प्रदर्शन कौशल क्या है, प्रदर्शन कौशल के घटक, सावधानियां, उद्देश्य, विशेषताएं, लाभ, उपयोगिता 

प्रदर्शन कौशल क्या है, अर्थ, प्रदर्शन कौशल के घटक, सावधानियां, उद्देश्य, विशेषताएं, लाभ, उपयोगिता 

प्रदर्शन कौशल (pradarshan kaushal)क्या है

प्रदर्शन कौशल का तात्पर्य किसी कार्य को करके दिखाने की कुशलता से होता है। कोई कार्य करके दिखाने से शिक्षण प्रक्रिया प्रभावपूर्ण हो जाती है। इसमें शिक्षक स्वयं कार्य करता है। और छात्रा उसे देखता है। छात्र इस निरीक्षण के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचते हैं तथा विषय से संबंधित सिद्धांतों को वह भली-भांति समझ जाते हैं।

प्रदर्शन एक दक्ष अध्यापक के लिए सहायक अनुदेशक उपप्रकरण का करता है। अध्यापक मौखिक रूप से जो भी बताता है उसका प्रभाव छात्रों पर अपेक्षाकृत कम पड़ता है लेकिन जब वह उसी को स्वर्ग करके दिखाता है तो उसका प्रभाव छात्रों पर अधिक पड़ता है।

प्रदर्शन कौशल का अर्थ

प्रदर्शन कौशल का अर्थ है किसी विशेष कार्य, प्रक्रिया, गतिविधि या तकनीक को प्रत्यक्ष रूप से दिखाकर समझाना। यह कौशल शिक्षक, प्रशिक्षक या विशेषज्ञ द्वारा उपयोग किया जाता है, ताकि शिक्षार्थी किसी अवधारणा को बेहतर ढंग से समझ सकें।

उदाहरण के लिए, विज्ञान के शिक्षक किसी रासायनिक प्रतिक्रिया को कक्षा में प्रयोगशाला में दिखाकर छात्रों को समझाते हैं, या कला शिक्षक किसी विशेष चित्रकला तकनीक का प्रदर्शन करके छात्रों को सिखाते हैं। इसी तरह, व्यावसायिक प्रशिक्षण में किसी मशीन या उपकरण के उपयोग का प्रदर्शन प्रशिक्षुओं को कुशल बनाने में सहायक होता है।

 प्रदर्शन कौशल के घटक :-

१. शिक्षक को प्रदर्शन से पूर्व प्रदर्शन के लिए प्रयुक्त हो जाने वाली सामग्रियों को एकत्र कर लेनी चाहिए। तथा एकत्रित सामग्रियों की जानकारी छात्रों को भली भांति दे दी जानी चाहिए।

२. शिक्षक को प्रदर्शन के पूर्व प्रदर्शन का अभ्यास भली-भांति कर लेनी चाहिए अन्यथा छात्रों के बीच उपहास का सामना करना पड़ सकता है।

३. शिक्षक द्वारा प्रदर्शन सामग्री इतने बड़े आकार प्रकार से होनी चाहिए ताकि सभी विद्यार्थी उसको भली-भांति आराम से बैठकर उसका अवलोकन कर सकें।

४. प्रदर्शन करने का स्थान छात्रों के बैठने के स्थान से ऊंचा होनी चाहिए ताकि विद्यार्थी अपने-अपने सीटों पर बैठकर आराम से प्रर्दशित सामग्रियों का अवलोकन कर सकें।

५. प्रदर्शन के दौरान शिक्षक को छात्रों का सहयोग लेते रहना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान बीच-बीच में प्रश्न करते रहना चाहिए।

६. प्रदर्शन के दौरान शिक्षक का कथन स्पष्ट सरल रोचक एवं प्रभावशाली होना चाहिए।

७. जैसे ही प्रदर्शन समाप्त हो हो प्रदर्शन के मुख्य बिंदुओं का पुनः अभ्यास करना चाहिए।

