उद्दीपन परिवर्तन कौशल के घटक (uddipan kaushal kya hai): अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, अंतर, गुण, दोष
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सामान्य एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों से कोई अपेक्षित अनुक्रिया को प्राप्ति के लिए किसी विशेष उद्दीपन का प्रयोग करता है। प्रश्न पूछना श्यामपट्ट की ओर इशारा करना चित्र व वस्तु दिखाना आदि इसी तरह के उद्दीपन है जिनकी सहायता से शिक्षक विद्यार्थियों का ध्यान अपनी सहायता से शिक्षक विद्यार्थियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित तथा केंद्रित करने का प्रयास करता है।
कहानी कथन विधि या कथात्मक विधि
उद्दीपन परिवर्तन कौशल से अभिप्राय उस शिक्षण तकनीक अथवा कौशल से है। जिसके द्वारा एक अध्यापक अपने विद्यार्थियों का ध्यान कक्षा की गतिविधियों की ओर आकर्षित एवं केंद्रित करता है। अध्यापक ध्यान केंद्रित करने हेतु उपयोग में लाए जाने वाले विभिन्न उद्दीपनों के प्रयोग में अपेक्षित परिवर्तन लाने में अधिक से अधिक सफल हो सकता है।
उद्दीपन कौशल का अर्थ
उद्दीपन कौशल का अर्थ है दूसरों को प्रेरित करने, उनमें जोश भरने और उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करने की क्षमता। यह कौशल विशेष रूप से नेतृत्व, शिक्षा, व्यवसाय, और व्यक्तिगत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उद्दीपन कौशल किसे कहते हैं
उद्दीपन कौशल की परिभाषा विभिन्न विद्वानों के अनुसार
1. ग्रेगरी (Gregory) के अनुसार
“उद्दीपन कौशल वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शिक्षक शिक्षार्थियों की जिज्ञासा को जाग्रत कर उन्हें अधिगम प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करता है।”
2. स्किनर (B.F. Skinner) के अनुसार
“उद्दीपन कौशल उन शिक्षण तकनीकों का समूह है जो छात्रों के ध्यान, रुचि और प्रेरणा को बढ़ाने में सहायक होती हैं, जिससे वे अधिगम में अधिक प्रभावी रूप से भाग ले सकें।”
3. क्राउ एंड क्राउ (Crow & Crow) के अनुसार
“उद्दीपन कौशल का उद्देश्य शिक्षार्थियों में सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति को उत्तेजित करना और उन्हें अधिगम क्रियाओं की ओर प्रवृत्त करना है।”
4. वुडवर्थ (Woodworth) के अनुसार
“उद्दीपन कौशल एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न प्रकार के उद्दीपकों (Stimuli) का प्रयोग करके शिक्षार्थियों के मनोवैज्ञानिक एवं संज्ञानात्मक क्रियाकलापों को सक्रिय किया जाता है।”
5. मैन (Mann) के अनुसार
“कक्षा में शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए शिक्षक द्वारा प्रयुक्त कौशल, जो छात्रों के सीखने की इच्छा को जाग्रत करता है, उद्दीपन कौशल कहलाता है।”
उद्दीपन परिवर्तन कौशल के घटक या तत्व,उद्दीपन कौशल के घटक :-
१. संचालन:-कक्षा में पढ़ाते समय एक अध्यापक को कभी भी एक ही जगह एक ही स्थिति में रह कर नहीं पढ़ाना चाहिए। उसे आवश्यकता अनुसार इधर उधर चलकर हाथ पैर हिला कर खड़े होने की स्थिति में परिवर्तन लाकर अपने शारीरिक संचालन में पर्याप्त विविधता लाने का प्रयत्न करना चाहिए। उसे इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि अनावश्यक इधर उधर घूमने, हिलने डुलने और बहुत अधिक संचालन से लाभ के बजाय हानि हो सकती है। अध्यापक की ऐसी गतिविधियां हास्य एवं ध्यान भंग करने का बन सकती है।
