शिक्षण सहायक सामग्री (teaching learning material- TLM)
अक्सर हमने यह देखा हैं कि अध्यापक एवं अध्यापिका क्लास रूम में विभिन्न शिक्षण सहायक सामग्री (teaching learning material -TLM) का प्रयोग करते हैं आज हम शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग शिक्षक क्यों करते हैं तथा उनके प्रकार आवश्यकता तथा विशेषता के बारे में हम पढ़ेंगे।
क्लासरूम को रोचक एवं प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षक विभिन्न तकनीकों एवं उपकरणों का प्रयोग करते हैं उन्हीं को शिक्षण सहायक सामग्री कहते हैं।
शिक्षण सहायक सामग्री (teaching learning material -TLM) का प्रयोग शिक्षक क्यों करते हैं?
अध्यापन अधिगम की जो प्रक्रिया है उसे सरल एवं प्रभावकारी या रूचिकर बनाने के लिए शिक्षक विभिन्न प्रकार के उपकरणों का प्रयोग करते हैं जिससे शिक्षक को कठिन से कठिन विषय को अध्यापन या कहे पढ़ाने में आसानी होती है और छात्र-छात्राओं या कहें बच्चों को आसानी से समझ भी आ जाता है और समय की बचत होती हैं। क्योंकि बच्चे देखकर और करके बहुत जल्दी सीख पाते हैं। इसलिए शिक्षक शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग करते हैं।
teaching aids for hindi
शिक्षण सहायक सामग्री के प्रकार (shikshan sahayak samagri ke prakar)
जैसे कि हमने ऊपर पढ़ा कि शिक्षक को शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग क्यों पड़ता है? इसे मद्देनजर रखते हुए शिक्षण सहायक सामग्री को तीन भागों में बांटा गया है –
१. दृश्य सहायक सामग्री (visual aids)
२. श्रव्य सहायक सामग्री (audio aids)
३. दृश्य श्रव्य सहायक सामग्री (visual audio aids)
1. दृश्य सहायक सामग्री (visual aids material) : –
दृश्य सहायक सामग्री जिसे अंग्रेजी में visual aids भी कहते हैं जिसका अर्थ है प्रत्यक्ष रुप से देखना। यह ऐसे सामग्री है जिसे हम अपने आंखों से देख सकते हैं यह सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक सहायक सामग्री है जिसका प्रयोग शिक्षक हमेशा करते हैं प्रतिदिन अपने अध्यापन-अधिगम की प्रक्रिया में करते ही हैं जैसे पुस्तक, श्यामपट्ट, चोख, डस्टर, संकेतक, चित्र, मानचित्र, ग्राफ, चार्ट, पोस्टर, बुलेटिन बोर्ड, संग्रहालय, प्रोजेक्टर और भी महत्वपूर्ण दृश्य सहायक सामग्री।(teaching aids for hindi)
i. वास्तविक पदार्थ (ground substance):-
वास्तविक पदार्थ वे पदार्थ होते हैं इससे बालक देखकर तथा छूकर सकता है। बालक पदार्थ छूकर तथा देखकर निरीक्षण एवं परीक्षण करता है जिससे बालक के ज्ञान इंद्रियों विकास होता है साथ ही उनके सोचने समझने या अवलोकन शक्ति का विकास होता है।
ii. नमूने (model) :-
जब वास्तविक पदार्थ को क्लास रूम में नहीं लाया जा सकता या उसके आकार इतनी बड़ी होती है या वह उपलब्ध ही नहीं होता कि उसे कक्षा में नहीं लाया जा सकता तब उसकी नमूने या model तैयार करें कक्षा में दिखाया जाता है जिससे बालक को आसानी से समझाया जा सके। जैसे जल-चक्र की प्रक्रिया, ज्वालामुखी, हवाई जहाज, इत्यादि।
iii. चित्र (image) :-