८. जब प्रदर्शन कार्य पूरा हो जाए तो प्रदर्शन सामग्री को एकत्रित कर लेना चाहिए और उसे यथा स्थान रख देना चाहिए ताकि छात्र प्रदर्शन कार्य समाप्त होने के बाद भी उसे ना देखें।

प्रदर्शन के दौरान सावधानियां

१. प्रदर्शन अनावश्यक रूप से लंबा या विस्तृत नहीं होनी चाहिए।

२. प्रदर्शन के दौरान लंबे व्याख्यानों एवं कथनों से प्राय: बचना चाहिए तथा कथन उत्पन्न ही लंबा हो जितना आवश्यक है।

३. प्रदर्शन कार्य अभ्यास करने के उपरांत ही किया जाना चाहिए।

प्रदर्शन कौशल के उद्देश्य

प्रदर्शन कौशल का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि यह सीखने के अनुभव को अधिक प्रभावी, व्यावहारिक और स्मरणीय बनाता है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

१. व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना – केवल पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से सीखने के बजाय, वास्तविक प्रदर्शन से विषय की गहरी समझ विकसित होती है।

२. समझने की प्रक्रिया को आसान बनाना – जब कोई कार्य सामने प्रदर्शित किया जाता है, तो उसे समझना और ग्रहण करना अधिक आसान हो जाता है।

३.सीखने की रुचि को बढ़ाना – कक्षा में केवल व्याख्यान देने की तुलना में, किसी गतिविधि को प्रदर्शित करने से विद्यार्थियों की जिज्ञासा और रुचि बढ़ती है।

४. स्मृति में स्थायित्व लाना – दृश्य और व्यावहारिक तरीके से सीखने से प्राप्त ज्ञान अधिक समय तक याद रहता है।

५. सक्रिय सहभागिता को प्रोत्साहित करना – जब विद्यार्थी किसी प्रक्रिया को देखते हैं और उसका अभ्यास करते हैं, तो वे अधिक सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

६. कौशल विकास को बढ़ावा देना – विशेष रूप से तकनीकी, विज्ञान और कला के क्षेत्रों में, प्रदर्शन के माध्यम से शिक्षार्थी आवश्यक कौशल विकसित कर सकते हैं।

प्रदर्शन कौशल की विशेषताएँ

प्रभावी प्रदर्शन कौशल में निम्नलिखित विशेषताएँ शामिल होती हैं:

1. स्पष्टता और सरलता

प्रदर्शन हमेशा सरल और स्पष्ट होना चाहिए ताकि दर्शक या छात्र आसानी से समझ सकें। जटिल प्रक्रियाओं को छोटे-छोटे चरणों में विभाजित करके समझाना अधिक प्रभावी होता है।

2. व्यावहारिकता और वास्तविकता

प्रदर्शन केवल सैद्धांतिक ज्ञान नहीं देता, बल्कि व्यावहारिक क्रियाओं को भी दर्शाता है। यह वास्तविक उपकरणों, मॉडल्स या अन्य संसाधनों का उपयोग करके किया जाता है।

3. संचार कौशल का उपयोग

एक अच्छे प्रदर्शनकर्ता को अपनी भाषा, स्वर और हाव-भाव पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि श्रोताओं को पूरी प्रक्रिया स्पष्ट रूप से समझ में आए।

4. शिक्षार्थियों की भागीदारी

प्रभावी प्रदर्शन कौशल में विद्यार्थियों या दर्शकों को सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

5. पुनरावृत्ति और सुधार

प्रदर्शन के दौरान अगर कोई जटिल बिंदु आता है, तो उसे दोहराकर समझाने की आवश्यकता होती है। इससे दर्शक अधिक सहज महसूस करते हैं और प्रक्रिया को समझने में मदद मिलती है।

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प्रदर्शन कौशल के लाभ

1. प्रभावी शिक्षण तकनीक

यह शिक्षण प्रक्रिया को अधिक रोचक और व्यावहारिक बनाता है, जिससे शिक्षार्थी विषय को बेहतर समझ पाते हैं।