२. हाव-भाव:-हाव भाव से हमारा अभिप्राय अशाब्दिक और संकेतमय भाषा से है। जैसे बहुत बड़ा, बहुत छोटा, गोल, चपटा आदि को बताने के लिए एक अध्यापक हाथों के संकेत से बहुत अच्छी तरीके से अभिव्यक्त कर सकता है। संचालन मुख मुद्रा हाथ पैर तथा अन्य अंगों द्वारा किए गए संकेत एवं इशारे आदि सभी इसी श्रेणी में आते हैं।
३. वाक संरूप परिवर्तन :- इस कौशल का संबंध उस शिक्षण व्यवहार से है जिसके अंतर्गत एक शिक्षक अपने आवाज में उतर चढ़ाव लाने उसकी गति को कम या अधिक करने और अपने वचन मी या उच्चारण करने के ढंग में विशेष परिवर्तन लाने से संबंधित क्रियाएं करता है। वाक कला में लाए गए परिवर्तन विद्यार्थियों का ध्यान कक्षा की ओर आकर्षित करने एवं केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
४. मौन विराम :- पढ़ाते पढ़ाते अगर कोई अध्यापक अचानक से थोड़ी देर के लिए मौन विराम को धारण कर ले और इस प्रकार उसके शिक्षण में कुछ देर के लिए विराम आ जाए तो इस क्रिया को मौन विराम की संज्ञा दी जाती है। विद्यार्थियों का ध्यान अपनी और आकर्षित एवं केंद्रीय करने के लिए यह एक उपयोग कौशल तकनीक हैं।
५. अन्त: क्रिया शैली में परिवर्तन:-कक्षा में चल रही संप्रेषण प्रतिक्रिया अंत: क्रिया कहलाती है इस अंततः क्रिया के मुख्यत: तीन रूप अथवा शैलियां देखने को मिलती है-
क) अध्यापक विद्यार्थी अंत: क्रिया:- इसमें अध्यापक और किसी एक विद्यार्थी के बीच संप्रेषण चलता है।
ख) अध्यापक कक्षा अंत: क्रिया :-इसमें अध्यापक एवं पूरी कक्षा के बीच संप्रेषण चलता है।
ग) विद्यार्थी-विद्यार्थी अंत: क्रिया :- इसमें संप्रेषण क्रिया विद्यार्थी के बीच ही चलता है।
६. विद्यार्थियों का क्रियात्मक सहयोग:- कक्षा शिक्षण में विद्यार्थियों को श्यामपट्ट पर कुछ लिखने अथवा समझाने के लिए बुलाया जाता है। प्रयोग एवं परीक्षणों में उनकी सहायता ली जाती है। श्रव्य दृश्य साधनों के प्रयोग में भी वे आवश्यक मदद करते हैं और किसी शिक्षण या प्रकरण या विचार से संबंधित अभिनय या क्रिया पाठों में अपना सहयोग प्रदान करते हैं।
७. बदलाव केंद्रण :- इस घटक का संबंध व्यवहार संबंधी उन क्रियाओं से है। जिनके द्वारा विद्यार्थीयों का ध्यान शब्द वस्तु प्रकरण आदि किसी विशेष बिंदु पर केंद्रित करने में सहायता मिलते हैं।
८. दृश्य-श्रव्य क्रम परिवर्तन:- चित्र, चार्ट, मॉडल, वीडियो और अन्य दृश्य-श्रव्य सामग्री का उपयोग छात्रों की समझ को गहरा बनाने में सहायक होता है। उदाहरण के लिए, यदि शिक्षक विज्ञान पढ़ा रहा है, तो किसी जटिल प्रक्रिया को वीडियो के माध्यम से दिखाना अधिक प्रभावी होगा। इसी तरह, गणित के जटिल समीकरणों को मॉडल या ग्राफ की सहायता से समझाया जा सकता है।
उद्दीपन परिवर्तन कौशल के उद्देश्य
उद्दीपन परिवर्तन कौशल (Stimulus Variation Skill) शिक्षण प्रक्रिया को रोचक और प्रभावी बनाने में सहायक होता है। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षक के शिक्षण में विविधता लाकर छात्रों की एकाग्रता और रुचि बनाए रखना है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं—
1. छात्रों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को विकसित करना
- उद्दीपन परिवर्तन के माध्यम से छात्रों की रुचि बनाए रखी जाती है, जिससे वे ध्यानपूर्वक शिक्षण गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।
