पुनर्बलन कौशल क्या है, पुनर्बलन कौशल के घटक, अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, महत्व 

पुनर्बलन कौशल क्या है, पुनर्बलन कौशल के घटक, अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, महत्व 

पुनर्बलन कौशल क्या है Punarbalan Kaushal

पुनर्बलन कौशल मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। शिक्षण अधिगम क्रिया को प्रभावशाली तथा तीव्र करने में पुनर्बलन का विशेष महत्व है। शिक्षक की वह क्रिया को प्रभावशाली तथा तीव्र करने में पुनर्बलन का विशेष महत्व है। शिक्षक की वह  क्रिया जो छात्रों की अनुक्रियाओं को प्रोत्साहित करती हैं। उसे हम पुनर्बलन कहते हैं।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि अध्यापक का वह व्यवहार जिसमें छात्रों को पाठ के विषय में भाग लेने हेतु एवं प्रश्नों के सही उत्तर देने हेतु प्रोत्साहन प्राप्त हो उसे ही हम पुनर्बलन कहते हैं।

पुनर्बलन कौशल क्या है, पुनर्बलन कौशल के घटक, अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, महत्व 

पुनर्बलन कौशल का अर्थ

पुनर्बलन (Reinforcement) कौशल शिक्षण का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका उद्देश्य छात्रों के उत्तरों, प्रतिक्रियाओं और व्यवहार को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करना होता है। यह कौशल शिक्षक को इस योग्य बनाता है कि वह छात्रों के सीखने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित कर सके और उनके उत्तरों को उचित प्रतिक्रिया देकर उनकी शिक्षा को प्रभावी बना सके।

पुनर्बलन कौशल के मुख्य पहलू:
  1. सकारात्मक प्रतिक्रिया: छात्रों के सही उत्तरों और अच्छे प्रयासों को सराहना देकर उनका मनोबल बढ़ाना।
  2. शाब्दिक और अशाब्दिक संकेत: ‘बहुत अच्छा’, ‘शाबाश’, मुस्कान, सिर हिलाना आदि का प्रयोग करना।
  3. प्रेरणा और प्रोत्साहन: विद्यार्थियों को सीखने की ओर प्रेरित करना और उनकी जिज्ञासा को बनाए रखना।
  4. नकारात्मक पुनर्बलन: गलत उत्तरों या व्यवहार को सुधारने के लिए हल्के संकेतों का उपयोग करना ताकि छात्र हतोत्साहित न हों।

पुनर्बलन कौशल की परिभाषा

पुनर्बलन कौशल की परिभाषा विभिन्न विद्वानों के अनुसार

1. स्किनर (B.F. Skinner):
“पुनर्बलन (Reinforcement) वह प्रक्रिया है, जिसमें किसी व्यवहार की पुनरावृत्ति को बढ़ाने या घटाने के लिए सकारात्मक या नकारात्मक उद्दीपन दिया जाता है।”

2. क्रो एवं क्रो (Crow & Crow):
“पुनर्बलन किसी व्यक्ति के व्यवहार को बनाए रखने, सुधारने या प्रेरित करने के लिए प्रयुक्त बाहरी या आंतरिक कारक है, जिससे सीखने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जाता है।”

3. गैग्ने (Gagne):
“पुनर्बलन किसी क्रिया या प्रतिक्रिया के प्रभाव को बढ़ाने का एक साधन है, जिससे अधिगम को सुदृढ़ किया जा सकता है।”

4. थॉर्नडाइक (Thorndike):
“पुनर्बलन वह तत्व है, जो किसी क्रिया और उसके परिणाम के बीच संबंध को मजबूत करता है, जिससे व्यक्ति उस क्रिया को दोहराने के लिए प्रेरित होता है।”

5. मेयर (Mayer):
“पुनर्बलन सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जो किसी विशेष प्रतिक्रिया की संभावना को बढ़ाता या घटाता है।”