चित्र बहुत ज्यादा बच्चों को प्रभावित करता है बच्चे चित्रों को देखकर वास्तविकता में खो जाते हैं इसलिए शिक्षक भी किसी भी कहानी या विज्ञान या अन्य किसी भी विषय संबंधित चित्र को बच्चों के सामने प्रस्तुत करते है ताकि उन्हें दिखा कर समझाया जा सके। चित्र के माध्यम से सिखाई गई बातें बच्चों को अधिक समय तक याद भी रहती है साथ में चित्रों को आसानी से कक्षा में दिखाया जा सकता है इसलिए शिक्षक कक्षा में किसी भी विषय को समझाने के लिए चित्र का प्रयोग करते हैं जैसे पौधे के विभिन्न भाग, ह्रदय, कहानी भी । चित्र को बच्चों के सामने प्रस्तुत करने से पहले शिक्षक को दो बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है-
- a)चित्र स्पष्ट होना चाहिएरंगीन तथा आकर्षक होना चाहिए जिससे बालक रुचि लगे जिससे उन्हें वास्तविकता का अनुभव हो पाठ से संबंधित मुख्य बातें दिखानी चाहिए या तो जरूरी है उन्हीं दर्शानी चाहिए।
- b)चित्र काआकार इतना बड़ा हो कक्षा में पीछे बैठे विद्यार्थी को भी आसानी से दिखाई दे उनके अंदर अगर कुछ लिखा हो तो वे भी स्पष्ट या साफ-साफ दिखाई दे।
iv. मानचित्र (map):-
मानचित्र का प्रयोग हम तभी करते हैं जब हमें बच्चों को ऐतिहासिक घटनाओं तथा भौगोलिक तत्व या स्थानों के बारे में बताना होता है मानचित्र का प्रयोग करते समय शिक्षकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे कि उनके ऊपर नाम, शीर्षक, दिशा तथा संकेत आदि आवश्यक लिखा हो।
v. रेखा चित्र (sketch):-
रेखा चित्र की आवश्यकता हमें तभी पड़ती है जब हमें किसी भी वास्तविक पदार्थ या मॉडल या मानचित्र नहीं हो तो हम बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर या वाइट बोर्ड पर रेखा चित्र या sketch बनाकर दिखाते हैं जैसे भारत के नक्शा बनाकर किसी भी राज्य को दिखाना, किसी भी महापुरुषों के या नेताओं के चित्र बना कर दिखाना जैसे महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, इंदिरा गांधी इत्यादि।
vi. ग्राफ (graph) :-
एक शिक्षक ग्राफ का प्रयोग तभी करता है जब उन्हें किसी भी बढ़ती या घटती स्वरूप को दिखाना होता है ग्राफ का प्रयोग कई विषयों में किया जाता है जैसे भूगोल, इतिहास, गणित, विज्ञान जैसे विषयों में भी या जाता है भूगोल विषय में जलवायु, उपज तथा जनसंख्या आदि के विषय में जानकारी देने के लिए ग्राफ का प्रयोग या जाता है साथ ही गणित तथा विज्ञान शिक्षण में ग्राफ का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है।
vii. चार्ट (chart):-
चार्ट का प्रयोग हिंदी, अंग्रेजी, भूगोल, इतिहास, अर्थशास्त्र, नागरिकशास्त्र, गणित तथा विज्ञान विषय में किया जाता है। जैसे :- हिंदी में या अंग्रेजी में व्याकरण में संज्ञा के विभिन्न रूपों को दर्शाना। भूगोल में गेहूं की उपज भारत में किन-किन राज्यों में उपज होती हैं उन्हें बताना। इत्यादि।
viii. बुलेटिन बोर्ड (bulletin board) :-
बुलेटिन बोर्ड वह बोर्ड होती है जहां बालक देश की राजनीति, आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के संबंध में चित्र, ग्राम, आकृति, लेख या आवश्यक सूचनाओं को प्रदर्शित करते हैं बुलेटिन बोर्ड से बालक के ज्ञान में निरंतर वृद्धि होती है बुलेटिन बोर्ड को इतनी ऊंचाई पर लगानी चाहिए ताकि बच्चे उन्हें देखकर आसानी से समझ सके और उससे ज्ञान हासिल कर सकें बुलेटिन बोर्ड शिक्षक एवं बालक दोनों ही उपयोग कर सकते हैं शिक्षक एवं बालक द्वारा प्राप्त सामग्री को बुलेटिन बोर्ड में दिखाया जाता है यह बहुत ही आकर्षक एवं रोचक होता है या आधुनिक शिक्षा प्रणाली का एक अहम हिस्सा है।