2. जटिल विषयों को आसान बनाना

कई विषय, जैसे विज्ञान, गणित, चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि में कुछ अवधारणाएँ बहुत जटिल होती हैं। प्रदर्शन के माध्यम से इन्हें समझना आसान हो जाता है।

3. आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास बढ़ाना

जब विद्यार्थी स्वयं किसी प्रक्रिया को करते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अधिक आत्मनिर्भर बनते हैं।

4. निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि

व्यक्तिगत अनुभव के माध्यम से सीखने से व्यक्ति निर्णय लेने की क्षमता को विकसित कर सकता है।

5. टीम वर्क को प्रोत्साहित करना

कुछ प्रदर्शन सामूहिक प्रयासों की मांग करते हैं, जिससे समूह में काम करने की भावना विकसित होती है।

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शिक्षा में प्रदर्शन कौशल का उपयोग

  1. विज्ञान प्रयोगशालाएँ – विज्ञान विषय में रासायनिक प्रतिक्रियाओं, भौतिक प्रक्रियाओं और जीव विज्ञान प्रयोगों के लिए।
  2. कला और शिल्प – चित्रकला, मूर्तिकला और अन्य कला रूपों को सिखाने के लिए।
  3. तकनीकी प्रशिक्षण – इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान, और औद्योगिक प्रशिक्षण में मशीनों के संचालन और सॉफ्टवेयर उपयोग को दिखाने के लिए।
  4. चिकित्सा क्षेत्र – डॉक्टरों और नर्सों को सर्जरी, मेडिकल उपकरणों और अन्य प्रक्रियाओं के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए।
  5. खेल और व्यायाम – खेल प्रशिक्षकों द्वारा विभिन्न तकनीकों, व्यायामों और खेल की रणनीतियों को दिखाने के लिए।

‎प्रदर्शन कौशल की उपयोगिता (Utility of Demonstration Skill)

‎प्रदर्शन कौशल (Demonstration Skill) शिक्षण की एक प्रभावी विधि है, जो अवधारणाओं को स्पष्ट करने, जटिल विषयों को सरल बनाने और छात्रों की समझ को गहरा करने में सहायक होती है। यह विधि शिक्षण को अधिक व्यावहारिक, रोचक और सहभागी बनाती है, जिससे छात्र विषय-वस्तु को न केवल बेहतर ढंग से समझते हैं, बल्कि उसे लंबे समय तक याद भी रखते हैं।

