। तो चलिए प्रियतम कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8, Priyatam Kavita Ka Prashn Uttar Class 8 को देखें-
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1. विष्णु ने नारद को किसे अपना प्रधान भक्त बताया?
(क) लक्ष्मी को
(ख) राम को
(ग) सज्जन किसान को (✔)
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) सज्जन किसान को।
प्रश्न 2. ‘प्रियतम’ कविता के रचयिता का उपनाम है ?
(क) नीरज
(ख) निराला (✔)
(ग) पंत
(घ) अज्य
उत्तर :
(ख) निराला।
प्रश्न 3. सज्जन किसान ने दिन भर में कितनी बार ईश्वर का नाम लिया?
(क) छह बार
(ख) पाँच बार
(ग) चार बार
(घ) तीन बार (✔)
उत्तर :
(घ) तीन बार
प्रश्न 4. नारद का दूसरा नाम है –
(क) भक्त राज
(ख) देवराज
(ग) योगिराज (✔)
(घ) मुनिराज
उत्तर :
(ग) योगिराज
लघूत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1: नारद क्या पूछने विष्णु के पास गए?
उत्तर: नारद जी भगवान विष्णु के पास यह पूछने के लिए गए कि पृथ्वी पर उनका सबसे प्रिय और प्रमुख भक्त कौन है।
प्रश्न 2: नारद जी किसकी परीक्षा लेने उसके पास गए?
उत्तर: नारद जी भगवान विष्णु के प्रिय भक्त एक सज्जन किसान की परीक्षा लेने के लिए उसके पास गए।
प्रश्न 3: नारदजी भक्त के पास पहुँचकर क्या देखा?
उत्तर: नारद जी ने जब भक्त किसान के पास पहुँचकर देखा तो पाया कि वह किसान
- दोपहर को खेत से लौटते समय,
- शाम को घर आने पर, और
- सुबह काम पर जाते समय
भगवान राम का नाम लेता है।
इस प्रकार वह दिन में केवल तीन बार ही भगवान का नाम लेता था।
प्रश्न 4: नारदजी भगवान विष्णु के पास जाकर क्या बोले?
उत्तर: नारदजी भगवान विष्णु के पास जाकर बोले कि उन्होंने उस किसान को देखा है, वह तो दिन-भर में केवल तीन बार ही राम का नाम लेता है। फिर भी वह भगवान का सबसे प्रिय भक्त कैसे हो सकता है, यह बात उन्हें समझ में नहीं आ रही है।
प्रश्न 5: नारद ने लज्जित होकर क्या कहा?
उत्तर: नारद जी ने भगवान विष्णु की बात सुनकर अपनी भूल मान ली और लज्जित होकर कहा – “यह सत्य है।” उन्होंने स्वीकार किया कि किसान ही सच्चा भक्त है, क्योंकि वह अपने सभी कामों और जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी भगवान का नाम नहीं भूलता।
बोधमूलक प्रश्न :
प्रश्न: 1. नारदजी क्यों परेशान थे? उनकी परेशानी का समाधान किस प्रकार हुआ?
उत्तर: नारदजी इस बात से परेशान थे कि एक साधारण किसान, जो दिन में केवल तीन बार ही भगवान का नाम लेता है, वह विष्णु भगवान का सबसे प्रिय भक्त कैसे हो सकता है। उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही थी।
इसका समाधान करने के लिए भगवान विष्णु ने नारदजी को तेल से भरा एक पात्र दिया और कहा कि वह इसे लेकर पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करें, लेकिन ध्यान रखें कि तेल की एक भी बूँद न गिरे। नारदजी ने यह काम बड़ी सावधानी से पूरा किया और सफल होकर लौटे।
जब भगवान विष्णु ने पूछा कि उन्होंने इस दौरान कितनी बार भगवान का नाम लिया, तो नारदजी ने स्वीकार किया कि उन्होंने एक बार भी नाम नहीं लिया, क्योंकि उनका पूरा ध्यान दिए गए काम पर था।
तब भगवान ने समझाया कि किसान भी दिन-भर अपने काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों में व्यस्त रहता है, फिर भी वह तीन बार भगवान का नाम लेना नहीं भूलता। इसलिए वही सच्चा भक्त है।
इस तरह नारदजी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उनकी परेशानी का समाधान हो गया।
प्रश्न 2: निरालाजी ने कर्म और भक्ति का सामंजस्य किस प्रकार दर्शाया है, स्पष्ट करें?