ix. संग्रहालय (Museum) :-
बालक के ज्ञान को बढ़ाने के लिए संग्रहालय भी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण उपकरण है इसमें सभी वस्तुओं को एक जगह रखा जाता है इन वस्तुओं से पाठ को और भी रोचक एवं संजीव बनाया। संग्रहालय एकत्रित वस्तुएं जोकि भूगोल, इतिहास, गणित, विज्ञान जैसे विषयों में बहुत ज्यादा सहायक होता है इसे हमें अपने इतिहास के बारे में भी पता चलता है।
x. प्रोजेक्टर (projector):-
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सबसे ज्यादा प्रयोग किए जाने वाले उपकरण में से प्रोजेक्टर सबसे अहम भूमिका निभाते हैं प्रोजेक्टर के माध्यम से अध्यापन-अधिगम को और भी सरल एवं रोचक बनाया जाता है रूचिकर एवं प्रभावशाली होते हैं प्रोजेक्ट एक ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से बालक को सजीव एवं वास्तविकता का अनुभव होता है क्योंकि इसके माध्यम से अध्यापन-अधिगम को आसान बनाया जाता है इतिहास के विभिन्न तस्वीरों को दिखाया जाता है दुनिया में इंटरनेट का प्रचलन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि शिक्षा में इंटरनेट प्रयोग कर प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया जा सकता है इसका भरपूर फायदा शिक्षक उठा रहे हैं। प्रोजेक्टर के माध्यम से बालक को एक अलग प्रकार का आनंद एवं स्मरण शक्ति अवलोकन शक्ति, जिज्ञासा आदि का विकास लगता है।
xi.स्लाइडें, फिल्म पट्टियां :-
स्लाइडें एवं फिल्म पट्टियां का प्रयोग शिक्षण में सहायक सामग्री के तौर पर किया जाता है इसके लिए प्रोजेक्टर की सहायता ली जाती है प्रोजेक्टर द्वारा चित्रों की स्लाइडो अथवा फिल्म पट्टियों को एक क्रम में दिखाया जा सकता है।
xii. ग्लोब (glob) :-
ग्लोब की मदद से बच्चों को महाद्वीप, महासागर, नदी, पर्वत की सीमाओं को दिखाया जाता है सबसे ज्यादा भूगोल विषय में ग्लोब का प्रयोग किया जाता है जिसमें पृथ्वी की आकृति, उत्तरी दक्षिणी, गोलार्ध अक्षांश, देशांतर रेखाओं के बारे में बच्चों को बताने एवं समझाने में आसानी होता है।
xiii. पोस्टर एवं कार्टून पोस्टर (poster and Cartoon poster): –
आज शिक्षा जगत में पोस्टर एवं कार्टून पोस्टर की बहुत ज्यादा धूम मची है पोस्टर कार्टून पोस्टर की मदद से बच्चों को सही निर्देश एवं व्यंग्य तरीके से बच्चों को शिक्षा दी जाती है। आज इसका प्रयोग समाचार पत्र एवं पत्र-पत्रिकाओं में ज्यादा प्रयोग किया गया है। ऐसे बच्चों की अच्छी आदत तो परिवार नियोजन, जल संरक्षण, दहेज प्रथा ,धूम्रपान, वनों की कटाई , नेताओं, अभिनेत्रियों, धूम्रपान, प्रदा प्रथा जैसे विषयों पर कार्टून पोस्टर की मदद से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
xiv. भित्ति चित्र (wall painting) :-