6. वुडवर्थ (Woodworth):
“किसी विशेष व्यवहार के बाद यदि कोई सकारात्मक या नकारात्मक प्रतिक्रिया दी जाए, तो वह पुनर्बलन कहलाती है, जो उस व्यवहार की पुनरावृत्ति की संभावना को प्रभावित करती है।”

पुनर्बलन के प्रकार :-

पुनर्बलन दो प्रकार के होते हैं-

१. सकारात्मक पुनर्बलन

२. नकारात्मक पुनर्बलन

प्रत्येक प्रकार के पुनर्बलन को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

शाब्दिक (Verbal Reinforcement): जब किसी को मौखिक रूप से सराहा जाता है, जैसे “बहुत अच्छा!”, “शाबाश!”, “तुमने बेहतरीन काम किया!” आदि।

अशाब्दिक या सांकेतिक (Non-verbal Reinforcement): मुस्कान, सिर हिलाना, ताली बजाना, प्रमाण पत्र देना आदि।

१. सकारात्मक पुनर्बलन :- इस प्रकार के पुनर्बलन का शैक्षिक उद्देश्य विद्यार्थी के वंछित व्यवहारों अथवा अनु क्रियाओं को प्रोत्साहन देना अथवा सुखद अनुभूति करा कर सफल बनाना और स्थाई रूप प्रदान करना सकारात्मक पुनर्बलन है।

सकारात्मक पुनर्बलन के प्रयोग

१. प्रशंसा शब्द जैसे बहुत अच्छा, ठीक, करना, उत्तम, शाबाश,

बहुत बढ़िया, बिल्कुल सही आदि का प्रयोग।

२. विद्यार्थियों के विचारों और सही भावनाओं को स्वीकार करने वाले कथनों जैसे तुम ठीक कह रहे हो। बस इसे थोड़ा और स्पष्ट करो। आदि शब्दों का प्रयोग।

३. विद्यार्थियों के उत्तर को दोहराना दूसरे शब्दों के सामने रखना अथवा सार प्रस्तुत करना।

२. नकारात्मक पुनर्बलन :-इस घाटक के अंतर्गत शिक्षक के वे सभी शाब्दिक या मौखिक व्यवहार आते हैं। जिनसे नकारात्मक पुनर्बलन की प्राप्ति होती है। इस प्रकार के पुनर्बलन का उद्देश्य विद्यार्थियों के अवंछित  व्यवहारों तथा अनुपयुक्त अनुक्रिया उत्तरों को निरूतसाहित कर अथवा दुखद अनुभूति करा कर उनकी पुनरावृति न करके अथवा उनमें अपेक्षित सुधार लाने में सहायता करना है।

नकारात्मक पुनर्बलन का प्रयोग

गलत उत्तर देने पर अध्यापक ऐसा नहीं फिर से कोशिश करो, नकारात्मक सिर हिलाना, हाथ से बैठ जाने का संकेत, नाराजगी से छात्रों की ओर देखना आदि इसी श्रेणी में आते हैं।

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सकारात्मक और नकारात्मक पुनर्बलन में संतुलन क्यों जरूरी है?

  • यदि सकारात्मक पुनर्बलन आवश्यकता से अधिक दिया जाए, तो यह दिखावटी और अप्रभावी हो सकता है।
  • यदि नकारात्मक पुनर्बलन अनुचित या कठोर हो, तो यह व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचा सकता है।
  • शिक्षक या माता-पिता द्वारा पुनर्बलन निष्पक्ष और तात्कालिक होना चाहिए, ताकि इसका प्रभाव अधिक हो।

