अनुवाद किसे कहते हैं अनुवाद की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए

अनुवाद का अर्थ

अनुवाद भाषाओं के बीच संप्रेषण की एक प्रक्रिया है अनुवाद का शाब्दिक अर्थ है कि किसी के कहने के बाद कहना या पुनः कथन। ट्रांसलेशन शब्द अंग्रेजी के ट्रांस और लेशन के सहयोग से बना है जिसका अर्थ है पार ले जाना।

 

अनुवाद किसे कहते हैं

डॉक्टर जॉनसन के अनुसार 

अनुवाद का अर्थ है मूल भाषा में व्यक्त अर्थ को परिवर्तित न करते हुए दूसरी भाषा में उसका स्थानांतरण करना।

 

लियोनार्ड फॉरेस्टर के अनुसार

अनुवाद स्रोत भाषा के प्रतीकों और चिह्नों का लक्ष्य के प्रतीक चिन्हों में अंतरण करना ।

 

अन्य के अनुसार

अनुवाद प्रायोगिक भाषा विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध प्रतीकों के एक सुनिश्चित समुचय से दूसरे समुचय में अर्थ के अंतराल से हो।

 

ऊपर दिए गए परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि

१. अनुवाद का प्रमुख उद्देश्य है स्रोत भाषा की रचना के भावों या विचारों को लक्ष्य भाषाओं में उसके मूल रूप में लाना।

 

२. अनुवाद के लिए स्रोत भाषा में भाव या विचारों को व्यक्त करने के लिए जिस अभिव्यक्ति का प्रयोग किया जाता है उसके यथासंभव समान या अधिक से अधिक समान अभिव्यक्ति की खोज की जानी चाहिए।

 

३. मूल सामग्री पढ़ या सुनकर स्रोत भाषा भाषी जो अर्थ ग्रहण करता है अनोदित सामग्री पढ़ या सुनकर लक्ष्य भाषा भाषा ठीक वही वही अर्थ ग्रहण करें अनुवाद की सफलता का राज यही है-

i. पद्य की शैली समास शैली होती है

ii. गद्य की शैली व्यास शैली होती है या फिर वर्णनात्मक शैली

iii. बिम्ब + प्रतीक कविता बनाती है।

iv. नाटक का मूल तत्व अभिनेता होता है।

 

४. अनुवाद एक कस्टम हाउस है जिससे होकर स्रोत भाषा के प्रयोग का विदेशी भाषा लक्ष्य भाषा में अन्य स्रोतों की तुलना में अधिक आ जाता है यदि अनुवादक अपेक्षित सतर्कता न बढ़ते।

प्राय: स्रोत भाषा की अभिव्यक्ति से जो अर्थ व्यक्त होता है लक्ष्य भाषा की अभिव्यक्ति से व्यक्त होने वाले अर्थ की तुलना में या तो बढ़ जाता है या घट जाता या फिर बदल जाता है। अनुवादक की चेष्टा सर्वथा सच्चा और पक्का अनुवाद करने की होनी चाहिए न कि बच्चा अनुवाद करने की।

 

अनुवाद की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए या अनुवाद की प्रकृति पर प्रकाश डालिए 

निश्चित रूप से आज का योग अनुवाद का युग है प्राचीन काल से ही अनुवाद का प्रचलन रहा है पर इसका महत्व बीसवीं शताब्दी के आरंभ से अनुभूत हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राष्ट्रों के बीच राजनीतिक आर्थिक वैज्ञानिक औद्योगिक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक स्तर पर बढ़ते हुए आदान-प्रदान के अनुवाद कार्य की अनिवार्यता एवं महत्व प्रबलता के साथ विकसित हुई। अभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों के मूल में अनुवाद ही हैं। यहां पर अनुवाद की मौलिकता दिखाई पड़ती है।

