पुनर्बलन कौशल क्या है पुनर्बलन कौशल के घटक


 पुनर्बलन कौशल क्या है

पुनर्बलन कौशल मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। शिक्षण अधिगम क्रिया को प्रभावशाली तथा तीव्र करने में पुनर्बलन का विशेष महत्व है। शिक्षक की वह क्रिया को प्रभावशाली तथा तीव्र करने में पुनर्बलन का विशेष महत्व है। शिक्षक की वह  क्रिया जो छात्रों की अनुक्रियाओं को प्रोत्साहित करती हैं। उसे हम पुनर्बलन कहते हैं।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि अध्यापक का वह व्यवहार जिसमें छात्रों को पाठ के विषय में भाग लेने हेतु एवं प्रश्नों के सही उत्तर देने हेतु प्रोत्साहन प्राप्त हो उसे ही हम पुनर्बलन कहते हैं।

पुनर्बलन के प्रकार :-

पुनर्बलन दो प्रकार के होते हैं-

१. सकारात्मक पुनर्बलन

२. नकारात्मक पुनर्बलन

१. सकारात्मक पुनर्बलन :- इस प्रकार के पुनर्बलन का शैक्षिक उद्देश्य विद्यार्थी के वंछित व्यवहारों अथवा अनु क्रियाओं को प्रोत्साहन देना अथवा सुखद अनुभूति करा कर सफल बनाना और स्थाई रूप प्रदान करना सकारात्मक पुनर्बलन है।

सकारात्मक पुनर्बलन के प्रयोग

१. प्रशंसा शब्द जैसे बहुत अच्छा, ठीक, करना, उत्तम, शाबाश,

बहुत बढ़िया, बिल्कुल सही आदि का प्रयोग।

२. विद्यार्थियों के विचारों और सही भावनाओं को स्वीकार करने वाले कथनों जैसे तुम ठीक कह रहे हो। बस इसे थोड़ा और स्पष्ट करो। आदि शब्दों का प्रयोग।

३. विद्यार्थियों के उत्तर को दोहराना दूसरे शब्दों के सामने रखना अथवा सार प्रस्तुत करना।

२. नकारात्मक पुनर्बलन :-इस घाटक के अंतर्गत शिक्षक के वे सभी शाब्दिक या मौखिक व्यवहार आते हैं। जिनसे नकारात्मक पुनर्बलन की प्राप्ति होती है। इस प्रकार के पुनर्बलन का उद्देश्य विद्यार्थियों के अवंछित  व्यवहारों तथा अनुपयुक्त अनुक्रिया उत्तरों को निरूतसाहित कर अथवा दुखद अनुभूति करा कर उनकी पुनरावृति न करके अथवा उनमें अपेक्षित सुधार लाने में सहायता करना है।

नकारात्मक पुनर्बलन का प्रयोग

गलत उत्तर देने पर अध्यापक ऐसा नहीं फिर से कोशिश करो, नकारात्मक सिर हिलाना, हाथ से बैठ जाने का संकेत, नाराजगी से छात्रों की ओर देखना आदि इसी श्रेणी में आते हैं।

 

पुनर्बलन कौशल के घटक

१. प्रशंसा कथनों का प्रयोग

२. हाव-भाव और अन्य अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग।

३. छात्रों के भावनाओं को स्वीकार करना।

४. नकारात्मक अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग।

५. नकारात्मक शाब्दिक कथनों का प्रयोग।

६. छात्रों के सही उत्तरों को श्यामपट्ट पर लिखना।

७. एक ही शब्द का अत्याधिक प्रयोग का पुनर्बलन ना करना।

८. छात्रों के सुझाव को समर्थन।

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