‎प्रदर्शन कौशल की प्रमुख उपयोगिताएँ

‎१. व्यावहारिक एवं प्रयोगात्मक शिक्षण:
  • ‎इस कौशल के माध्यम से छात्रों को प्रयोगों और गतिविधियों के द्वारा अवधारणाओं को समझने का अवसर मिलता है।
  • ‎यह सैद्धांतिक ज्ञान को वास्तविक जीवन से जोड़ने में सहायक होता है।
‎२. जानात्मक एवं मनोगत्यात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति:
  • ‎छात्रों में ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण के विकास के लिए यह विधि अत्यधिक प्रभावी होती है।
  • ‎यह शिक्षा के संज्ञानात्मक (Cognitive), भावनात्मक (Affective) और क्रियात्मक (Psychomotor) उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होती है।
‎३. अवलोकन एवं निरीक्षण कौशल का विकास:
  • ‎छात्र किसी विषय या प्रक्रिया का गहन निरीक्षण करना सीखते हैं।
  • ‎अवलोकन के माध्यम से उनकी विश्लेषणात्मक और तार्किक क्षमताएँ विकसित होती हैं।
‎४. करके सीखना (Learning by Doing):
  • ‎यह सिद्धांत छात्रों को उपकरणों और प्रयोगों के माध्यम से सीखने के लिए प्रेरित करता है।
  • ‎व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से सीखना अधिक प्रभावशाली और स्थायी होता है।
‎५. सीखा हुआ ज्ञान दीर्घकालिक रहता है:
  • ‎प्रदर्शन द्वारा प्राप्त ज्ञान, पढ़ने या सुनने से अधिक स्थायी होता है।
  • ‎प्रत्यक्ष अनुभव के कारण छात्र लंबे समय तक विषयवस्तु को याद रख पाते हैं।
‎६. अधिक प्रभावी शिक्षण:
  • ‎प्रदर्शन द्वारा शिक्षण रुचिकर और प्रभावी बनता है।
  • ‎छात्रों की विषयवस्तु में रुचि बढ़ती है और वे अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
‎७. सक्रिय सहभागिता:
  • ‎इस विधि में शिक्षक और छात्र दोनों ही सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
  • ‎शिक्षण की यह विधि संवादात्मक होती है, जिससे छात्र अधिक आत्मविश्वास से सीखते हैं।
‎८. सभी छात्रों के लिए उपयोगी विधि:
  • ‎यह विधि औसत और कमजोर छात्रों के लिए भी उपयोगी होती है क्योंकि यह अवधारणाओं को सरलता से समझाने में मदद करती है।
‎९. तत्काल कठिनाइयों का समाधान:
  • ‎प्रदर्शन के दौरान छात्रों को कोई समस्या होने पर शिक्षक तुरंत उसका समाधान कर सकते हैं।
  • ‎इससे छात्रों की जिज्ञासा बनी रहती है और वे बिना किसी संकोच के प्रश्न पूछ सकते हैं।
‎१०. जिज्ञासा एवं रुचि उत्पन्न करता है:
  • ‎जब छात्र किसी प्रक्रिया को स्वयं होते हुए देखते हैं, तो उनमें सीखने की जिज्ञासा बढ़ती है।
  • ‎यह उन्हें नए प्रयोग और खोज करने के लिए प्रेरित करता है।

‎११. प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करता है

  • ‎छात्र जो देखते हैं, उसे बेहतर समझते और याद रखते हैं।
  • ‎अमूर्त अवधारणाओं को ठोस रूप में प्रस्तुत करने का यह एक प्रभावी माध्यम है।
‎१२. ‘स्थूल से सूक्ष्म’ सिद्धांत का अनुपालन:
  • ‎प्रदर्शन विधि में जटिल विषयों को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर समझाया जाता है।
  • ‎इससे छात्रों की समझने की क्षमता और तार्किक सोच का विकास होता है।

‎१३. वैज्ञानिक सोच और खोज को प्रोत्साहन:

  • ‎प्रदर्शन विधि के माध्यम से छात्रों को निष्कर्ष निकालने और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा मिलती है।
  • ‎वे विषयों को केवल याद करने के बजाय समझने और विश्लेषण करने पर ध्यान देते हैं।

‎१४. सामूहिक शिक्षण का प्रभावी साधन:

  • ‎यह विधि बड़े समूह को शिक्षित करने के लिए उपयुक्त होती है।
  • ‎सभी छात्र एक साथ सीखते हैं, जिससे विचारों की समान दिशा में वृद्धि होती है।
‎१५. आर्थिक रूप से लाभकारी:
  • ‎महंगे उपकरणों या सामग्रियों को व्यक्तिगत रूप से खरीदना संभव नहीं होता, लेकिन विद्यालय में किए गए प्रदर्शन से सभी छात्र लाभान्वित हो सकते हैं।
  • ‎इससे संसाधनों की बचत होती है और सामूहिक प्रयोग का लाभ मिलता है।
‎१६. जटिल अवधारणाओं को सरलता से समझाने में सहायक:
  • ‎कुछ विषयों को केवल शब्दों के माध्यम से समझाना कठिन होता है।
  • ‎प्रदर्शन विधि के द्वारा उन्हें सहज और व्यावहारिक रूप से समझाया जा सकता है।

‎१७. मानक स्थापित करने में सहायक:

  • ‎यह विधि किसी भी प्रक्रिया या कार्य को सही तरीके से करने का मानक प्रस्तुत करती है।
  • ‎छात्र इसे देखकर उसी क्रम में प्रक्रिया को दोहराने में सक्षम होते हैं।

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