पुनर्बलन को प्रभावी बनाने के लिए सुझाव

  • अवसर के अनुसार पुनर्बलन दें: जब कोई विद्यार्थी कुछ असाधारण करे, तभी उसकी सराहना करें।
  • सामान्य कार्यों के लिए पुनर्बलन से बचें: उदाहरण के लिए, माता-पिता का नाम बताने पर “शाबाश!” कहना अनावश्यक है।
  • स्वाभाविक पुनर्बलन दें: जब भी पुनर्बलन दें, वह ईमानदारी और सहजता से होना चाहिए।
  • पक्षपात से बचें: यदि पुनर्बलन पक्षपातपूर्ण होगा, तो यह सकारात्मक के बजाय नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
  • नकारात्मक पुनर्बलन व्यक्तिगत न हो: किसी छात्र के कार्यों की आलोचना करें, न कि उसकी पहचान, जाति, या सामाजिक पृष्ठभूमि की।

पुनर्बलन कौशल के घटक ‎punarbalan kaushal ke ghatak

१. प्रशंसा कथनों का प्रयोग

२. हाव-भाव और अन्य अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग।

३. छात्रों के भावनाओं को स्वीकार करना।

४. नकारात्मक अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग।

५. नकारात्मक शाब्दिक कथनों का प्रयोग।

६. छात्रों के सही उत्तरों को श्यामपट्ट पर लिखना।

७. एक ही शब्द का अत्याधिक प्रयोग का पुनर्बलन ना करना।

८. छात्रों के सुझाव को समर्थन।

पुनर्बलन (Reinforcement) एक ऐसा शिक्षण कौशल है, जो शिक्षकों को कक्षा में विद्यार्थियों की सहभागिता और सीखने की रुचि बढ़ाने में सहायता करता है। यह विद्यार्थियों के सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करने और नकारात्मक व्यवहार को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। पुनर्बलन कौशल के विभिन्न घटक होते हैं, जो शिक्षण को अधिक प्रभावी, संवादात्मक और प्रेरणादायक बनाते हैं।

पुनर्बलन कौशल के प्रमुख घटक

1. प्रशंसा कथनों का प्रयोग

शिक्षक के द्वारा दिए गए प्रशंसा कथन छात्रों की आत्मविश्वास वृद्धि और सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं। जब शिक्षक सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करते हैं, जैसे – “बहुत बढ़िया!”, “शानदार उत्तर!”, “तुमने बहुत अच्छा सोचा है!” – तो इससे छात्र प्रोत्साहित महसूस करते हैं और सीखने में अधिक रुचि लेते हैं।

महत्व:
✅ विद्यार्थियों में आत्म-विश्वास बढ़ता है।
✅ उत्तर देने की झिझक कम होती है।
✅ सकारात्मक प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होती है।


2. हाव-भाव और अन्य अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग

कक्षा में केवल शब्दों से ही नहीं, बल्कि शारीरिक हाव-भाव (Body Language) और अन्य अशाब्दिक संकेतों (Non-verbal Cues) से भी पुनर्बलन दिया जा सकता है।

कुछ प्रभावी अशाब्दिक संकेत:
✔️ मुस्कान – छात्रों के उत्तर को स्वीकार करने और प्रोत्साहित करने का संकेत।
✔️ सिर हिलाना (Nodding) – सहमति और समर्थन व्यक्त करने के लिए।
✔️ ताली बजाना – अच्छे उत्तर देने पर।
✔️ अभिनंदन की मुद्रा (Thumbs up, Victory Sign) – प्रोत्साहन के लिए।

महत्व:
🎯 अशाब्दिक संकेतों से शिक्षक अधिक प्रभावी तरीके से भावनाएं व्यक्त कर सकते हैं।
🎯 यह उन छात्रों के लिए भी उपयोगी है, जो मौखिक संचार में सहज नहीं होते।


3. छात्रों की भावनाओं को स्वीकार करना

शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों की भावनाओं को स्वीकार करे और उन्हें सम्मान दे। यदि कोई छात्र अपनी कठिनाई, जिज्ञासा या विचार साझा करता है, तो उसकी भावना को महत्व देना आवश्यक होता है।

कैसे किया जाए?
🔹 छात्रों के विचारों को गंभीरता से सुनें।
🔹 उनकी जिज्ञासाओं को उचित उत्तर देकर सुलझाएं।
🔹 सहानुभूति (Empathy) दिखाएं और उनका समर्थन करें।