अक्सर हमने देखा है कि नर्सरी एलकेजी यूकेजी कक्षाओं में भित्ति चित्र बनाया हुआ रहता है जिसमें चित्रों के साथ वर्ण(alphabet), फलों के नाम, नंबर जानवरों के नाम, महीनों के नाम, पहाड़ा, सप्ताह के नाम, वस्तुओं आदि का चित्र बनाया हुआ रहता है जिसे बच्चे देख देख कर उसे पढ़ते हैं तथा उन्हें याद भी रहता है इसलिए प्राथमिक कक्षा में भित्ति चित्र बना हुआ रहता है शिक्षक चित्र के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते भी हैं शिक्षक उन चित्रों का प्रयोग अपने सहायक सामग्री के रूप में भी करते हैं।
(teaching aids in hindi , teaching learning material list in hindi)
2.श्रव्य सहायक सामग्री (audio aids material)
श्रव्य सामग्री (Audio aids) वह साधन है जिस में केवल इंद्रिया (कान) का ही प्रयोग किया जाता है। श्रव्य सामग्री के अंतर्गत ग्रामोफोन रेडियो टेलीफोन टेली कॉन्फ्रेंसिंग टेप रिकॉर्डर जैसे ऑडियो ऐड आते हैं जिसमें बच्चों को कुछ सुना कर उनके मानसिक शक्तियों एवं सुनने की शक्तियों का विकास किया जाता है।(teaching aids in hindi)
१. रेडियो (radio):-
रेडियो(Radio) के माध्यम से बालकों को नवीनतम घटनाओं तथा सूचनाओं की जानकारी दी जाती है रेडियो पर विभिन्न कक्षाओं के विभिन्न विषयों के अध्यापन संबंधी प्रोग्राम सुनाए जाते हैं जिससे बालक के अधिगम की क्षमता का विकास होता है साथ ही सुनकर समझने तथा उसे याद रखने की शक्ति का विकास होता है।
२. टेप रिकॉर्डर (tape recorder) :-
शिक्षा जगत में टेप रिकॉर्डर ( Tape-recorder) एक प्रचलित उपकरण है इसकी सहायता से महापुरुषों के प्रवचन नेताओं के भाषण तथा प्रसिद्ध साहित्यकारों की कविताओं उनकी कहानियों तथा प्रसिद्ध कलाकारों के संगीत का आनंद उठाया जा सकता है इसे बालकों को बोलने की गति तथा प्रभाव संबंधी सभी त्रुटियों एवं विचारों को सुधारने में सहायता मिलती है साथ ही बालक टेप रिकॉर्डर की सहायता से शिक्षक के बातों को भी रिकॉर्ड कर रख सकते हैं ताकि उन्हें बाद में सुनकर अच्छे से समझा जा सकता है।
३. टेली कांफ्रेंसिंग (teli conferencing) : –
टेली कॉन्फ्रेंसिंग की सहायता से भी बच्चों को सूचना दी जाती हैं टेली कॉन्फ्रेंसिंग एक ऐसा माध्यम है जिससे कई स्कूलों को एक साथ जोड़ा जा सकता है अलग-अलग शिक्षक एवं अलग-अलग बालक टेली कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातें कर महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर सकते हैं।
3.दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री (audio-visual aids meterial)
दृश्य-श्रव्य सामग्री से तात्पर्य उन साधनों से है जिनके माध्यम से बालक देखने और सुनने की शक्तियों को बढ़ाते हुए अपनी अधिगम क्षमता को बढ़ाता है दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री एक ऐसा साधन है जिसका आधुनिक शिक्षा प्रणाली में प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है बच्चे पाठ के सूक्ष्म से सूक्ष्म कठिन से कठिन भावों को भी इसके माध्यम से सरलता से समझ जाता है इस सामग्री के माध्यम से लिखित तथा मौखिक पाठ्य सामग्री को समझने में सहायक होती है इनके अंतर्गत सिनेमा, दूरदर्शन, नाटक, टेलीविजन, चलचित्र, वृत्तचित्र, कम्प्यूटर आदि आते हैं।(teaching aids in hindi , teaching learning material list in hindi)
१. चलचित्र (फिल्म) (films, cinema) :-
