यदि फूल नहीं बो सकते तो कविता का प्रश्न उत्तर क्लास 8 ।। Yadi Phool Nahi Bo Sakte To Kavita Ka Question Answer Class 8
आप सभी का इस आर्टिकल में स्वागत है आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से यदि फूल नहीं बो सकते तो कविता का प्रश्न उत्तर क्लास 8 को पढ़ने जा रहे हैं। जो पश्चिम बंगाल के सरकारी विद्यालय के कक्षा 8 के पाठ 5 यदि फूल नहीं बो सकते तो से लिया गया है। तो चलिए यदि फूल नहीं बो सकते तो कविता प्रश्न उत्तर क्लास 8, yadi phool nahi bo sakte to kavita ka question answer class 8 को देखें-
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
‘यदि फूल नहीं बो सकते तो’ किस विधा की रचना है?
(क) कहानी
(ख) नाटक
(ग) कविता (✔)
(घ) एकांकी
उत्तर :
(ग) कविता
प्रश्न 2.
कवि के अनुसार किसका मन कमजोर है?
(क) दानव
(ख) मानव (✔)
(ग) राघव
(घ) उपरोक्त में कोई नहीं।
उत्तर :
(ख) मानव।
प्रश्न 3.
‘कटुता का शमन’ कहाँ होता है ?
(क) माता की शीतल छाया में
(ख) भाता के कोमल काया में
(ग) पिता के सान्निध्य में
(घ) उपरोक्त मे कोई नहीं (✔)
उत्तर :
(घ) उपरोक्त में कोई नहीं।
प्रश्न 4.
पग-पग पर शोर मचाने से क्या नहीं जमता है?
(क) विकल्प
(ख) संकल्प (✔)
(ग) कायाकल्प
(घ) प्रकल्प
उत्तर :
संकल्प।
लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1:
ममता की शीतल छाया में किसका शमन होता है?
उत्तर:
ममता की शीतल छाया में मन की कटुता का शमन होता है।
प्रश्न 2:
मन में संकल्प कब नहीं जमता है?
उत्तर:
हर पग पर निरंतर शोर मचाने से मन में संकल्प नहीं जमता है।
प्रश्न 3:
‘मारुत’ शब्द का प्रयोग कैसे व्यक्ति के लिए किया गया है?
उत्तर:
‘मारुत’ शब्द का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया है जो वायु (हवा) की तरह तेज, गतिशील और कर्तव्यनिष्ठ होता है।
वह व्यक्ति कभी रुकता नहीं, हर बाधा को पार करता है, और लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहता है।
प्रश्न 4:
कवि ने ‘चेतन’ किसे कहा है?
उत्तर:
कवि ने ‘चेतन’ उन प्रबुद्ध (सजग और समझदार) व्यक्तियों को कहा है,
जो सुख के समय भी सचेत रहते हैं, और अपने कर्तव्य व जिम्मेदारियों को नहीं भूलते।
बोध मूलक प्रश्न :
प्रश्न 1:
कवि अपने सपनों पर विश्वास करने के लिए क्यों कहते हैं?
उत्तर:
कवि कहते हैं कि मनुष्य को अपने सपनों पर विश्वास करना चाहिए, क्योंकि यही सपने उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
सपनों पर विश्वास करने से मनुष्य का आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
जब व्यक्ति अपने सपनों को सच्चाई मानकर कार्य करता है, तो उसमें नई सृजनात्मक शक्ति उत्पन्न होती है।
अगर मनुष्य के पास दृढ़ इच्छाशक्ति और कल्पना शक्ति हो, तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है।
बिना आत्मविश्वास के व्यक्ति कमजोर हो जाता है, इसलिए कवि चाहते हैं कि हर व्यक्ति अपने सपनों को सच मानकर आगे बढ़े।
प्रश्न 2:
कवि ने लोगों को क्या-क्या करने की सलाह दी है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ने लोगों को कई महत्वपूर्ण सलाहें दी हैं, जो जीवन को सही दिशा में ले जाती हैं। उन्होंने कहा है कि –
- सबको मानवता की भलाई करनी चाहिए।
- अगर किसी की भलाई न कर सकें, तो किसी का बुरा भी न करें।
- आपसी वैर-भाव और कटुता को दूर करके अपनत्व की भावना अपनाएँ।
- कठिनाइयों के समय में भी डटे रहें, भयभीत न हों, बल्कि हँसते रहें।
- अपने सपनों पर विश्वास करें और अतीत के दुखों को भूल जाएँ।
- सुख और ऐश्वर्य के समय भी सजग रहें, और कभी घमंड में आकर कर्तव्य से पीछे न हटें।
- विलासिता (आलसी और आराम पसंद) जीवन न अपनाएँ, बल्कि सादगी से जीवन जिएँ।
- मन में संदेह न पालें, क्योंकि संदेह से विश्वास और संकल्प कमजोर हो जाता है।
- पुराने और व्यर्थ विचारों को छोड़कर, नए और प्रगतिशील विचारों को अपनाने की कोशिश करें।
इस प्रकार, कवि ने जीवन को सफल और सार्थक बनाने के लिए सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास और सजगता की सलाह दी है।
प्रश्न 3.