महत्व:
🌟 छात्र अपनी बात खुलकर साझा कर सकते हैं।
🌟 शिक्षण अधिक संवादात्मक और प्रभावी बनता है।
🌟 छात्रों का आत्म-सम्मान बढ़ता है।


4. नकारात्मक अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग

हर स्थिति में सकारात्मक पुनर्बलन ही नहीं, बल्कि नकारात्मक अशाब्दिक संकेतों का भी सही उपयोग आवश्यक होता है, ताकि छात्र गलतियों को सुधारें और अनुशासन बनाए रखें।

कुछ सामान्य नकारात्मक अशाब्दिक संकेत:
🚫 आंखों में सीधा देखना – अनुचित व्यवहार रोकने के लिए।
🚫 भौहें चढ़ाना – गलत उत्तर या अनुशासनहीनता पर ध्यान दिलाने के लिए।
🚫 मौन धारण करना – छात्र को अपनी गलती का अहसास दिलाने के लिए।

महत्व:
⚠️ अनुशासन बनाए रखने में सहायक।
⚠️ छात्रों को गलतियों को पहचानने और सुधारने की प्रेरणा मिलती है।


5. नकारात्मक शाब्दिक कथनों का प्रयोग

शिक्षक को कभी-कभी नकारात्मक पुनर्बलन का प्रयोग भी करना पड़ता है, लेकिन इसे सही ढंग से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

❌ उदाहरण के लिए – “तुमने गलत उत्तर दिया, यह ठीक नहीं है” कहने की बजाय,
✔️ “तुम्हारा प्रयास अच्छा था, लेकिन थोड़ा और सोचो” कहना बेहतर रहेगा।

महत्व:
✅ छात्र को उसकी गलती सुधारने का अवसर मिलता है।
✅ प्रेरणा बनी रहती है और आत्मसम्मान प्रभावित नहीं होता।


6. छात्रों के सही उत्तरों को श्यामपट्ट पर लिखना

जब कोई छात्र सही उत्तर देता है, तो उसे श्यामपट्ट (Blackboard) पर लिखना एक प्रभावी पुनर्बलन का कार्य करता है। इससे अन्य छात्रों को भी प्रोत्साहन मिलता है और सही उत्तर पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।

महत्व:

  • सही उत्तर को सुदृढ़ करने में सहायक।
  • अन्य छात्रों को सीखने की प्रेरणा मिलती है।
  • पाठ की स्पष्टता बढ़ती है।

7. एक ही शब्द का अत्यधिक प्रयोग का पुनर्बलन न करना

अक्सर शिक्षक अनजाने में एक ही शब्द या वाक्य बार-बार प्रयोग करने लगते हैं (जैसे “अच्छा!”, “ठीक है!” “शाबाश!” आदि)। लेकिन इससे पुनर्बलन प्रभावी नहीं रहता।

इसके बजाय विभिन्न वाक्यों और शब्दों का प्रयोग करें, जैसे –
१. “तुमने बहुत सुंदर तरीके से उत्तर दिया!”
२. “वाह! यह एक अनोखा उत्तर था!”
३. “तुमने बिल्कुल सही सोचा है, इसे आगे और विस्तार से बताओ!”

महत्व:

  • छात्रों में रुचि बनी रहती है।
  • हर उत्तर के लिए नया और अलग प्रोत्साहन मिलता है।

8. छात्रों के सुझाव को समर्थन देना

शिक्षक को छात्रों के विचारों और सुझावों को गंभीरता से लेना चाहिए। इससे उनका आत्म-विश्वास बढ़ता है और वे कक्षा में अधिक सक्रिय रहते हैं।

उदाहरण:
यदि कोई छात्र किसी विषय पर नई जानकारी साझा करता है, तो शिक्षक को उसे महत्व देना चाहिए और कह सकते हैं – “यह बहुत दिलचस्प विचार है! तुमने बहुत अच्छा सोचा है!”

