वाच्य किसे कहते हैं, वाक्य के भेद, परिभाषा उदाहरण सहित। (Vachya class 10)

वाच्य किसे कहते हैं, वाक्य के भेद, परिभाषा उदाहरण सहित। (Vachya class 10)

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‘वाच्य’ क्रिया के उस रूपांतर को कहते हैं, जिससे जाना जाता है कि वाक्य में कर्ता के विषय में विधान किया गया है या कर्म के विषय में अथवा केवल भाव के विषय में।

वाच्य किसे कहते हैं (vachya kise kahate hain)

क्रिया के जिस रूप से पता चलता है कि वाक्य में क्रिया कर्ता, कर्म या भाव के अनुसार प्रयुक्त हुई है उसे वाच्य कहते हैं। जैसे:-

१. राम खेल रहा है।(कर्तृवाच्य)
२. राम द्वारा खेला जाता है।(कर्मवाच्य)
३. राम से खेला जाएगा। (भाववाच्य)

वाच्य के भेद/ वाच्य के प्रकार

प्रयोग के आधार पर क्रिया के तीन भेद हैं-
१. कर्तृवाच्य
२. कर्मवाच्य
३. भाव वाच्य

वाच्य किसे कहते हैं, वाक्य के भेद, परिभाषा उदाहरण सहित। (Vachya class 10)

कर्तृवाच्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।

“जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता होती है, उन्हें कर्तृवाच्य कहते हैं। इसकी क्रिया सकर्मक या अकर्मक हो सकती है।”

उदाहरण:

१. बच्चों ने रोटी खाई।
२. राम पुस्तक पढ़ता है।
३. पुष्पा समोसा खाती है।
४. श्याम खेलता है।
इन वाक्यों में बच्चों, राम, पुष्पा, श्याम कर्ता हैं तथा वाक्य में कर्ता की प्रधानता हैं अतः रोटी खाई, पुस्तक पढ़ता है, समोसा खाती है, खेलता है, कर्तृवाच्य हैं

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कर्म वाच्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।

“जिस वाक्य में कर्म प्रधान होता है तथा कर्ता गौण अथवा लोप होता है, वहां कर्मवाच्य होता है।”

उदाहरण:
१. राम द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
२. सुमन के द्वारा आम खरीदे जाते हैं।
३. पतंग उड़ रही है।

कर्म वाच्य से कर्तृ वाच्य में परिवर्तन

  1. “के द्वारा” वाले भाग को कर्ता बना दिया जाता है।
  2. कर्म को वाक्य के अंत में रखा जाता है।
  3. क्रिया का रूप सामान्य किया जाता है।

उदाहरण:

  • कर्म वाच्य: पत्र अमित के द्वारा लिखा गया।

  • कर्तृ वाच्य: अमित ने पत्र लिखा।

  • कर्म वाच्य: कविता सीमा के द्वारा पढ़ी गई।

  • कर्तृ वाच्य: सीमा ने कविता पढ़ी।

भाव वाच्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।

“ जिस वाक्य में क्रिया कर्ता या कर्म के अनुसार न होकर भाव के अनुसार होती है उसे भाव वाच्य कहते हैं।”

“क्रिया के जिस रूप में वाक्य का उद्देश्य केवल भाव (क्रिया का अर्थ) की जाना जाए वहां भाववाच्य होता है।

उदाहरण:
१. नानी से चला नहीं जाता।
२. कबूतर से उड़ा नहीं जाता।
३. लड़कों से खेला जाएगा।
४. मैदान में लड़के इधर उधर दौड़ा करते हैं।
५. बच्चों से तोड़ा नहीं जाता।
६. अब चला जाए।

कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य में परिवर्तन के नियम

वाच्य (Voice) वह विधि है जिससे वाक्य में कर्ता, कर्म और क्रिया के बीच संबंध को दर्शाया जाता है। हिंदी भाषा में तीन प्रकार के वाच्य होते हैं:

  1. कर्तृ वाच्य – जब वाक्य में क्रिया कर्ता पर केंद्रित होती है।
  2. कर्म वाच्य – जब वाक्य में क्रिया कर्म पर केंद्रित होती है।
  3. भाव वाच्य – जब वाक्य में न तो कर्ता स्पष्ट होता है और न ही कर्म।

इस लेख में हम कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य में परिवर्तन करने के नियमों को विस्तार से समझेंगे।


कर्तृ वाच्य और कर्म वाच्य की पहचान

कर्तृ वाच्य की पहचान:

  • कर्तृ वाच्य के वाक्य में कर्ता प्रमुख होता है।
  • क्रिया कर्ता के अनुसार होती है।
  • कर्म सामान्यतः द्वितीय विभक्ति (को, से, के साथ) में रहता है।

उदाहरण:

  • राम किताब पढ़ता है।
  • मोहन गाना गा रहा है।
  • शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं।

कर्म वाच्य की पहचान:

  • कर्म वाच्य के वाक्य में कर्म प्रमुख होता है।
  • क्रिया कर्म के अनुसार होती है और इसमें सहायक क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
  • वाक्य में “द्वारा” का प्रयोग कर्ता के लिए किया जाता है।