प्रस्तुत कविता के मूल भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : इस कविता का मूल भाव यह है कि मनुष्य को सदैव सकारात्मक सोच, अच्छे विचारों और मधुर व्यवहार के साथ जीवन जीना चाहिए। कवि का मानना है कि यदि हम दूसरों की भलाई नहीं कर सकते, तो कम से कम उनका बुरा भी नहीं करना चाहिए। हमें आपसी वैर-भाव और कटुता को छोड़कर मधुरता अपनानी चाहिए, जिससे मन की शांति बनी रहे। व्यक्ति जब अपने भीतर पवित्रता और धैर्य बनाए रखता है, तब वह सच्चा सुख अनुभव करता है, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। अपने सपनों और कल्पनाओं पर विश्वास रखना आवश्यक है, क्योंकि यही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। अतीत के दुःखों को भुलाकर भविष्य की ओर देखना चाहिए, ताकि मन उदासी से मुक्त रह सके। सुख के समय भी सतर्क और विनम्र रहना चाहिए तथा कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। संदेह से बचना चाहिए, क्योंकि संदेह हमारे आत्मविश्वास और संकल्प को कमजोर कर देता है। कवि का यह भी संदेश है कि पुरानी और निरर्थक रूढ़ियों को त्यागकर नई और प्रगतिशील सोच को अपनाया जाए। कुल मिलाकर, यह कविता आत्म-विश्वास, सकारात्मक दृष्टिकोण और मानवीय मूल्यों के सहारे जीवन में सफलता और शांति पाने की प्रेरणा देती है।
प्रश्न 4:
‘अनसूना–अचीन्हा करने से संकट का वेग नहीं कमता’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय है कि यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में आने वाले संकटों और कठिनाइयों को नजरअंदाज करता है, उन्हें न तो सुनता है और न ही पहचानता है, तो इससे संकट कम नहीं होते।
संकट को अनदेखा करने से वह समाप्त नहीं होता, बल्कि धीरे-धीरे और बढ़ जाता है।
इसलिए हमें चाहिए कि हम संकट को पहचानें, उसका सामना करें और समय रहते उसका समाधान खोजें।
कवि यह संदेश देना चाहता है कि समस्या से भागना नहीं चाहिए, बल्कि साहस और समझदारी से उसका मुकाबला करना चाहिए।
प्रश्न.5. यदि फूल नहीं बो सकते तो कविता का सारांश लिखिए ।
कविता ‘यदि फूल नहीं बो सकते तो’ का सारांश
रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ द्वारा रचित कविता ‘यदि फूल नहीं बो सकते तो’ मानवीय संवेदना, कर्तव्य-बोध और सकारात्मक सोच पर आधारित एक प्रेरणात्मक रचना है। इस कविता में कवि ने जीवन को सच्चाई, करुणा और जागरूकता के साथ जीने की सलाह दी है। कवि कहते हैं कि यदि हम दूसरों के लिए कुछ अच्छा नहीं कर सकते, तो कम-से-कम उनका बुरा भी न करें। मानव मन बहुत कोमल और संवेदनशील होता है, इसलिए उसमें कटुता या द्वेष नहीं, बल्कि ममता और अपनत्व का भाव होना चाहिए।
कवि ने यह संदेश दिया है कि विपत्ति के समय डरकर रोने की बजाय साहस और धैर्य के साथ परिस्थिति का सामना करना चाहिए। जीवन में अपने सपनों पर विश्वास रखना चाहिए और अतीत के दुखों को बार-बार याद नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये केवल मन को और अधिक व्याकुल करते हैं। सुख के समय में भी मनुष्य को सजग और विनम्र रहना चाहिए और कभी भी घमंड में नहीं आना चाहिए।
कविता का अंतिम भाग मन में संकल्प और विश्वास की आवश्यकता पर बल देता है। कवि कहते हैं कि सिर्फ शोर मचाने या समस्याओं से मुँह मोड़ लेने से समाधान नहीं होता, बल्कि साहस, स्पष्ट सोच और निरंतर प्रयास से ही सफलता मिलती है। संदेह मन में विश्वास को टिकने नहीं देता, इसलिए जीवन में स्पष्टता और आत्म-विश्वास आवश्यक है।
कुल मिलाकर, यह कविता सिखाती है कि व्यक्ति को दूसरों के भले के लिए कार्य करना चाहिए, और यदि वह ऐसा न कर सके तो कम-से-कम किसी को हानि नहीं पहुँचानी चाहिए। यह रचना करुणा, विवेक, संकल्प और शांति का संदेश देती है।
विचार और कल्पना
प्रश्न.1. ‘सज्जन’ बनने के लिए आप अपने भीतर किन गुणों को विकसित करेंगे ?