महत्व:

  • छात्रों में स्वायत्तता (Autonomy) विकसित होती है।
  • वे अपनी राय और विचार व्यक्त करने में अधिक सहज महसूस करते हैं।
  • शिक्षण प्रक्रिया अधिक संवादात्मक बनती है।

पुनर्बलन कौशल शिक्षक के लिए एक प्रभावी उपकरण है, जिससे वे विद्यार्थियों की रुचि, सीखने की प्रवृत्ति और आत्म-विश्वास को बढ़ा सकते हैं। सकारात्मक पुनर्बलन प्रेरित करता है, जबकि नकारात्मक पुनर्बलन अनुशासन बनाए रखने में मदद करता है। यदि शिक्षक इन घटकों का सही तरीके से उपयोग करें, तो कक्षा का वातावरण सक्रिय, संवादात्मक और प्रभावशाली बन सकता है।

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पुनर्बलन कौशल के उद्देश्य

पुनर्बलन कौशल (Reinforcement Skill) शिक्षण प्रक्रिया में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को प्रेरित करना, उनकी सीखने की रुचि बढ़ाना और उनके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना है। शिक्षकों द्वारा उचित पुनर्बलन का प्रयोग करने से शिक्षण अधिक प्रभावी और आनंददायक बनता है।

पुनर्बलन कौशल के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

1. विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना
  • पुनर्बलन से छात्रों को उनके प्रयासों के लिए सराहना मिलती है, जिससे वे अधिक आत्मविश्वास के साथ सीखने की प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
  • सही उत्तर देने या अच्छे व्यवहार के लिए सकारात्मक पुनर्बलन (जैसे “बहुत अच्छा!”, “शाबाश!”) विद्यार्थियों को और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है।
2. सीखने में रुचि बढ़ाना
  • जब शिक्षक सही उत्तरों और प्रयासों को प्रोत्साहित करते हैं, तो छात्रों में सीखने की इच्छा बढ़ती है।
  • अशाब्दिक पुनर्बलन (जैसे सिर हिलाना, मुस्कुराना, ताली बजाना) भी छात्रों की भागीदारी को बढ़ावा देता है।
3. कक्षा में अनुशासन बनाए रखना
  • सकारात्मक पुनर्बलन से छात्र अच्छे व्यवहार की ओर प्रवृत्त होते हैं और अनुशासन बनाए रखते हैं।
  • नकारात्मक पुनर्बलन (यदि आवश्यक हो) छात्रों को अनुचित व्यवहार सुधारने में मदद करता है।
4. आत्म-विश्वास विकसित करना
  • जब छात्रों को उनके उत्तरों और प्रयासों के लिए मान्यता मिलती है, तो उनका आत्म-विश्वास बढ़ता है।
  • यह उन्हें स्वतंत्र रूप से सोचने और विचार प्रकट करने के लिए प्रेरित करता है।
5. सीखने को प्रभावी बनाना
  • पुनर्बलन छात्रों को उत्तरों और अवधारणाओं को लंबे समय तक याद रखने में मदद करता है।
  • यह अधिगम प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और सहज बनाता है।
6. व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना
  • पुनर्बलन कौशल न केवल शिक्षण में बल्कि छात्रों के संपूर्ण व्यवहार में सुधार लाने में सहायक होता है।
  • अच्छे कार्यों और व्यवहारों को मान्यता देने से छात्र नैतिक और सामाजिक मूल्यों को आत्मसात करते हैं।
7. गलतियों को सुधारने की प्रवृत्ति विकसित करना
  • जब शिक्षक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ गलत उत्तरों को सुधारते हैं, तो छात्रों में सीखने की प्रवृत्ति बनी रहती है।
  • वे बिना किसी झिझक के उत्तर देने और सीखने की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित होते हैं।
8. संवाद और सहभागिता बढ़ाना
  • पुनर्बलन कौशल शिक्षक और छात्रों के बीच संवाद को प्रभावी बनाता है।
  • इससे कक्षा का वातावरण संवादात्मक और प्रेरणादायक बनता है।

