भाषा प्रयुक्ति का अर्थ, भाषा प्रयुक्ति की क्या विशेषता है, bhasha prayukti ki visheshta kya kya hai
आदि मानव में अपने भावों एवं विचारों तथा अपनी संवेदनाओं की प्रवृत्ति एवं इनके परस्पर विनियम के लिए आंगिक भाषा का प्रयोग किया होगा इसके बाद ध्वनि प्रतीकों का प्रयोग आरंभ हुआ। ध्वनि प्रतीकों के रूप में अविस्कृत भाषा को वाचिक भाषा कह सकते हैं। सभ्यता के विकास के साथ साथ वाचिक भाषा को स्थूल अथवा दृश्य रूप स्थायित्व प्रदान करने के लिए रेखांकन और चित्रांकन का सहारा लिया गया। भाषा के इसी चित्र रूप का विकास अंतत: लिपि के उद्भव का कारक बना। कलांतर में भाषा का लिपि रूप अस्तित्व में आया। प्रयुक्ति वस्तुतः एक तरह का भाषा रूप है विभिन्न संदर्भ में भाषा के स्वरूप में भी परिवर्तन होता रहता है। स्वाभाविक एवं स्पष्ट अभिव्यक्ति के लिए भाषा की प्रकृति को लचीला होना ही पड़ता उसका यही लचीलापन किसी भी भाषा से कोई भी काम लेने में सहायता करता है हिंदी की प्रयुक्तियों को दो रूपों में समझा जा सकता है-
१. भाषा शैली के संदर्भ में
२. भाषा प्रयुक्ति के संदर्भ में
१. भाषा शैली के संदर्भ में:-
इस दृष्टि से संस्कृतनिष्ठ हिंदी या साहित्यिक हिंदी अरबी फारसी मिश्रित हिंदी और सामान्य बोलचाल की हिंदी या हिंदुस्तानी हिंदी जैसी भाषा शैलियां दिखाई पड़ती है। हिंदी की एक ही विषय क्षेत्र में इन सभी शैलियों का प्रयोग हो सकता है।
उदाहरण के लिए लेखन के किसी भी रूप जैसे कहानी उपन्यास नाटक कविता या लेख आलेख आदि में इनमें से किसी भी शायरी का उपयोग किया जा सकता है। सामान्य बोलचाल में इन सभी रूपों में से किसी एक का यह सभी का मिलाजुला रूप व्यवहार में आ सकता है।
२. भाषा प्रयुक्ति के संदर्भ में
भाषा प्रयुक्ति में भाषा का स्वरूप विषय नियंत्रित करता है इसलिए विषय से संबंधित शब्दावली अभिव्यक्तियां तथा विषयानुरूप वाक्य संरचना होती है। हिंदी प्रयुक्तियों में भाषा का एक विशेष स्वरुप वन एक विषय के संदर्भ में एक शब्द का एक ही अर्थ होता है।
जैसे कार्यालय क्षेत्र में आदेश निर्देश और अनुदेश जैसे परिभाषिक शब्द शब्द अपने निश्चित सन कल्पनाएं लिए हुए कार्यालयों प्रयुक्ति में उपयोग होते हैं। जबकि सामान्य भाषा में इनका उपयोग लगभग एक अर्थ में किया जा सकता है।
जैसे प्रयोग शब्द का अर्थ विज्ञान की भाषा में व्यवहार करना या उपयोग करना नहीं होकर परीक्षण करना क्या जांचना हो जाता है।
कार्यालय की प्रयुक्ति में शब्द या अधूरे वाक्य पूरे वाक्य का अर्थ देते हैं।
जैसे तत्काल गोपनीय हेतु विभाग आवश्यक अति आवश्यक इन अभिव्यक्तियों का प्रयोग अन्य प्रयुक्तियों में नहीं होता।
‘आप को चेतावनी दी जाती हैं’ ‘स्पष्टीकरण दें’ ‘कारण बताओ, आदि अधूरी वाक्यों की प्रयुक्तियां संबंधित व्यक्ति या विभाग के लिए पूरा अर्थ देने वाली होती है।
वृत वाणिज्य या व्यापारिक क्षेत्र में कुछ विशेष शब्दों के अर्थ एवं प्रयोग व्यवसाय के क्षेत्र में सुनिश्चित होते हैं।
जैसे मुद्रा पूंजी उत्पादन दिवालिया आदि व्यापारिक सूचनाओं में भाषा का प्रयोग एक विशेष रूप में किया जाता है।
अन्य प्रयुक्तियों में यह संभव है इनमें अर्थ अथवा संदर्भ में अंतर को व्यापारिक सूचनाओं भाषा का प्रयोग एक विशेष रूप में किया जाता है।
प्रयुक्ति की अवधारणा विविध प्रयुक्ति क्षेत्र क्या है
दिवालिया – खरीदारी की मांग
यदि किसी व्यक्ति की जमा धनराशि समाप्त हो जाती है और वह बैंक से ऋण लेता है तथा बाद में सूद समेत वापस करने की स्थिति में नहीं रहता तब उसका सब कुछ ले लिया जाता है तथा उस व्यक्ति के पास कुछ भी नहीं रहता।
समाचार पत्रों में बाजार भाव पढ़ते समय सोना उछला, चांदी लुढ़की, गेहूं में तेजी, जीरा भड़का, चावल टूटा जैसे विशेष प्रयोग देखने को मिलते हैं।
भौतिकी क्षेत्र में: उष्मा, ध्वनि, नाभिकीय, ऊर्जा, विद्युत, चुंबक, सुचालक इत्यादि।
रसायन के क्षेत्र में: इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन, परमाणु, अणु, कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन इत्यादि।
गणित के क्षेत्र में: वर्ग, धन, जोड़, घटाव, गुणा, भाग, समकोण, त्रिभुज, अनुपात, चतुर्भुज इत्यादि।
इतिहास के क्षेत्र में: हड़प्पा सभ्यता, मुगल काल, सल्तनत नवाब, मोहनजोदड़ो इत्यादि।
कहानी के क्षेत्र में: शिक्षा जगत, परियां, चोर डाकू की कहानी इत्यादि।
भूगोल के क्षेत्र में: मानचित्र, अक्षांश, देशांतर इत्यादि।
बैंक के क्षेत्र में: बजट, रोकड़ा, बचत खाता, मुद्रा, ड्राफ इत्यादि।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में: धूमकेतु, सौर मंडल, ग्रह, उपग्रह इत्यादि।
इन सभी प्रयुक्तियां हैं जो विशिष्ट क्षेत्रों में विशिष्ट अर्थ में प्रयुक्त होते हैं।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि हिंदी की प्रयुक्तियों का अपना संदर्भ प्रकार्य एवं प्रयोग निश्चित है इन प्रयुक्तियों की संरचना इतनी स्पष्ट है कि हम उनके प्रयोग द्वारा ही यह कह सकते हैं कि यह किसी क्षेत्र या विषय विशेष की हिंदी हैं वैज्ञानिक या गणितीय भाषा की महत्वपूर्ण विशेषता संकेतों का प्रयोग है। हिंदी अथवा अन्य भाषाओं की वैज्ञानिक या गणितीय भाषा में संकेत प्राय: रोमन या ग्रीक अक्षरों या चिह्नों के रूप में प्रयुक्त होते हैं यद्यपि उच्चरण के समय ये शब्द के रूप में व्यवहार किए जाते हैं। परंतु लिखने में केवल संकेतों या चिन्हों का प्रयोग होता है।
उदाहरण: – , + , %, x
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