- विविध तरीकों से उत्तेजना देने से छात्रों की सीखने की क्षमता बढ़ती है।
2. कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाना
- शिक्षक विभिन्न उद्दीपनों (जैसे आवाज़ का उतार-चढ़ाव, हावभाव, शारीरिक गतिविधियाँ, शिक्षण सामग्री का प्रयोग) का उपयोग करके कक्षा को रोचक बना सकता है।
- इससे पाठ अधिक प्रभावशाली और यादगार बनता है।
3. निष्क्रियता और एकरसता को कम करना
- यदि शिक्षण प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाता, तो छात्र नीरसता महसूस कर सकते हैं। उद्दीपन परिवर्तन कौशल से यह समस्या दूर की जा सकती है।
- यह छात्रों को ऊर्जावान और सक्रिय बनाए रखने में मदद करता है।
4. शिक्षण विधियों में विविधता लाना
- शिक्षक विभिन्न शिक्षण तकनीकों जैसे दृश्य-श्रव्य सामग्री, समूह चर्चा, मॉडल प्रदर्शनी, प्रश्नोत्तर विधि आदि का प्रयोग कर सकता है।
- इससे अलग-अलग अधिगम शैलियों (learning styles) वाले छात्रों को लाभ मिलता है।
5. छात्रों की सहभागिता को बढ़ावा देना
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल के माध्यम से छात्र केवल सुनने तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वे शिक्षण प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
- यह शिक्षण को संवादात्मक और द्विपक्षीय बनाता है।
6. विषयवस्तु को आकर्षक और रोचक बनाना
- जब शिक्षक अपने स्वर, हावभाव, गति, ऑडियो-विज़ुअल सामग्री आदि में बदलाव लाते हैं, तो विषयवस्तु अधिक आकर्षक बन जाती है।
- इससे छात्रों की समझ और ग्रहणशीलता बढ़ती है।
7. कक्षा अनुशासन बनाए रखना
- उद्दीपन परिवर्तन के माध्यम से शिक्षक कक्षा का नियंत्रण बेहतर ढंग से कर सकते हैं।
- छात्रों का ध्यान विषय पर बनाए रखने से अनुशासन की समस्याएँ कम होती हैं।
8. दीर्घकालिक स्मृति में सहायता
- विभिन्न उद्दीपन तकनीकों के उपयोग से जानकारी दीर्घकालिक स्मृति में संचित होती है।
- यह छात्रों की अवधारण (retention) और पुनः स्मरण (recall) क्षमता को बढ़ाता है।
निष्कर्ष
उद्दीपन परिवर्तन कौशल शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी, आकर्षक और रोचक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल छात्रों की एकाग्रता और ध्यान बनाए रखता है, बल्कि उनके सक्रिय सहभागिता, स्मरणशक्ति और समझ को भी बढ़ाता है। शिक्षक को इस कौशल का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए ताकि शिक्षण अधिक प्रेरणादायक और उपयोगी बन सके।
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पुनर्बलन तथा उद्दीपन परिवर्तन में अंतर
यहाँ पुनर्बलन (Reinforcement) और उद्दीपन परिवर्तन (Stimulation Variation) के बीच अंतर को प्रस्तुत किया गया है:
विषय | पुनर्बलन (Reinforcement) | उद्दीपन परिवर्तन (Stimulation Variation) |
---|---|---|
परिभाषा | छात्रों के सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया। | शिक्षण को रोचक बनाने के लिए उद्दीपनों में विविधता लाने की प्रक्रिया। |
मुख्य उद्देश्य | सीखने को प्रेरित करना और उत्साह बनाए रखना। | ध्यान आकर्षित करना और रुचि बनाए रखना। |
उदाहरण | “शाबाश”, “बहुत अच्छा”, “बहुत बढ़िया” कहना। | श्यामपट्ट पर लिखना, आवाज का उतार-चढ़ाव, हाव-भाव बदलना, हाथ के इशारे से पढ़ाना। |
