आपके प्रिय युगपुरुष पर निबंध 300, 400, 500 और 600 शब्दों में ॥ Aapke Priya Yugpurush Par Nibandh
आपके प्रिय युगपुरुष पर निबंध 300 शब्दों में
प्रस्तावना
युगपुरुष वह होता है जो अपने आदर्शों, कर्मों और विचारों से युग को दिशा देता है। मेरे प्रिय युगपुरुष महात्मा गांधी ऐसे महान व्यक्तित्व थे जिन्होंने सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर भारत को आज़ादी दिलाई। उन्होंने केवल राष्ट्र को स्वतंत्र नहीं कराया बल्कि विश्व को नैतिकता और मानवता का अमूल्य संदेश भी दिया। उनका जीवन समर्पण, सादगी और सेवा का अद्भुत उदाहरण है।
गांधीजी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्होंने लंदन से कानून की पढ़ाई की और दक्षिण अफ्रीका में अन्याय के विरुद्ध सत्य और अहिंसा के बल पर संघर्ष किया। भारत लौटकर उन्होंने आज़ादी के लिए असहयोग, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया।
उनके प्रमुख कार्य
महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में अनेक ऐतिहासिक आंदोलनों का नेतृत्व किया। उन्होंने असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से अंग्रेज़ों के विरुद्ध अहिंसात्मक संघर्ष किया। गांधीजी ने समाज में व्याप्त छुआछूत, जातिवाद और शराब जैसी बुराइयों के खिलाफ जनजागरण किया। उन्होंने खादी और स्वदेशी के प्रचार से आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। उनका अंतिम उद्देश्य था – “स्वराज” और “रामराज्य” की स्थापना करना।
उनके विचार
महात्मा गांधी के विचार सत्य, अहिंसा, प्रेम और नैतिकता पर आधारित थे। वे “सादा जीवन, उच्च विचार” के समर्थक थे और मानते थे कि अहिंसा ही मानवता का सर्वोच्च धर्म है। उन्होंने सत्य को ईश्वर और सेवा को जीवन का उद्देश्य माना। गांधीजी ने स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और नैतिक आचरण को समाज सुधार का आधार बनाया। उनके विचार आज भी विश्वभर में शांति, समानता और मानवता के प्रतीक के रूप में प्रासंगिक हैं।
उपसंहार
महात्मा गांधी एक ऐसे युगपुरुष थे जिन्होंने अपने सत्य, अहिंसा और प्रेम के संदेश से पूरे विश्व को प्रेरित किया। उन्होंने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि मानवता को नैतिकता और शांति का मार्ग दिखाया। आज भी उनके विचार हमें एक बेहतर समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण की दिशा में प्रेरित करते हैं। उनके आदर्शों पर चलकर ही हम एक शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं।
आपके प्रिय युगपुरुष पर निबंध 400 शब्दों में
प्रस्तावना
हर युग में कुछ ऐसे महान व्यक्ति जन्म लेते हैं जो अपने विचारों, कर्मों और आदर्शों से समाज और देश की दिशा बदल देते हैं। ऐसे ही युगपुरुष महात्मा गांधी थे, जिन्होंने सत्य, अहिंसा और प्रेम के बल पर न केवल भारत को स्वतंत्र कराया, बल्कि पूरी दुनिया को शांति और मानवता का संदेश दिया। उनका जीवन “सादा जीवन, उच्च विचार” का प्रतीक था। गांधीजी आज भी विश्वभर में सत्य, नैतिकता और न्याय के प्रतीक माने जाते हैं।
प्रारंभिक जीवन
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत के दीवान थे और माता पुतलीबाई धर्मनिष्ठ और सादगीपूर्ण स्वभाव की थीं। गांधीजी का बचपन सादगी, अनुशासन और धार्मिक संस्कारों से ओत-प्रोत था। उन्होंने बचपन से ही सत्य बोलने, अहिंसा और ईमानदारी का पालन करना सीखा। इन मूल्यों ने आगे चलकर उनके जीवन और विचारों की नींव रखी।
शिक्षा और संघर्ष
महात्मा गांधी ने प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए लंदन गए, जहाँ उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी की। वकालत के दौरान उन्हें दक्षिण अफ्रीका में अन्याय और भेदभाव का सामना करना पड़ा। वहीं से उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों को अपने जीवन का मार्ग बनाया। भारत लौटकर गांधीजी ने किसानों, मजदूरों और गरीबों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अनेक जनआंदोलनों का नेतृत्व किया।
स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका
महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। उन्होंने असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसात्मक आंदोलनों के माध्यम से अंग्रेजी शासन को चुनौती दी। गांधीजी ने चरखा चलाकर स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा दिया और आत्मनिर्भर भारत का संदेश दिया। वे ग्राम स्वराज के समर्थक थे, जहाँ हर व्यक्ति आत्मनिर्भर और समान अधिकारों से युक्त हो। उनके नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम एक जनआंदोलन बन गया।
उनके विचार और शिक्षाएँ
महात्मा गांधी के विचार सत्य, अहिंसा, प्रेम और आत्मसंयम पर आधारित थे। वे मानते थे कि “अहिंसा ही सबसे बड़ी शक्ति है” और “यदि हम सत्य और अहिंसा पर टिके रहें, तो कोई शक्ति हमें झुका नहीं सकती।” उन्होंने सादा जीवन, उच्च विचार का आदर्श प्रस्तुत किया। गांधीजी ने समाज से अंधविश्वास, छुआछूत और असमानता मिटाने का संदेश दिया। उनके जीवन की प्रत्येक शिक्षा मानवता, सेवा और नैतिकता की दिशा में प्रेरणा देती है।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी का जीवन सत्य, अहिंसा और सेवा का अद्भुत संगम है। वे केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि एक ऐसी विचारधारा हैं जो मानवता को सही मार्ग दिखाती है। उनका जीवन हमें सादगी, नैतिकता और समर्पण का संदेश देता है। आज भी यदि हम उनके आदर्शों पर चलें, तो समाज में शांति, एकता और न्याय स्थापित हो सकता है। गांधीजी के सिद्धांतों का पालन करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।
आपके प्रिय युगपुरुष पर निबंध 500 शब्दों में
भूमिका
युगपुरुष वह होता है जो अपने आदर्शों, त्याग, विचारों और कर्मों से समाज व राष्ट्र की चेतना को नई दिशा देता है। मेरे प्रिय युगपुरुष महात्मा गांधी ऐसे ही महान व्यक्ति थे, जिन्होंने सत्य, अहिंसा और प्रेम के बल पर भारत को अंग्रेज़ों की गुलामी से मुक्त कराया। उन्होंने चरखा और स्वदेशी के माध्यम से आत्मनिर्भरता का संदेश दिया तथा समाज से छुआछूत, अन्याय और असमानता को मिटाने का प्रयास किया। गांधीजी का जीवन संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे।
जीवन परिचय
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत के दीवान थे और माता पुतलीबाई अत्यंत धार्मिक स्वभाव की थीं। गांधीजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए लंदन जाकर वकालत की पढ़ाई की। वकालत के दौरान दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने रंगभेद का विरोध किया और वहीं “सत्याग्रह” का पहला प्रयोग किया, जिसने आगे चलकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी।
भारत में उनके प्रमुख आंदोलन
भारत लौटने के बाद महात्मा गांधी ने देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने किसानों, मजदूरों और आम जनता की समस्याओं को समझा और उनके अधिकारों के लिए अहिंसात्मक संघर्ष शुरू किया। असहयोग आंदोलन (1920), नमक सत्याग्रह (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) जैसे आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। गांधीजी की “स्वदेशी नीति” ने देश में आत्मनिर्भरता, स्वावलंबन और राष्ट्रीय एकता की भावना को सशक्त बनाया। उनके नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन एक जनआंदोलन बन गया।
विचार और दर्शन
महात्मा गांधी का जीवन और दर्शन सत्य, अहिंसा और नैतिकता पर आधारित था। वे मानते थे कि “सत्य” और “अहिंसा” ही मानवता के सबसे शक्तिशाली हथियार हैं। उनका जीवन सादगी, आत्मसंयम और सेवा का आदर्श उदाहरण था। गांधीजी का यह प्रसिद्ध कथन — “तुम वह परिवर्तन बनो जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो” — आज भी लोगों को प्रेरित करता है। उन्होंने समाज से अन्याय, भेदभाव और हिंसा मिटाने का संदेश दिया। उनके विचार आज भी विश्व में शांति और मानवता के प्रतीक हैं।
समाज सुधार में योगदान
