दृष्टांत कौशल क्या है: दृष्टांत कौशल के घटक या तत्व, दृष्टांत कौशल के प्रकार, दृष्टांत कौशल के लाभ, दृष्टांत कौशल के उदाहरण
शिक्षण एक कला है, जिसमें शिक्षक को कठिन से कठिन विषय को सरल, प्रभावी और रुचिकर बनाने की क्षमता होनी चाहिए। इसके लिए विभिन्न शिक्षण कौशलों का उपयोग किया जाता है, जिनमें से एक महत्वपूर्ण कौशल दृष्टांत कौशल (Illustration Skill) है। यह कौशल शिक्षण प्रक्रिया को सहज, प्रभावी और रोचक बनाने में सहायक होता है। इस लेख में हम दृष्टांत कौशल की परिभाषा, इसके घटकों, महत्व और प्रभावी उपयोग के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
दृष्टांत कौशल क्या है
किसी विषय को उदाहरणों, चार्ट, मॉडल, नक्शे, कथाओं, उपमाओं या दृष्टांतों आदि की सहायता से स्पष्ट करना दृष्टांत कौशल कहलाता है। जिसमें शिक्षक किसी कठिन या जटिल विषय को सरल और स्पष्ट करने के लिए प्रयोग करते हैं। यह विद्यार्थियों की समझ को बढ़ाने और विषयवस्तु को उनके दैनिक जीवन से जोड़ने में सहायक होता है। जब व्याख्यान के द्वारा पाठ वस्तु पूर्णतः स्पष्ट नहीं होती तब शिक्षक उदाहरण देकर उसे समझाने का प्रयास करता है। दृष्टांत का प्रयोग प्रत्येक विषय के शिक्षण में किया जाता है। और इनकी सहायता से अमूर्त नियमों की व्याख्या भी सरलता से की जाती है।
दृष्टांत कौशल का प्रयोग शिक्षकों द्वारा इसलिए किया जाता है ताकि:
- विद्यार्थी विषय को आसानी से समझ सकें।
- कठिन विषयवस्तु को व्यावहारिक बनाया जा सके।
- पाठ को रोचक और आकर्षक बनाया जा सके।
- विद्यार्थी उसे लंबे समय तक याद रख सकें।
- उदाहरणों द्वारा विद्यार्थी मूर्त से अमूर्त की ओर बढ़ता है।
- उदाहरण विचारों को स्पष्ट करने में सहायक हैं।
- इनसे बालक का ध्यान विषय पर केंद्रित होता है।
- इनके प्रयोगों से विद्यार्थी ज्ञान अर्जन हेतु प्रेरित होता है।
- उदाहरण नवीन कल्पना को जन्म देते हैं।
दृष्टांत कौशल के घटक या तत्व
१. सार्थक उदाहरणों का निर्माण :- विषय वस्तु से संबंधी ऐसे उदाहरण जो छात्रों की आयु ज्ञान एवं अनुभव से मेल खाते हो ताकि उनको समझने में कठिनाई न उत्पन्न हो। अर्थात् छात्रा के सामने ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए जाने चाहिए। जो वे सरलता पूर्वक आसानी से समझ सकें।
२. सरल उदाहरणों का निर्माण :- प्रयोग किए जाने वाले उदाहरणों का स्वरूप सरल होना चाहिए जिससे प्रत्येक स्तर के बालक आसानी से समझ सकें।
३. रोचक उदाहरणों का निर्माण :- ऐसे उदाहरण जो छात्रों की जिज्ञासा और अभिरुचि को जागृत करें और जिनमें मनोरंजन भी हो तो वे या व्याख्यान अधिक सफल हो सकते हैं।
४. उचित माध्यमों का प्रयोग :- इन उदाहरणों को उचित एवं अधिक प्रभावशाली माध्यम से शाब्दिक अथवा अशाब्दिक ढंग द्वारा प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इससे इसका प्रभाव आर्थिक एवं स्थायी होता है। जैसे कहानी, चुटकुले, मुहावरे, नमूनों, मॉडल और मानचित्र आदि का प्रयोग।
५. दृष्टांत की प्रासंगिकता :- दृष्टांत विद्यार्थियों के अनुभवों और उनके परिवेश से मेल खाना चाहिए। वह वास्तविक जीवन से जुड़ा हुआ हो ताकि वे उसे बेहतर तरीके से आत्मसात कर सकें।
६. सरल एवं बोधगम्य भाषा:- दृष्टांत की भाषा सरल और सहज होनी चाहिए ताकि सभी विद्यार्थी उसे आसानी से समझ सकें। कठिन और तकनीकी शब्दों का प्रयोग सीमित किया जाना चाहिए।
७. उदाहरण की स्पष्टता:- दृष्टांत स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए ताकि विद्यार्थियों को भ्रमित न करे। उसमें कोई जटिलता नहीं होनी चाहिए।
८. व्यावहारिकता एवं वास्तविकता:- दृष्टांत रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा होना चाहिए। वास्तविक घटनाओं या प्रसिद्ध व्यक्तियों के उदाहरणों का प्रयोग किया जा सकता है।