उत्तर:
‘सज्जन’ बनने के लिए मैं अपने भीतर निम्नलिखित अच्छे गुणों को विकसित करूंगा—
- ईमानदारी – मैं हमेशा सच बोलूंगा और गलत कामों से दूर रहूंगा।
- दयालुता – दूसरों की मदद करूंगा और किसी को दुख नहीं पहुँचाऊंगा।
- नम्रता – मैं अपने व्यवहार में विनम्र और शिष्ट रहूंगा।
- सहनशीलता – कठिन परिस्थितियों में धैर्य रखूंगा और गुस्सा नहीं करूंगा।
- कर्तव्यनिष्ठा – अपने सभी कार्य समय पर और जिम्मेदारी के साथ करूंगा।
- सम्मान भाव – बड़ों, गुरुओं और दूसरों का आदर करूंगा।
- सच्ची मित्रता – मैं दूसरों के साथ विश्वास और सहयोग से व्यवहार करूंगा।
इन सभी गुणों को अपनाकर ही कोई व्यक्ति सज्जन बन सकता है और समाज में आदरणीय स्थान प्राप्त कर सकता है।
प्रश्न.2. स्वतंत्र भारत को तोड़ने वाली कौन-कौन सी प्रमुख समस्याएं हैं बताइए?
उत्तर:
स्वतंत्र भारत को तोड़ने वाली कुछ प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं:
- भ्रष्टाचार – यह सबसे बड़ी समस्या है जो देश की प्रगति में बाधा बनती है और लोगों का विश्वास कम करती है।
- धार्मिक और जातीय भेदभाव – धर्म और जाति के नाम पर समाज में तनाव और लड़ाइयाँ होती हैं, जिससे एकता कमजोर होती है।
- क्षेत्रवाद – लोग अपने राज्य, भाषा या क्षेत्र को सर्वोपरि मानते हैं और दूसरों से भेदभाव करते हैं।
- अशिक्षा – शिक्षा की कमी से लोग अंधविश्वास और गलत विचारों के शिकार हो जाते हैं।
- बेरोजगारी – काम की कमी से युवा वर्ग हताश होता है और गलत रास्तों पर चल पड़ता है।
- आर्थिक असमानता – अमीर और गरीब के बीच की खाई बहुत बड़ी है, जिससे सामाजिक असंतुलन पैदा होता है।
- राजनीतिक स्वार्थ – कुछ नेता अपने निजी लाभ के लिए समाज को बाँटने का काम करते हैं।
निष्कर्ष:
इन समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब सभी नागरिक मिलकर एकता, समानता और भाईचारे की भावना को अपनाएँ और देशहित को सर्वोपरि रखें।
भाषा बोध :
1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए –
शीतल , कटुता , कातर, शोर, मुर्दा
शीतल – उष्ण
कटुता – मधुरता
कातर – निडर / साहसी
शोर – शांति
मुर्दा – ज़िन्दा
2. निम्नलिखित शब्दों का वचन परिवर्तित कीजिए –
ज्वालाएँ, नयन, काँटे, रीति, साँसों
ज्वालाएँ (बहुवचन) – ज्वाला (एकवचन)
नयन (एकवचन) – नयनों (बहुवचन)
काँटे (बहुवचन) – काँटा (एकवचन)
रीति (एकवचन) – रीतियाँ (बहुवचन)
साँसों (बहुवचन) – साँस (एकवचन)
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