महात्मा गांधी ने समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने छुआछूत, जातिवाद, बालविवाह, शराबबंदी और अशिक्षा जैसी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध संघर्ष किया। गांधीजी ने “हरिजन” शब्द का प्रयोग कर अस्पृश्यता को मिटाने और सबको समान सम्मान दिलाने का प्रयास किया। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा और समान अधिकार दिलाने के लिए लोगों को जागरूक किया। गांधीजी का सपना था कि भारत ग्राम्य जीवन पर आधारित एक आत्मनिर्भर, नैतिक और न्यायपूर्ण राष्ट्र बने जहाँ हर व्यक्ति समान अधिकारों के साथ जीवन जी सके।
उपसंहार
महात्मा गांधी का जीवन सत्य, अहिंसा और त्याग का उज्ज्वल उदाहरण है। वे केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नेता ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के युगपुरुष हैं। उनके सिद्धांतों ने न केवल भारत को आज़ादी दिलाई, बल्कि विश्व को शांति और नैतिकता का मार्ग भी दिखाया। आज के युग में भी उनके विचार उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता संग्राम के समय थे। गांधीजी के आदर्शों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
आपके प्रिय युगपुरुष पर निबंध 600 शब्दों में
भूमिका
इतिहास के हर युग में कुछ ऐसे महापुरुष जन्म लेते हैं जो अपने विचारों, आदर्शों और कर्मों से समाज और राष्ट्र की दिशा बदल देते हैं। ऐसे ही महान युगपुरुष थे महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी। उन्होंने सत्य, अहिंसा और नैतिकता को जीवन का आधार बनाया और इन्हीं सिद्धांतों के बल पर भारत को अंग्रेज़ों की गुलामी से मुक्त कराया। गांधीजी ने अन्याय और हिंसा के विरुद्ध शांतिपूर्ण मार्ग अपनाकर पूरी दुनिया को मानवता, सहिष्णुता और आत्मबल की नई राह दिखाई। उनका जीवन सादगी, आत्मसंयम और सेवा का प्रतीक था, जो आज भी प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
जन्म और शिक्षा
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे और माता पुतलीबाई अत्यंत धार्मिक, सहनशील और करुणामयी स्वभाव की थीं। बचपन से ही गांधीजी पर सत्य, अहिंसा और धर्म के गहरे संस्कार थे। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए लंदन जाकर वकालत की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका में रहकर उन्होंने रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया और वहीं “सत्याग्रह” का पहला सफल प्रयोग किया, जिसने उनके जीवन को नई दिशा दी।
भारत वापसी और स्वतंत्रता संग्राम
महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और देश की सामाजिक व आर्थिक स्थिति का गहन अध्ययन किया। उन्होंने किसानों, मजदूरों और गरीबों की कठिनाइयों को समझा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष आरंभ किया। चंपारण आंदोलन से उन्होंने भारत में अपने सत्याग्रह का पहला प्रयोग किया, जिसने अंग्रेज़ी शासन को हिला दिया। इसके बाद असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों के माध्यम से उन्होंने जनता को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा। गांधीजी ने चरखा और खादी को आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशी का प्रतीक बनाकर राष्ट्र को एकता और स्वाभिमान का संदेश दिया।
सामाजिक सुधार और राष्ट्र निर्माण
महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ समाज सुधार को भी अपने जीवन का महत्वपूर्ण उद्देश्य बनाया। उन्होंने छुआछूत, अस्पृश्यता, बालविवाह, शराबबंदी और अशिक्षा जैसी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध संघर्ष किया। गांधीजी ने “हरिजन आंदोलन” के माध्यम से दलितों और वंचितों को समाज में सम्मान और समान अधिकार दिलाने का प्रयास किया। वे ग्राम स्वराज के समर्थक थे और चाहते थे कि हर व्यक्ति स्वावलंबी बने तथा गांव आत्मनिर्भर इकाइयों में विकसित हों। गांधीजी के इन प्रयासों ने भारत के राष्ट्र निर्माण की मजबूत नींव रखी।
गांधीजी के विचार