चलचित्र अथवा सिनेमा के अनेक लाभ हैं इसके द्वारा प्राप्त किया गया ज्ञान अन्य उपकरणों की अपेक्षा अधिक उपयोगी होता है क्योंकि बालक देखकर तथा सुनकर अच्छी तरीका से सीख पाते हैं इसके द्वारा बालकों को विभिन्न देशों स्थानों तथा घटनाओं का ज्ञान बड़ी ही आसानी से कराया जा सकता है साथ ही बालक की कल्पना शक्ति यह सोचने की क्षमता का भी विकास होता है।
२. टेलीविजन (television):-
सिनेमा या चलचित्र से होने वाली सभी लाभ टेलीविजन से भी प्राप्त किया जा सकता है किंतु सिनेमा की अपेक्षा इसका दायरा अत्यंत विस्तृत होता है आज के आधुनिक युग में टेलीविजन के मनोरंजन कार्यक्रमों के अलावे कई प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम प्रसारण करता है बच्चों के ज्ञान में वृद्धि होती है इग्नू एवं यूजीसी जैसे विश्वविद्यालयों द्वारा भी उपग्रहों की मदद से विभिन्न प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण करता है जिससे बालक को अधिगम का उचित अवसर मिलता है।
३. कंप्यूटर (computer):-
कंप्यूटर का आधुनिक एवं आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सबसे ज्यादा प्रयोग करने वाले साधन में से एक है या एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसकी सहायता से शिक्षा जगत को अधिगम का सुनहरा अवसर मिल चुका है कंप्यूटर का प्रयोग शिक्षा जगत में ही नहीं बल्कि अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्र में किया जा सकता है शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर से निम्नलिखित लाभ है –
- कंप्यूटर के माध्यम से पाठ के प्रति रुचि का विकास होता है कंप्यूटर में चित्र चल चित्रों के माध्यम से पाठ को अत्यंत जीवन एवं मनोरंजन बनाया जाता है
- कंप्यूटर छात्रों को उच्च कोटि का पुनर्बलन प्राप्त होता है बच्चे कंप्यूटर के जरिए इंटरनेट का प्रयोग विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं।
iii. विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट, पीपीटी, एमएस वर्ड, एक्स सेल जैसे प्रोग्रामओं का प्रयोग कर बालक का अधिगम बढ़ता ही जा रहा है साथ ही शिक्षा जगत को एक चुनौती और विकास का एक नया अवसर मिल चुका है।
- आज शिक्षा जगत में कंप्यूटर का प्रचलन इतना बढ़ चुका है कि हर स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों में इसका प्रयोग किया जा रहा है ऐसा लगता है कि कंप्यूटर के बिना शिक्षा का महत्व एक अधूरा है क्योंकि आज देश दुनिया की हर जानकारियां इंटरनेट के माध्यम से मिल ही जाती है तथा बच्चों को उन जानकारियों को दिलाने में कंप्यूटर एक अच्छा माध्यम है।
४. मोबाइल(mobile):-
मोबाइल कंप्यूटर का एक छोटा रूप ही कहा जा सकता है क्योंकि आज के आधुनिक शिक्षा जगत में शिक्षक किया विद्यार्थी मोबाइल के माध्यम से हर प्रकार के जानकारी चुटकियों में घर बैठे ही प्राप्त कर लेते हैं साथ ही अपने प्रोजेक्ट और गृह कार्य बड़ी ही आसानी से इंटरनेट के माध्यम से जानकारी हासिल कर बना लेते हैं आज कंप्यूटर से ज्यादा मोबाइल फोन की मांगे बढ़ती जा रही है और इसका प्रयोग शिक्षा जगत में भी किया जा रहा है।
(teaching aids in hindi , teaching learning material list in hindi)