कला के रूप में अनुवाद

कला आत्माभिव्यांजना है इसमें व्यक्ति की आत्माभिव्यक्ति होती है इसीलिए कलाकार का व्यक्तित्व उसमें प्रतिबिंबित होता है। कला का मूलभूत प्रयोजन सौंदर्य है यही सौंदर्य कलाकार के मानस में उद्वेलन उत्पन्न करता है और कलाकार को सर्जना (रचना) के लिए प्रेरित करता है। अनुवाद भी एक कला है अन्य कलाओं की तरह अनुवाद भी पूनर्सृजन है इस प्रकार साहित्यकार कलाकार का ईश्वर द्वारा सृजित वस्तु से प्रभावित उद्वेलित होकर शब्दों और अन्य माध्यमों से उसका पुनर्सृजन करता है ठीक उसी प्रकार अनुवाद भी स्रोत भाषा में लिखित रचना से अति प्रभावित होकर लक्ष्य भाषा में अनुवाद के माध्यम से उसकी पुनर्प्रस्तुति करता है। साहित्यिक विषयों का अनुवाद शब्दानुवाद हो सकता और बोल रचना का भावानुवाद करने के लिए उसे पुनर्सृजन करना ही पड़ता है। निश्चित रूप में सृजनात्मक साहित्य का अनुवाद करने के लिए अनुवादक को मूल रचना को आत्मसात कर कल्पना और उचित शब्दों का साथ लेकर उनकी पुनर्प्रस्तुति करना पड़ता है। बगैर कवि हुए कविता का रचना संभव नहीं है। अनुवाद के लिए आवश्यक है कि उसमें भावयित्री एवं कारयित्री प्रतिभा मूल रचना को पढ़कर उससे प्रभावित होकर उसे आत्मसात करने के प्रवृत्ति के कारण आत्माभिव्यांजना करने की चाह अनुवादक को कलाकार बनाती है। अनुदित रचना में अनुवादक का व्यक्तित्व उसी प्रकार झलकता है जिस प्रकार साहित्यिक रचना में रचनाकार का व्यक्तित्व जैसे कवि रचनाकार को अपनी सर्जना से सटिक शब्दों का बिम्ब एवं प्रतीकों का चयन करना पड़ता है उसी प्रकार अनुवादक को भी सटिक शब्द चयन आदि से गुजरना पड़ता है। इसीलिए यह सच है बिना योग्यता एवं प्रतिभा के सिर्फ अभ्यास के द्वारा अनुवाद नहीं किया जा सकता उस रूप में अनुवाद कला है और अनुवादक कलाकार।

विज्ञान के रूप में अनुवाद

विज्ञान किसी विषय का व्यवस्थित एवं ज्ञान का नियम बध्दता निश्चितता, सूत्रत्मकता, विश्वव्यापी, स्वीकृति आदि विज्ञान की शर्ते हैं। अनुवाद भी विज्ञान है सटीकता एवं निश्चित था इस प्रकार विज्ञान के लिए अनिवार्य शर्ते हैं ठीक इन्हीं शर्तों को अनुवाद साहित्येतर विषयों के अनुवाद करते समय अनुपालन करता है। सुस्पष्टता गैर साहित्यिक विषयों के अनुवाद के लिए जरूरी है और अनुवादक इसे नजरअंदाज नहीं करता। अनुवादक का कार्य भाषिक कार्य है। यह प्रयोग भाषा विज्ञान के अंतर्गत आता है। वास्तविक अनुवाद करने के पूर्व की चिंतन प्रक्रिया तुलनात्मक भाषा विज्ञान पर आधारित होती है। अनुवादक को भाषिक प्रयोग करते समय भाषा वैज्ञानिक विश्लेषण करना पड़ता है। यह निश्चित रूप से विज्ञान का ही काम है। क्योंकि हम अनुवाद एक भाषा से दूसरी भाषा में करते हैं दोनों ही भाषाओं में विभिन्न वस्तुओं भावों क्रियाओं आदि के लिए ध्वनि प्रतीकों की व्यवस्था है।

अनुवाद करते समय स्रोत भाषा में ध्वनि प्रतिकों या शब्दों के स्थान पर लक्ष्य भाषा के ध्वनि प्रतीकों को रखा जाता है। ध्वनि प्रतीकों को बदलने के साथ-साथ अनुवाद में स्रोत भाषा के बदले लक्ष्य भाषा की व्यवस्था लायी जाती है ये सभी वैज्ञानिक व्यवस्थाएं हैं। भाषा विज्ञान की तरह अनुवाद में भी ध्वनि शब्द रूप वाक्य अर्थ लिपि पर विचार किया जाता है। तुलना के द्वारा स्रोत और लक्ष्य भाषा की समानता असमानता को परखा जाता है यह भी एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है।

अनुवाद को अब शिल्प के अंतर्गत रखा जाता है उपयोगी कला शिल्प है कला मात्र शगल नहीं बल्कि समय की जरूरत है आज इसका व्यवसायिक रुप अत्यंत ही प्रभावशाली एवं उपयोगी है। अनुवाद रोजगार देता है। अर्थोपार्जन के अनेक अवसर अनेक क्षेत्रों में अनुवाद के द्वारा प्राप्त होता है। व्यवसायिक पहल और पहुंच होने के कारण अनुवाद का विस्तार निरंतर हो रहा है और इसकी उपयोगिता हर किसी के द्वारा अनुभूत की जा रही है। इस दृष्टिकोण से अनुवाद को भी शिल्प कहां जा सकता है निश्चित रूप से अनुवाद शिल्प भी है और वैज्ञानिक कला भी है।

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