महात्मा गांधी का जीवन “सादा जीवन, उच्च विचार” का जीवंत उदाहरण था। वे मानते थे कि “अहिंसा मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है।” उनके अनुसार, सच्ची प्रगति तभी संभव है जब समाज में नैतिकता, आत्मानुशासन और करुणा का पालन हो। गांधीजी ने राजनीति में नैतिक मूल्यों का समावेश किया और जनसेवा को सर्वोच्च धर्म माना। उनका विश्वास था कि व्यक्ति की आत्मशुद्धि और सादगी ही राष्ट्र के उत्थान का आधार है। उनके विचार आज भी मानवता, शांति और समानता के मार्गदर्शक बने हुए हैं।
विश्व पर प्रभाव
महात्मा गांधी केवल भारत के ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के प्रेरणास्रोत बने। उनके सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा जैसे विश्व नेताओं को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि बिना हिंसा और युद्ध के भी सामाजिक तथा राजनीतिक परिवर्तन संभव हैं। गांधीजी की विचारधारा ने दुनिया को शांति, सहिष्णुता और मानवता का मार्ग दिखाया। आज भी उनका संदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्याय, समानता और भाईचारे की प्रेरणा देता है।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी केवल एक युगपुरुष नहीं, बल्कि एक जीवंत विचारधारा हैं, जिनका प्रभाव आज भी पूरे विश्व पर है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सत्य, अहिंसा और नैतिकता के मार्ग पर चलकर कोई भी व्यक्ति या राष्ट्र महान बन सकता है। गांधीजी का यह विश्वास — “सत्य ही ईश्वर है” — जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन देता है। यदि हम उनके सिद्धांतों को अपने आचरण में अपनाएँ, तो न केवल एक शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण होगा, बल्कि आत्मनिर्भर और सशक्त भारत का सपना भी साकार किया जा सकेगा।
आपके प्रिय युगपुरुष पर निबंध 10 लाइन में
- मेरे प्रिय युगपुरुष महात्मा गांधी हैं।
- उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ।
- उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
- उन्होंने लंदन से वकालत की पढ़ाई की।
- दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने सत्याग्रह का प्रयोग किया।
- उन्होंने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया।
- गांधीजी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया।
- उन्होंने छुआछूत और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई।
- उन्होंने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर बल दिया।
- वे सच्चे अर्थों में भारत के महान युगपुरुष थे।
आपके प्रिय युगपुरुष पर निबंध 20 लाइन में
- युगपुरुष वह होता है जो समाज को नई दिशा देता है।
- मेरे प्रिय युगपुरुष महात्मा गांधी हैं।
- उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ।
- उनके पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई थीं।
- गांधीजी बचपन से ही ईमानदार और सादगीप्रिय थे।
- उन्होंने लंदन से वकालत की पढ़ाई की।
- दक्षिण अफ्रीका में अन्याय के खिलाफ उन्होंने संघर्ष किया।
- वहीं से उन्होंने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया।
- भारत लौटकर उन्होंने किसानों और मजदूरों की मदद की।
- उन्होंने असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह चलाया।
- उनका उद्देश्य था अंग्रेजों से आज़ादी प्राप्त करना।
- उन्होंने चरखा चलाकर स्वदेशी का संदेश दिया।
- गांधीजी ने छुआछूत, अशिक्षा और नशे के खिलाफ अभियान चलाया।
- वे सादा जीवन और उच्च विचार के समर्थक थे।
- उन्होंने महिलाओं के उत्थान का समर्थन किया।
- गांधीजी ने कहा, “अहिंसा सबसे बड़ी शक्ति है।”
- उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया।
- उनका हर कार्य मानवता की सेवा के लिए था।
- 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या कर दी गई।
- वे सदा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।
आपके प्रिय युगपुरुष पर निबंध 30 लाइन में
- युगपुरुष वह होता है जो अपने कर्मों से समाज का मार्गदर्शन करे।
- मेरे प्रिय युगपुरुष महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी हैं।
- उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में हुआ।
- उनके पिता करमचंद गांधी दीवान थे और माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की थीं।