पुनर्बलन कौशल का महत्व

पुनर्बलन कौशल (Reinforcement Skill) शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका उद्देश्य छात्रों के व्यवहार को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करना और उनके सीखने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाना होता है। यह कौशल शिक्षकों को कक्षा में सकारात्मक वातावरण बनाए रखने, छात्रों की रुचि बढ़ाने और उनके अधिगम को मजबूत करने में सहायता करता है।

पुनर्बलन कौशल के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है:

1. छात्रों की सीखने की रुचि को बढ़ाना

पुनर्बलन कौशल का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को प्रोत्साहित करना और उनकी सीखने में रुचि बनाए रखना है। जब शिक्षक छात्रों के सही उत्तरों और प्रयासों की सराहना करते हैं, तो वे अधिक आत्मविश्वास के साथ सीखने की ओर प्रवृत्त होते हैं।

2. सकारात्मक कक्षा वातावरण का निर्माण

शिक्षण में सकारात्मक पुनर्बलन का उपयोग करने से कक्षा में प्रेरक और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनता है। यह छात्रों को भयमुक्त होकर उत्तर देने और भागीदारी करने के लिए प्रेरित करता है।

3. आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में वृद्धि

जब शिक्षक छात्रों के उत्तरों, विचारों और प्रयासों को पहचानते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। इससे वे न केवल शिक्षण गतिविधियों में अधिक रुचि लेते हैं, बल्कि उनकी आत्मसम्मान की भावना भी विकसित होती है।

4. उचित व्यवहार को प्रोत्साहित करना

पुनर्बलन कौशल छात्रों में अनुशासन और उचित व्यवहार को बढ़ावा देता है। जब शिक्षक अच्छे व्यवहार, अनुशासन और सकारात्मक प्रयासों को पुरस्कृत करते हैं, तो यह अन्य छात्रों को भी प्रेरित करता है।

5. अधिगम की प्रभावशीलता में वृद्धि

शिक्षण में पुनर्बलन का प्रभावी उपयोग छात्रों की सीखने की गति और गहराई को बढ़ाता है। जब छात्र अपनी उपलब्धियों को मान्यता प्राप्त करते हैं, तो वे नई अवधारणाओं को बेहतर तरीके से समझने और आत्मसात करने के लिए प्रेरित होते हैं।

6. आलोचनात्मक सोच और सृजनात्मकता को बढ़ावा देना

शिक्षक जब पुनर्बलन कौशल का सही तरीके से उपयोग करते हैं, तो वे छात्रों को स्वतंत्र रूप से सोचने और नए विचारों को प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इससे छात्रों में आलोचनात्मक सोच और सृजनात्मकता का विकास होता है।

7. शिक्षकों और छात्रों के बीच मजबूत संबंध स्थापित करना

जब शिक्षक छात्रों को सकारात्मक पुनर्बलन प्रदान करते हैं, तो उनके बीच विश्वास और परस्पर सम्मान की भावना विकसित होती है। यह संबंध छात्रों को अधिक सहज और आत्मविश्वासी बनाता है, जिससे वे खुलकर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं।

8. नकारात्मकता को कम करना

कई बार छात्र गलत उत्तर देने से डरते हैं या हतोत्साहित महसूस करते हैं। पुनर्बलन कौशल नकारात्मकता को कम करने और छात्रों को अपनी गलतियों से सीखने के लिए प्रेरित करने में सहायक होता है।

9. सतत अधिगम को प्रोत्साहित करना

यह कौशल केवल कक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों को सतत अधिगम (Lifelong Learning) की ओर प्रेरित करता है। सकारात्मक पुनर्बलन से छात्र स्व-प्रेरित (Self-Motivated) बनते हैं और ज्ञान प्राप्ति की प्रक्रिया में अधिक रुचि लेते हैं।

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