शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) – कैसे लिखें

नमस्कार दोस्तों आप सभी को हमारे इस ब्लॉग में स्वागत करता हूं। आज हम इस आर्टिकल में शिक्षक दिवस पर निबंध कैसे लिखते है उसके बारे में जानेंगे। शिक्षक ऐसा दीपक होता है जो हमारे अंधकारमय भविष्य और जीवन को सफल बनाने का मार्गदर्शक होता है। हमारा जीवन गुरु या शिक्षक के बिना अंधकारमय है उस अंधकारमय जीवन में पर धीरे-धीरे चलते तो है पर उस जीवन में गति तब आती है जब दीपकरूपी गुरु हमारे जीवन में प्रकाश लेकर आते हैं इसलिए हमें टिचर के महत्व को समझना होगा। आये बिना किसी देरी किये शिक्षक दिवस पर निबंध के बारे में पढ़ें है

शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh)

शिक्षक दिवस पर निबंध

प्रस्तावना

शिक्षक दिवस गुरु के सम्मान के लिए हर वर्ष भारत में 5 सितंबर को मनाया जाता है। पूरे देशभर में इस दिन विद्यालयों में खुशियों का माहौल रहता हैं विद्यालय को सजाया जाता है और विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विद्यार्थियों के साथ ही साथ शिक्षक भी इन कार्यक्रमों में पूरे उमंग के साथ भाग लेते है।

कब और क्यों मनाया जाता है?

हमारे देश में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक अच्छे एवं विद्वान शिक्षक थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में इस देश के भविष्य को संवारने में अपना एक बहुत बड़ा योगदान दिया। उनका जन्म दिनांक 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुतनी में हुआ था। उनके उप राष्ट्रपति बनने के बाद उनके मित्रों और कुछ छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा व्यक्त की पर डॉ. राधाकृष्णन का कहना था कि उनके जन्म दिन को जन्म दिन के रूप में न माना कर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाये तो उन्हें बहुत गर्व होगा। यही कारण है कि शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए हर वर्ष उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाये जाने लगा।

शिक्षक दिवस की तैयारियाँ

शिक्षक दिवस की तैयारी छात्रों के लिए चुनौती और सीखने के लिए एक अवसर प्रदान करता है। इस दिन की तैयारी छात्र-छात्रा अगस्त माह के अंत से ही कर देते हैं । स्कूलों व कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रेक्टिस भी शुरू हो जाती है इन दिनों पढ़ाई कम होती है । शिक्षक दिवस का पूरा भर छात्र-छात्रा के हाथ में रहता हैं और वे उस दिन को सफल बनाने में अपना पूरा-पूरा योगदान देते है। 4 सितंबर के दिन छात्रों का काम बढ़ जाता हैं मंच को सजाना और अगले दिन की पूरी तैयारियां उन्हे इसी दिन पूरा करना होता है ताकि उन्हे शिक्षक दिवस के दिन किसी भी तरह की समस्या न हो । 5 सितंबर के दिन स्कूलों में पढ़ाई बंद रहती है। छात्र विभिन्न तरह से अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं, विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाया जाता है स्कूल और कॉलेजों में पूरे दिन आनंद और उत्सव का माहौल बना रहता है। दिनभर स्कूल और कॉलेजों में रंगारंग कार्यक्रम और सम्मान का दौर चलता है। छात्र छात्राएं शिक्षकगणों को कार्ड तथा उपहार देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।

गुरु और शिष्य का संबंध

जिस तरह से माता- पिता अपने बच्चों की भविष्य के बारे में सोचते है उन्हे उस काबिल बनाने का दायित्व गुरु का होता है । गुरु और शिष्य का संबंध ऐसा होता है जैसे एक कुम्हार का संबंध उसके मिट्टी से होता है वैसे ही गुरु और शिष्य का भी होता है कुम्हार अपने कला के माध्यम से मिट्टी को जिस आकार में ढालना चाहे वह उसे ढलता है ठीक उसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्यों को अपने कला के माध्यम से उन्हे सही दिशा में लाता है और उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाता हैं ।

निष्कर्ष

यह छात्रों और शिक्षको दोनों के लिए ही एक विशेष दिन होता है। शिक्षक विद्यार्थियो के जीवन के वास्तविक कुम्हार होते हैं जो न सिर्फ हमारे जीवन को आकार देते हैं बल्कि हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें। इसलिए देश में सभी शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है। अपने शिक्षकों के महान कार्यों के बराबर हम उन्हें कुछ भी नहीं लौटा सकते हालाँकि, हम उन्हें सम्मान और धन्यावाद दे सकते हैं। हमें पूरे दिल से ये प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि हम अपने शिक्षक का सम्मान करेंगे क्योंकि बिना शिक्षक के इस दुनिया में हम सभी अधूरे हैं।

Leave a Comment