५. नाटक (drama): –
अगर बच्चों को किसी भी लंबी-लंबी कहानी उपन्यास आदि को नाटक के माध्यम से दिखाया जाता है तो उन्हें पूरी घटनाएं अच्छी तरह से याद भी होती है और वे बड़ी आसानी से उन्हें समझ भी पाते हैं इसलिए शिक्षक लंबी-लंबी कहानियां, प्रेरणादायक कहानी, किसी घटना , उपन्यास जैसे विषयों को नाटक के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है या उनसे ही नाटक कराया जाता है।
शिक्षण सहायक सामग्री की आवश्यकताएं (need of TLM)
=> अध्यापन अधिगम को आसान बनाने के लिए।
=> बच्चों की जिज्ञासा को पूरा करने के लिए।
=> क्लास को प्रभावशाली एवं रुचिकार बनाने के लिए।
=> कठिन से कठिन विषयों को सरलता से बतलाने के लिए।
=> बच्चों को निरीक्षण एवं परीक्षण एवं उनकी अवलोकन शक्तियों को बढ़ाने के लिए।
शिक्षण सहायक सामग्री की विशेषताएं (features of teaching learning material -TLM)
शिक्षण सहायक सामग्री TLM की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
१. शिक्षक इसकी सहायता से शिक्षण अधिगम को रोचक एवं आकर्षक बनाता है।
२. छात्र से मानसिक विकास में सहायक करता है।
३. इसकी सहायता से शिक्षक को किसी भी विषय को समझाने में समय के बचत कराता है।
४. जटिल से जटिल विषय को भी सरल बनाने में TLM सहायक होता है।
५. बच्चों की जिज्ञासाओं को बढ़ाने में सहायक होता है।
६. बालक के मानसिक सामाजिक एवं संवेगात्मक विकास भी करता है।
७. शिक्षण सहायक सामग्री की सहायता से बालक के व्यवहार में परिवर्तन लाता है।
८. बच्चों को ध्यान केंद्रित करने में सहायक करता है उनके इंद्रियों की क्षमता को भी बढ़ाता है।
९. अमृत विचारों को मूर्त रूप में प्रस्तुत करने में मदद करता है।
१०. बालक के अधिगम एवं उनकी रुचियां को बढ़ाने में मदद करता है।
ज्ञान के विस्तार व जटिलता ने अध्यापकों के लिए सहायक सामग्री का प्रयोग अनिवार्य बना दिया है।
शिक्षण सहायक सामग्री का महत्त्व (IMPORTANCE OF TEACHING LEARNING AIDS)
शिक्षण सहायक सामग्री के महत्त्व को निम्न बिन्दुओं में व्याख्यायित किया जा सकता है:-
- सहायक सामग्री से बालक की ज्ञानेन्द्रियों को क्रियाशील रखने में सहायता मिलती है। क्रियाशील ज्ञानेन्द्रियाँ बालक की सीखने की क्षमता में वृद्धि करती हैं।
- सहायक सामग्रियों के प्रयोग से विद्यार्थी निष्क्रिय होने से बच जाता है। यदि इन्द्रियों को क्रियाशील रखा जाए तो बालक को अपना दृष्टिकोण विकसित करने में सहायता मिलती है और उसमें परिपक्वता का विकास होता है।
- सहायक सामग्री बालकों का ध्यान आकर्षित करके ज्ञान को मूर्त रूप में प्रस्तुत करती है। इससे बालक सीखने के लिए प्रेरित होता है। सीखने के लिए उत्सुकता बढ़ती है। बालक पाठ को ध्यानपूर्वक सुनते हैं और आनन्द लेते हैं ।
- सहायक सामग्री के प्रयोग से बालकों की बोधात्मकता और अवधान केन्द्रण में सकारात्मक वृद्धि होती है, जिससे अधिगम में सहायता मिलती है।
- दुरूह प्रयोजनों को सहायक सामग्री के माध्यम से आसानी से समझाया जा सकता है, क्योंकि बालक जो सुनते हैं उसे अपनी आँखों से देखते भी हैं।
- सहायक सामग्री के प्रयोग से बालकों की रटने की क्रिया को कम किया जा सकता है।