लाभ | आत्मविश्वास बढ़ाता है और सीखने की रुचि को प्रोत्साहित करता है। | शिक्षण को प्रभावी और आकर्षक बनाता है। |
अंतर | यह विद्यार्थियों के प्रयासों की सराहना करता है। | यह शिक्षण में विविधता लाने के तरीकों पर केंद्रित होता है। |
संबंध | दोनों ही विधियाँ शिक्षण को अधिक प्रभावी बनाने में सहायक हैं। | पुनर्बलन उद्दीपन परिवर्तन का एक भाग हो सकता है। |
उद्दीपन कौशल के गुण (Merits of Stimulus Skill)
1. छात्रों की एकाग्रता को बनाए रखना
जब शिक्षक विभिन्न उद्दीपन तकनीकों जैसे आवाज़ के उतार-चढ़ाव, हाव-भाव, शरीर संचालन आदि का उपयोग करता है, तो यह छात्रों का ध्यान आकर्षित करने में सहायक होता है।
2. शिक्षण को रोचक बनाना
एक ही प्रकार की शिक्षण पद्धति न अपनाकर उसमें विविधता लाने से कक्षा उबाऊ नहीं होती और छात्र अधिक रुचि से सीखते हैं।
3. सक्रिय सहभागिता को प्रोत्साहित करना
शिक्षक उद्दीपन कौशल का प्रयोग करके छात्रों को प्रश्न पूछने, उत्तर देने और गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित कर सकता है।
4. शिक्षण प्रभावशीलता में वृद्धि
जब शिक्षक प्रभावी ढंग से उद्दीपन कौशल का प्रयोग करता है, तो विषयवस्तु अधिक प्रभावी और स्थायी रूप से छात्रों के मन में बैठती है।
5. छात्रों की समझ और स्मरणशक्ति बढ़ाना
उद्दीपन कौशल का सही उपयोग करने से छात्रों को विषय की गहरी समझ मिलती है, जिससे उनकी स्मरणशक्ति मजबूत होती है।
6. छात्रों की रुचि और जिज्ञासा बढ़ाना
शिक्षण में विविध उद्दीपन तकनीकों का प्रयोग छात्रों में जिज्ञासा उत्पन्न करता है और उन्हें अधिक सीखने के लिए प्रेरित करता है।
7. कक्षा अनुशासन को बनाए रखना
जब शिक्षण रोचक और आकर्षक होता है, तो छात्र ध्यानपूर्वक कक्षा में संलग्न रहते हैं, जिससे अनुशासन बना रहता है।
उद्दीपन कौशल के दोष (Demerits of Stimulus Skill)
1. अत्यधिक उद्दीपन से ध्यान भटक सकता है
यदि शिक्षक उद्दीपन के बहुत अधिक साधनों का उपयोग करता है, तो इससे छात्र विषयवस्तु पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय बाहरी कारकों पर अधिक ध्यान देने लगते हैं।
2. सभी छात्रों पर समान प्रभाव नहीं
प्रत्येक छात्र की सीखने की शैली भिन्न होती है, इसलिए हो सकता है कि उद्दीपन तकनीकें सभी छात्रों पर समान रूप से प्रभावी न हों।
3. शिक्षण समय अधिक लग सकता है
उद्दीपन कौशल के प्रभावी प्रयोग में अधिक समय लगता है, जिससे पाठ्यक्रम पूरा करने में कठिनाई हो सकती है।
4. शिक्षक की अधिक ऊर्जा और तैयारी की आवश्यकता
उद्दीपन कौशल का प्रभावी ढंग से प्रयोग करने के लिए शिक्षक को अधिक ऊर्जा, तैयारी और रचनात्मकता की आवश्यकता होती है।
5. गलत उद्दीपन से ध्यान भटक सकता है
यदि शिक्षक उद्दीपन तकनीकों का अनुचित उपयोग करता है, जैसे कि अत्यधिक हाव-भाव या अनावश्यक शारीरिक गतिविधियाँ, तो यह छात्रों को भ्रमित कर सकता है।
6. सीमित संसाधनों में कठिनाई
कुछ उद्दीपन तकनीकों (जैसे दृश्य-श्रव्य सामग्री) के प्रभावी उपयोग के लिए संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो हर स्कूल में उपलब्ध नहीं होते।
7. कुछ छात्रों के लिए तनावपूर्ण हो सकता है
कुछ छात्र, विशेष रूप से अंतर्मुखी प्रवृत्ति के, अत्यधिक उद्दीपन से असहज महसूस कर सकते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास प्रभावित हो सकता है।