- बचपन से ही गांधीजी में सत्य, ईमानदारी और धर्म के संस्कार थे।
- उन्होंने लंदन जाकर वकालत की पढ़ाई की।
- दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने पहली बार सत्याग्रह का प्रयोग किया।
- वहाँ उन्होंने रंगभेद और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया।
- भारत लौटने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
- उन्होंने असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया।
- नमक सत्याग्रह उनके महान आंदोलनों में से एक था।
- उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन से अंग्रेजों को देश छोड़ने पर मजबूर किया।
- गांधीजी ने चरखा चलाकर स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का संदेश दिया।
- उन्होंने गांवों में आत्मनिर्भरता और शिक्षा पर जोर दिया।
- उन्होंने छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ अभियान चलाया।
- वे महिलाओं की समानता और सशक्तिकरण के पक्षधर थे।
- गांधीजी ने “सादा जीवन, उच्च विचार” को अपनाया।
- वे सत्य और अहिंसा को मानवता का सर्वोच्च धर्म मानते थे।
- उन्होंने कहा — “यदि हम सत्य पर टिके रहें, तो कोई हमें नहीं झुका सकता।”
- उन्होंने राजनीति में नैतिकता का समावेश किया।
- गांधीजी का जीवन पूरी मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत है।
- उनका उद्देश्य था – स्वराज और रामराज्य की स्थापना।
- उन्होंने समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना की।
- उनके आदर्शों को पूरी दुनिया ने स्वीकार किया।
- मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला भी उनसे प्रेरित हुए।
- गांधीजी का जीवन सेवा और त्याग का प्रतीक था।
- वे सच्चे अर्थों में भारत के राष्ट्रपिता हैं।
- 30 जनवरी 1948 को एक आतंकी ने उनकी हत्या कर दी।
- उनका जीवन आज भी हमें सही दिशा दिखाता है।
- गांधीजी सदैव एक युगपुरुष के रूप में स्मरण किए जाते रहेंगे।
इसे भी पढ़ें:
- स्वस्थ जीवन शैली पर निबंध ॥ Swasth Jivan Shaili Par Nibandh
- स्वस्थ जीवन पर निबंध ॥ Swasth Jeevan Par Nibandh
- एकता का महत्व पर निबंध ॥ Ekta Ka Mahatva Par Nibandh
- पुस्तक प्रदर्शनी पर निबंध ॥ Pustak Pradarshani Par Nibandh
- एक रोमांचक यात्रा पर निबंध ॥ Ek Romanchak Yatra Par Nibandh
- छात्र जीवन में राजनीति पर निबंध ॥ Chhatra Jivan Mein Rajniti Par Nibandh
- प्रौढ़ शिक्षा पर निबंध ॥ Praudh Shiksha Par Nibandh
- आरक्षण पर निबंध ॥ Aarakshan Par Nibandh
- मेरी पहली यात्रा पर निबंध ॥ Meri Pehli Yatra Par Nibandh
- वृक्षारोपण पर निबंध ॥ Vriksharopan Par Nibandh
- प्रदूषण समस्या और समाधान पर निबंध ॥ Pradushan Ki Samasya Aur Samadhan Par Nibandh
- ऋतुराज बसंत पर निबंध ॥ Rituraj Basant Par Nibandh
- विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध ॥ Vigyan Vardan Ya Abhishap Par Nibandh
- जीवन में खेल का महत्व पर निबंध
- जीवन में स्वच्छता का महत्व पर निबंध ॥ Jeevan Mein Swachhata Ka Mahatva Par Nibandh
- पुस्तकालय का महत्व पर निबंध 300, 400, 500, 600 शब्दों में पूरी रूपरेखा के साथ
- मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध ॥ Mere Jeevan Ka Lakshya Par Nibandh
- विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध ॥ Vidyarthi Aur Anushasan Par Nibandh
- इंटरनेट वरदान या अभिशाप पर निबंध ॥ Internet Vardan Ya Abhishap Par Nibandh
- मूल्य वृद्धि की समस्या पर निबंध ॥ Mulya Vriddhi Ki Samasya Par Nibandh
- नदी के जल प्रदूषण पर निबंध ॥ Nadi Ke Jal Pradushan Par Nibandh
- कोलकाता की आत्मकथा पर निबंध ॥ Kolkata Ki Atmakatha Par Nibandh
- गंगा की आत्मकथा पर निबंध ॥ Ganga Ki Atmakatha Par Nibandh
- मोबाइल फोन पर निबंध ॥ Mobile Phone Par Nibandh
- मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध ॥ Mere Jeevan Ka Lakshya Par Nibandh
- छठ पूजा पर निबंध ॥ chhath puja par nibandh ॥ पूरी रूपरेखा के साथ