- मानसमन्द बालकों के लिए सहायक सामग्री वरदान है। सामान्य बालक जिन प्रकरणों को आसानी से समझ लेते हैं, मानसमन्द बच्चे नहीं समझ पाते। परन्तु यदि सहायक सामग्री के प्रयोग से उन्हें समझाया जाता है तो उन्हें लाभ मिलता है।
- अध्यापक प्रभावकारी ढंग से शिक्षण करने में सफलता प्राप्त करने के लिए सहायक सामग्री का प्रयोग करता है। सहायक सामग्री के प्रयोग से अध्यापक अपने शिक्षण कौशलों का परिचालन सफलतापूर्वक कर लेता है, जैसे-प्रश्न पूछना, पाठ्यवस्तु को प्रस्तुत करना, उत्तर देना, प्रतिकार करना, प्रतिपुष्टि और मूल्यांकन करना आदि।
- अधिगम के स्थानान्तरण में सहायक सामग्री की विशेष भूमिका होती है। जिन प्रकरणों या तथ्यों को बालक इन्द्रिय अनुभव से ग्रहण करता है, उन्हें अन्य स्थानों पर उपयोग करने में सफल हो जाता है। केवल सुनी हुई बातों तथा तथ्यों को स्थानान्तरित करना कठिन होता है।
- सहायक सामग्री पुनर्बलन और प्रतिपुष्टि प्रदान कर शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अपने उद्देश्यों में सफल बनाते हैं।
- विभिन्न प्रकार की सहायक सामग्री (रेडियो, टेलीफोन, कम्प्यूटर आदि) के प्रयोग से बालकों को नए-नए शब्दों का अनुभव होता है, उनके शब्द भंडार में वृद्धि होती है।
- सहायक सामग्री बालकों की कल्पना-शक्ति का विकास करती है।
- सहायक सामग्री के उपयोग से बालकों को जो सिखाया जाता है, वे तुरन्त अपने मस्तिष्क में धारण कर लेते हैं और आवश्यकतानुसार प्रत्यास्मरण भी कर लेते हैं।
आज हमने इस पेज के माध्यम से शिक्षण सहायक सामग्री(teaching learning material – TLM) के बारे में पढ़ा जिसमें शिक्षक को शिक्षण सहायक सामग्री की आवश्यकता क्यों पड़ती है उसके परिभाषा, प्रकार, आवश्यकता एवं विशेषताओं (teaching learning material in hindi, teaching learning material list ) के बारे में पढ़ें उम्मीद है आपको इस विषय की जानकारी पाकर अच्छी लगी होगी।
Tage: materials for learning, material of teaching, teaching learning material, teacher learning materials, teaching learning materials, r teaching, teaching and learning material, teaching and learning materials, 6 teaching styles, teaching learning material list
Very Important notes for B.ed.: बालक के विकास पर वातावरण का प्रभाव(balak par vatavaran ka prabhav) II sarva shiksha abhiyan (सर्वशिक्षा अभियान) school chale hum abhiyan II शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करने वाले कारक II किशोरावस्था को तनाव तूफान तथा संघर्ष का काल क्यों कहा जाता है II जेंडर शिक्षा में संस्कृति की भूमिका (gender shiksha mein sanskriti ki bhumika) II मैस्लो का अभिप्रेरणा सिद्धांत, maslow hierarchy of needs theory in hindi II थार्नडाइक के अधिगम के नियम(thorndike lows of learning in hindi) II थार्नडाइक का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत(thorndike theory of learning in hindi ) II स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार , जीवन दर्शन, शिक्षा के उद्देश्य, आधारभूत सिद्धांत II महात्मा गांधी के शैक्षिक विचार, शिक्षा का उद्देश्य, पाठ्यक्रम, शैक्षिक चिंतान एवं सिद्धांत II