flood essay in hindi(बाढ़ पर निबंध)


बाढ़ पर निबंध लिखिए(baadh par nibandh)

 प्रस्तावना

बाढ़(flood)  भी भूकंप जैसी ही एक प्राकृतिक आपदा है। ऐसी स्थिति में पानी अपना विनाशकारी रूप धारण कर लेता है। ज्यादा बारिश के कारण जब भूमि की जल संचूषण की शक्ति समाप्त हो जाती हैं तो उसकी परिणति बाढ़ के रूप में होती है।पहाड़ों से वर्षा जल के साथ हजारों टन मिट्टी बहकर नदियों में आ जाती है। इस कारण नदियों, तालाबों तथा जलाशयों का तल ऊपर उठने के कारण पानी उसके तटों को लांघ कर खेत-खलिहानों, गांवों में फैलने लगता हैं इसी को बाढ़(flood) कहा जाता है। या बारिश का पानी जब हद से ज्यादा यानी चारों तरफ पानी भार कर मानव जीवन को क्षतिग्रस्त करता है उसी को बाढ़ कहते हैं।बाढ़ का सीधा संबंध जल भूमि से हैं। आज उपभोक्तावादी संस्कृति के कारण सड़कों का इमारतों का जाल बिछ गया है। इस कारण मैदान नाम मात्रा को रह गए हैं और हरित क्षेत्रों में कमी आती जा रही है। वर्षा जल सोखने के लिए जमीन खाली नहीं रह गयी है।

बाढ़ का कारण

१.भूस्खलन:
पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण पहाड़ों का मलबा नदियों में ही गिर रहा है इसका कारण उसकी जल सोखने की क्षमता तो कम हो ही रही है साथ ही मलबे का कुछ हिस्सा पानी के साथ बहता हुआ मैदानों की ओर चला जाता है। जहां या मैदानी भागों में नदियों का तल ऊंचा कर देता है जो ज्यादा बरसात होने पर बाढ़(flood)  का कारण बन जाता है।flood essay in hindi

२. बांध में पानी का स्तर बढ़ने पर:
बांध का जल संचयन की क्षमता निश्चित होती है। ज्यादा वर्षा होने पर जब इनकी जल संग्रह की क्षमता समाप्त हो जाती है तो उसके पानी की निकासी जरूरी होती जाती है। ऐसा ना करने पर उसके आसपास के गांव व शहरों के बीच में पानी में डूबने की संभावना प्रबल हो जाती है। बांध को खतरे से बचाने के लिए उससे पानी नदी में छोड़ा जाता है। इस प्रकार नदियों में बाढ़ आ जाती है। हरियाणा पंजाब तथा दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों पूर्व आई बाढ़ का कारण भाखड़ा बांध रहा है।

३. बर्फ के पिघलने पर:
पर्वतीय क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में बर्फ जमने लगता है वहीं पर जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है वैसे वैसे पिघलने भी लगता है अगर किसी क्षेत्र में तापमान तेजी से बढ़ने पर बर भी तेजी से पिघलने लगता है और वही पानी नदियों में एवं तालाबों में आने लगता है बर्फ तेजी से पिघलने के कारण नदियों एवं तालाबों का स्तर भी बढ़ जाता है और आसपास के इलाकों में पानी भरने रखता है जिसके कारण बाढ़ आ जाती हैं।

४. अत्यधिक वर्षा के कारण:
बाढ़ आने का सबसे बड़ा कारण है अत्यधिक वर्षा होने का। जिस क्षेत्र में वर्षा कई दिनों तक हद से ज्यादा होने लगती हैं तब वहां के नदी नाले तलाब का पानी अपने स्तर को पार कर जाते हैं जिसके कारण वर्षा का पानी हमारे खेतों घरों इत्यादि में कब्जा करने लगते हैं और मानव जीवन को बहुत ज्यादा क्षति पहुंचाते हैं अत्याधिक वर्षा के कारण ही अधिकांश बाढ़ आती है क्योंकि बांध और नदियों में पानी का स्तर बढ़ जाता है तो समतल इलाकों में वही पानी फैलने लगता है और बाढ़ का एक विशाल रूप धारण कर लेता है।

बाढ़ से नुकसान

१.बाढ़ के समय चारों ओर बचाओ बचाओ का शोर सुनाई पड़ता है बच्चे व महिलाएं रोने लगते हैं। मेहनत की कमाई अपने सामने लूटते दिखाएं पड़ती हैं। लाख चाह कर भी वह उसे नहीं बचा पाता। बाढ़ के कारण जहां लोग बेघर हो जाते हैं वहीं उनके पशु अन्न भंडार आदि भी तबाह हो जाते हैं। बाढ़ की दोहरी मार झेलनी पड़ती है।

२. बाढ़ खत्म होने के बाद जो पानी गड्ढों आदि से भरा रह जाता है और जानवरों के साथ आदि सड़ने के कारण वातावरण दूषित को उठाता है इसके बाद कई तरह की बीमारियां पनपने लगती है।

३. बड़े-बड़े धन्ना सेठ फकीर हो जाते हैं। बाढ़ के बाद कुछ समय के लिए खेत इस लायक नहीं रह जाते कि उनमें कोई फसल वही जा सके। इस प्रकार सात-आठ दिन रही बाढ़ के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति वर्षों पीछे चली जाती हैं।

निष्कर्ष:

निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि प्राकृतिक आपदा मानव जीवन के लिए क्षतिग्रस्त ही साबित होती है जब प्रकृति से खेलवाड़ किया जाता है तब मानव जीवन को उनका भरपाई करना ही पड़ता है बाढ़ जब आती है सब कुछ बहा ले जाती हैं इसलिए कभी हमें प्रकृति से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। तथा बाढ़ में फंसे पीड़ितों की हमें सहायता करनी चाहिए।

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