उत्तर: निरालाजी ने अपनी कविता में यह स्पष्ट किया है कि कर्म (काम) और भक्ति दोनों को साथ लेकर चलना ही सच्चा धर्म है। उन्होंने बताया है कि जो व्यक्ति ईमानदारी से अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाता है और साथ ही ईश्वर का नाम भी लेता है, वही सच्चा भक्त होता है।
जो लोग कर्म को छोड़कर सिर्फ भक्ति करने का दिखावा करते हैं, वे भगवान के प्रिय नहीं हो सकते। संसार एक कर्मभूमि है, जहाँ हर किसी को अपना काम करना जरूरी है। बिना काम किए सिर्फ भगवान का नाम लेना अधूरी भक्ति मानी जाती है।
इस बात को निरालाजी ने एक किसान के उदाहरण से समझाया है। वह किसान दिनभर खेतों में मेहनत करता है, परिवार की जिम्मेदारियाँ निभाता है, लेकिन फिर भी सुबह, दोपहर और शाम – तीन बार राम का नाम जरूर लेता है। इसी कारण वह भगवान विष्णु का सबसे प्रिय भक्त है।
इस प्रकार निरालाजी ने यह संदेश दिया है कि कर्म करते हुए भक्ति करना ही सही मार्ग है और ऐसा व्यक्ति ही भगवान का सच्चा भक्त होता है।
प्रश्न 3: ‘नारद लज्जित हुए
कहा, “यह सत्य है।”‘
– उपरोक्त पंक्तियों का आशय सप्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह पंक्तियाँ सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा लिखित कविता ‘प्रियतम’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने यह बताया है कि सच्ची भक्ति वही है जो अपने कर्तव्यों को निभाते हुए भी की जाए।
नारद जी भगवान विष्णु से यह जानने के लिए गए थे कि पृथ्वी पर उनका सबसे प्रिय भक्त कौन है। भगवान ने एक किसान का नाम लिया। नारद जी को आश्चर्य हुआ कि एक साधारण किसान जो दिन में सिर्फ तीन बार भगवान का नाम लेता है, वह सबसे बड़ा भक्त कैसे हो सकता है।
इस संदेह को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने नारद जी को तेल से भरा एक पात्र देकर पृथ्वी की परिक्रमा करने को कहा और कहा कि तेल की एक भी बूँद न गिरे। नारद जी पूरी सावधानी से परिक्रमा करके लौटे। जब भगवान ने पूछा कि उन्होंने इस दौरान कितनी बार भगवान का नाम लिया, तो नारद जी ने स्वीकार किया कि उन्होंने एक बार भी भगवान का नाम नहीं लिया, क्योंकि उनका सारा ध्यान काम में लगा था।
तब भगवान विष्णु ने समझाया कि वही स्थिति उस किसान की भी है, जो अपने दिनभर के कठिन काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी तीन बार भगवान का नाम लेता है, इसलिए वह सच्चा भक्त है।
यह सुनकर नारद जी को अपनी गलती का अहसास हुआ, वे शर्मिंदा (लज्जित) हुए और उन्होंने स्वीकार किया –
“यह सत्य है।”
इस प्रकार यह पंक्तियाँ यह बताती हैं कि कर्तव्य के साथ की गई भक्ति ही सच्ची भक्ति होती है, और नारद जी ने यह सत्य स्वीकार कर लिया।
प्रश्न 4: नारदजी ने किस प्रकार किसान की परीक्षा ली? विष्णु ने उनकी शंका का समाधान किस प्रकार किया?
उत्तर: एक दिन नारदजी भगवान विष्णु के पास गए और उनसे पूछा कि पृथ्वी पर उनका सबसे प्रिय भक्त कौन है। भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि एक साधारण किसान उनका प्रियतम भक्त है। यह सुनकर नारदजी को आश्चर्य हुआ। उन्होंने उस किसान की परीक्षा लेने की इच्छा जाहिर की।
विष्णु जी की अनुमति लेकर नारद जी उस किसान के पास धरती पर पहुँचे। उन्होंने देखा कि किसान सुबह काम पर जाते समय, दोपहर को खेत से लौटते समय, और शाम को घर आने पर — केवल तीन बार भगवान का नाम लेता है। यह देखकर नारद जी सोच में पड़ गए कि दिनभर में केवल तीन बार नाम लेने वाला व्यक्ति भगवान को इतना प्रिय कैसे हो सकता है।
अपनी शंका दूर करने के लिए नारदजी ने फिर भगवान विष्णु से पूछा। भगवान विष्णु ने नारद जी को उत्तर देने से पहले एक कार्य सौंपा। उन्होंने नारद जी को तेल से भरा एक पात्र (बर्तन) दिया और कहा कि वे इसे लेकर पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करें, लेकिन ध्यान रखें कि तेल की एक बूँद भी नीचे न गिरे।