९. संक्षिप्तता एवं प्रभावशीलता:- दृष्टांत छोटा, लेकिन प्रभावी होना चाहिए ताकि विद्यार्थियों का ध्यान भटके नहीं। बहुत लंबे दृष्टांत विषय से भटकाव उत्पन्न कर सकते हैं।
१०. चित्र या आकृतियों का प्रयोग:- यदि संभव हो तो दृष्टांत को समझाने के लिए चित्रों, चार्ट या अन्य दृश्य सामग्री का उपयोग करना चाहिए। इससे विद्यार्थी दृष्टांत को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।
१२. भावपूर्ण प्रस्तुति:- शिक्षक को दृष्टांत को रुचिकर और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए। अभिव्यक्ति शैली में रोचकता होनी चाहिए।
१२. संबंधित प्रश्न पूछना:- दृष्टांत के बाद विद्यार्थियों से प्रश्न पूछकर उनकी समझ को परखा जा सकता है।इससे वे सक्रिय रूप से सीखने की प्रक्रिया में संलग्न होते हैं।
१३. सारांश एवं निष्कर्ष:- दृष्टांत के अंत में मुख्य बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत करना आवश्यक होता है।इससे विद्यार्थियों को पाठ का मूल उद्देश्य स्पष्ट हो जाता है।
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दृष्टांत कौशल के प्रकार
दृष्टांत कौशल को विभिन्न प्रकारों में बांटा जा सकता है:
1. ऐतिहासिक दृष्टांत
- ऐतिहासिक घटनाओं या व्यक्तित्वों से जुड़े दृष्टांत।
- उदाहरण: महात्मा गांधी की ईमानदारी या भगत सिंह की देशभक्ति।
2. वैज्ञानिक दृष्टांत
- विज्ञान के नियमों या सिद्धांतों को समझाने के लिए।
- उदाहरण: न्यूटन का सेब गिरने का दृष्टांत गुरुत्वाकर्षण बल को समझाने के लिए।
3. नैतिक दृष्टांत
- नैतिक मूल्यों को विकसित करने के लिए।
- उदाहरण: पंचतंत्र की कहानियाँ, अकबर-बीरबल की कहानियाँ।
4. सामाजिक दृष्टांत
- सामाजिक समस्याओं या मूल्यों को समझाने के लिए।
- उदाहरण: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान।
5. व्यक्तिगत दृष्टांत
- शिक्षक अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़े अनुभवों को साझा कर सकते हैं।
- इससे विद्यार्थी आसानी से जुड़ाव महसूस करते हैं।
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दृष्टांत कौशल के लाभ
- बोधगम्यता: कठिन विषय भी विद्यार्थियों के लिए आसान हो जाता है।
- रुचिकर शिक्षण: इससे कक्षा का माहौल रोचक और आकर्षक बनता है।
- लंबे समय तक स्मरण: विद्यार्थी दृष्टांतों को लंबे समय तक याद रखते हैं।
- बौद्धिक विकास: विद्यार्थी तर्क और विश्लेषण की क्षमता विकसित कर पाते हैं।
- संवाद कौशल में वृद्धि: विद्यार्थी अधिक सक्रिय रूप से चर्चा में भाग लेते हैं।
दृष्टांत कौशल के उदाहरण:
(1) ईमानदारी पर दृष्टांत
यदि शिक्षक “ईमानदारी” का पाठ पढ़ा रहे हैं, तो वे महात्मा गांधी या राजा हरिश्चंद्र का दृष्टांत देकर विषय को रोचक और यादगार बना सकते हैं।
(2) परिश्रम का महत्व
यदि परिश्रम की महत्ता समझानी हो, तो कछुआ और खरगोश की कहानी एक अच्छा दृष्टांत हो सकता है।
(3) विज्ञान का नियम समझाने के लिए
न्यूटन के गति के नियम को समझाने के लिए गिरते हुए सेब का दृष्टांत दिया जा सकता है।
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निष्कर्ष
दृष्टांत कौशल शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो न केवल विद्यार्थियों की समझ को गहरा करता है, बल्कि उन्हें विषय के प्रति अधिक रुचि और प्रेरणा भी देता है। जब शिक्षक उपयुक्त और प्रभावी दृष्टांतों का उपयोग करते हैं, तो यह शिक्षण को न केवल प्रभावी बल्कि यादगार भी बना देता है। इसलिए, हर शिक्षक को दृष्टांत कौशल में निपुण होने का प्रयास करना चाहिए, ताकि वे अपने विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ प्रेरित भी कर सकें।