नारद जी ने पूरी सावधानी से पृथ्वी की यात्रा की और सफलता पूर्वक लौटे। जब भगवान ने उनसे पूछा कि उन्होंने इस दौरान कितनी बार भगवान का नाम लिया, तो नारद जी ने कहा, “एक बार भी नहीं, क्योंकि मेरा सारा ध्यान तेल बचाने में ही लगा था।”
इस पर भगवान विष्णु ने समझाया कि किसान भी दिनभर अपने कामों और जिम्मेदारियों में व्यस्त रहता है, फिर भी वह समय निकालकर तीन बार भगवान का नाम लेता है, यही उसकी सच्ची भक्ति है।
यह सुनकर नारद जी लज्जित हो गए और उन्होंने स्वीकार किया कि वह किसान सच में भगवान का सबसे प्रिय भक्त है।
विचार और कल्पना
प्रश्न.1. हल जोत रहे किसान का एक चित्र बनाकर कक्षा में प्रदर्शित कीजिए ।
प्रश्न.2. ‘मजदूर’ और ‘किसान’ दोनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एक संक्षिप्त निबंध लिखिए ।
मजदूर और किसान का महत्व
प्रस्तावना :
हमारे देश की उन्नति में मजदूर और किसान दोनों की बहुत बड़ी भूमिका होती है। किसान हमें अन्न देता है और मजदूर हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाने वाले काम करता है। दोनों ही हमारे समाज के आधार हैं।
किसान का महत्व :
किसान खेतों में मेहनत करके हमारे लिए अन्न, फल, सब्ज़ियाँ और अन्य चीजें उगाता है। गर्मी, सर्दी और बरसात की चिंता किए बिना वह खेतों में काम करता है। अगर किसान न हो तो हमें खाने को कुछ नहीं मिलेगा। इसलिए किसान को “देश का अन्नदाता” कहा जाता है।
मजदूर का महत्व :
मजदूर सड़कों, इमारतों, पुलों और कारखानों में काम करके देश को आगे बढ़ाता है। वह दिन-रात मेहनत करता है ताकि हमारे जीवन की चीजें तैयार हो सकें। मजदूर बिना थके मेहनत करता है, जिससे उद्योग और व्यापार चल सके।
दोनों का योगदान :
किसान और मजदूर दोनों मेहनती होते हैं। किसान खेती करता है, मजदूर निर्माण करता है। अगर ये दोनों न हों, तो न तो हमें खाना मिलेगा और न ही रहने की जगह। इनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
उपसंहार :
किसान और मजदूर दोनों समाज के रीढ़ हैं। हमें उनकी मेहनत की कद्र करनी चाहिए और उन्हें उचित सम्मान और सुविधा देनी चाहिए। इनकी मेहनत से ही हमारा देश मजबूत बनता है।
भाषा बोध :
1. निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह कर समास का नाम लिखिए –
- मृत्युलोक –
समास-विग्रह: मृत्यु का लोक
समास का नाम: तत्पुरुष समास - सज्जन –
समास-विग्रह: सत् है जो जन
समास का नाम: कर्मधारय समास - दोपहर –
समास-विग्रह: दूसरा पहर
समास का नाम: द्विगु समास - नामस्मरण –
समास-विग्रह: नाम का स्मरण
समास का नाम: षष्ठी तत्पुरुष समास
2. निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कर संधि का नाम लिखिए –
- उल्लास –
विच्छेद: “उद्” + “लास” = उल्लास
संधि का नाम: व्यंजन संधि (अनुस्वार और व्यंजन मिलकर लोप और परिवर्तन करते हैं) - प्रात:काल –
विच्छेद: “प्रात:” + “काल” = प्रात:काल
संधि का नाम: विसर्ग संधि (विसर्ग + क = विसर्ग बना रहता है)
नोट:
- “उल्लास” शब्द में “उद्” का “द्” व्यंजन “ल” के संपर्क में आने पर लोप हो जाता है और लोप के बाद “ल” का ही प्रयोग होता है, यह व्यंजन संधि का एक रूप है।
- “प्रात:काल” में “प्रात:” के अंत में विसर्ग है और “काल” के प्रारंभ में क वर्ण है, जो विसर्ग संधि के अंतर्गत आता है।
3. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए –
- विष्णु – हरि, नारायण, श्रीपति
- परीक्षा – इम्तहान, समीक्षा, परीक्षण
- प्रातःकाल – प्रभात, भोर, सबेरा
- इष्ट – इच्छित, अभीष्ट, वांछनीय
- विश्व – संसार, दुनिया, जगत
नोट:
- “प्रातःकाल” का सही रूप है प्रातःकाल (संस्कृत/हिंदी व्याकरण के अनुसार)।
- “परीक्षा” के लिए “परीक्षण” अधिक उपयुक्त और शुद्ध पर्यायवाची है बजाय “निरीक्षण” के, जो निरीक्षण (Observation) के अर्थ में प्रयुक्त होता है।
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