उदाहरण:

  • किताब राम द्वारा पढ़ी जाती है।
  • गाना मोहन द्वारा गाया जा रहा है।
  • बच्चों को शिक्षक द्वारा पढ़ाया जाता है।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन kartri vachya se karm vachya me parivartan

कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य में परिवर्तन के कुछ निश्चित नियम होते हैं:

1. कर्ता को हटाएं या ‘द्वारा’ जोड़ें
  • कर्म वाच्य में कर्ता के स्थान पर “द्वारा” शब्द का प्रयोग किया जाता है।
  • यदि कर्ता का उल्लेख आवश्यक न हो, तो उसे वाक्य से हटा भी सकते हैं।

उदाहरण:

  • कर्तृ वाच्य: राजा ने किला बनवाया।
  • कर्म वाच्य: किला राजा द्वारा बनवाया गया।
  • कर्तृ वाच्य: माँ खाना बना रही है।
  • कर्म वाच्य: खाना माँ द्वारा बनाया जा रहा है।

2. कर्म को वाक्य की शुरुआत में रखें
  • कर्म वाच्य में कर्म को पहले रखा जाता है ताकि वाक्य का केंद्र कर्म पर आ जाए।

उदाहरण:

  • कर्तृ वाच्य: राम पत्र लिखता है।
  • कर्म वाच्य: पत्र राम द्वारा लिखा जाता है।
  • कर्तृ वाच्य: मोहन ने परीक्षा दी।
  • कर्म वाच्य: परीक्षा मोहन द्वारा दी गई।

3. क्रिया का रूप बदलें
  • क्रिया को कर्म के अनुसार “किया जाता है”, “लिखा जाता है”, “देखा गया”, “बनाया गया” आदि में बदला जाता है।

उदाहरण:

  • कर्तृ वाच्य: वह कहानी लिखता है।
  • कर्म वाच्य: कहानी उसके द्वारा लिखी जाती है।
  • कर्तृ वाच्य: पेंटर दीवार पर रंग कर रहा है।
  • कर्म वाच्य: दीवार पर रंग पेंटर द्वारा किया जा रहा है।

4. सहायक क्रिया का प्रयोग करें
  • क्रिया को “गया था”, “गई थी”, “जाता है”, “जाई जाती है” आदि रूपों में बदला जाता है।
  • काल और वचन के अनुसार सहायक क्रिया का उपयोग किया जाता है।
काल कर्तृ वाच्य का वाक्य कर्म वाच्य का वाक्य
वर्तमान मोहन किताब पढ़ता है। किताब मोहन द्वारा पढ़ी जाती है।
भूतकाल मोहन ने किताब पढ़ी। किताब मोहन द्वारा पढ़ी गई।
भविष्यकाल मोहन किताब पढ़ेगा। किताब मोहन द्वारा पढ़ी जाएगी।

5. यदि वाक्य में दो क्रियाएँ हों, तो दोनों का रूप बदलें
  • कभी-कभी वाक्य में दो क्रियाएँ होती हैं, तो दोनों को कर्म वाच्य के अनुसार परिवर्तित किया जाता है।

उदाहरण:

  • कर्तृ वाच्य: शिक्षक बच्चों को कहानियाँ पढ़ाकर सिखाते हैं।
  • कर्म वाच्य: कहानियाँ बच्चों को शिक्षक द्वारा पढ़ाकर सिखाई जाती हैं।

6. यदि वाक्य में अव्यय (अभी, पहले, तुरंत, बहुत आदि) हों, तो उनका स्थान न बदलें
  • अव्यय शब्द (अभी, जल्दी, धीरे, बहुत आदि) का स्थान वाक्य में पहले जैसा ही रहता है।

उदाहरण:

  • कर्तृ वाच्य: वह अभी किताब पढ़ रहा है।
  • कर्म वाच्य: किताब अभी उसके द्वारा पढ़ी जा रही है।

कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य में परिवर्तन के उदाहरण

कर्तृ वाच्य कर्म वाच्य
शिक्षक छात्रों को हिंदी पढ़ाते हैं। छात्रों को शिक्षक द्वारा हिंदी पढ़ाई जाती है।
पुलिस ने चोर को पकड़ा। चोर पुलिस द्वारा पकड़ा गया।
सुमन कविता लिख रही थी। कविता सुमन द्वारा लिखी जा रही थी।
मैंने मिठाई खाई। मिठाई मेरे द्वारा खाई गई।
हम खेल खेलते हैं। खेल हमारे द्वारा खेला जाता है।
वह संगीत गा रहा था। संगीत उसके द्वारा गाया जा रहा था।

 

कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य में परिवर्तन करते समय मुख्य रूप से तीन चीजों का ध्यान रखना होता है:

  1. कर्ता को हटाना या “द्वारा” जोड़ना।
  2. कर्म को वाक्य की शुरुआत में रखना।
  3. क्रिया के रूप को बदलकर उपयुक्त सहायक क्रिया का प्रयोग करना।

इन नियमों को ध्यान में रखकर हम कर्तृ वाच्य को आसानी से कर्म वाच्य में बदल सकते हैं।

कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य में अंतर

आधार कर्तृवाच्य (Active Voice) कर्मवाच्य (Passive Voice)
परिभाषा जिस वाक्य में कर्ता (कार्य करने वाला) प्रमुख होता है और क्रिया उसी के अनुसार प्रयुक्त होती है, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। जिस वाक्य में कर्म (जिस पर कार्य हो रहा है) प्रमुख होता है और कर्ता गौण हो जाता है, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
वाक्य में प्राथमिकता कर्ता (कार्य करने वाला) महत्वपूर्ण होता है। कर्म (जिस पर कार्य किया जा रहा है) महत्वपूर्ण होता है।
क्रिया का रूप क्रिया कर्ता के अनुसार रूप बदलती है। क्रिया कर्म के अनुसार रूप बदलती है।
वाक्य का स्वरूप सक्रिय (Active) होता है। निष्क्रिय (Passive) होता है।
पहचानने का तरीका “क्या कर रहा है?” या “कौन कर रहा है?” पूछने पर उत्तर मिलता है। “क्या किया जा रहा है?” या “किसके द्वारा किया जा रहा है?” पूछने पर उत्तर मिलता है।
कर्त्ता का उल्लेख स्पष्ट रूप से मौजूद रहता है। “के द्वारा” जोड़कर किया जा सकता है या अनुपस्थित भी हो सकता है।
प्रयोग आम बोलचाल और सक्रिय वाक्यों में अधिक प्रयोग होता है। औपचारिक, आधिकारिक और तटस्थ वाक्यों में अधिक प्रयोग होता है।
उदाहरण मोहन पत्र लिख रहा है। बच्चा किताब पढ़ रहा है। शिक्षक पाठ पढ़ा रहे हैं। पत्र लिखा जा रहा है। किताब पढ़ी जा रही है। पाठ पढ़ाया जा रहा है।

इस प्रकार, कर्तृवाच्य में वाक्य का ध्यान “कर्ता” पर होता है, जबकि कर्मवाच्य में “कर्म” को प्राथमिकता दी जाती है।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन

हिन्दी व्याकरण में वाच्य (Voice) का महत्वपूर्ण स्थान है। वाक्य में क्रिया और उसके कर्ता (Subject) के संबंध के आधार पर वाच्य के तीन प्रकार होते हैं – कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भाववाच्य।

इस लेख में हम कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन के नियमों, उदाहरणों और आवश्यक बातों को विस्तार से समझेंगे।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन के नियम

कर्तृवाच्य वाक्य को भाववाच्य में बदलते समय निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाता है:

1. कर्ता को हटाया जाता है

कर्तृवाच्य में जो कर्ता होता है, उसे भाववाच्य में हटा दिया जाता है या अप्रत्यक्ष बना दिया जाता है।

🔹 उदाहरण:

  • कर्तृवाच्य: राम ने पत्र लिखा।
  • भाववाच्य: पत्र लिखा गया।
2. क्रिया का रूप बदला जाता है

कर्तृवाच्य में प्रयुक्त क्रिया को भाववाच्य में तृतीय पुरुष एकवचन में बदल दिया जाता है।

🔹 उदाहरण:

  • कर्तृवाच्य: अध्यापक ने पाठ पढ़ाया।
  • भाववाच्य: पाठ पढ़ाया गया।
3. “गया”, “गई”, “गए” शब्दों का प्रयोग

भाववाच्य में “गया”, “गई”, “गए” का प्रयोग किया जाता है, जो लिंग और वचन के अनुसार बदलते हैं।

🔹 उदाहरण:

  • कर्तृवाच्य: बच्चों ने परीक्षा दी।
  • भाववाच्य: परीक्षा दी गई।
  • कर्तृवाच्य: पुलिस ने चोरों को पकड़ा।
  • भाववाच्य: चोर पकड़े गए।
4. “पड़ा”, “पड़ी”, “पड़े” शब्दों का प्रयोग

कुछ वाक्यों में “पड़ा”, “पड़ी”, “पड़े” का प्रयोग किया जाता है।

🔹 उदाहरण:

  • कर्तृवाच्य: मैंने सजा भुगती।
  • भाववाच्य: सजा भुगतनी पड़ी।
  • कर्तृवाच्य: उन्होंने मेहनत की।
  • भाववाच्य: मेहनत करनी पड़ी।
5. क्रिया का स्वरूप अपरिवर्तित रहता है

कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन करते समय वाक्य के मूल भाव में परिवर्तन नहीं किया जाता, केवल क्रिया का रूप बदलता है।

🔹 उदाहरण:

  • कर्तृवाच्य: छात्रों ने कविता लिखी।
  • भाववाच्य: कविता लिखी गई।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन के उदाहरण

कर्तृवाच्य वाक्य भाववाच्य वाक्य
राम ने किताब पढ़ी। किताब पढ़ी गई।
पुलिस ने अपराधी को पकड़ा। अपराधी पकड़ा गया।
हमने सजा भुगती। सजा भुगतनी पड़ी।
बच्चों ने गाना गाया। गाना गाया गया।
किसान ने खेत जोता। खेत जोता गया।
लड़की ने फूल तोड़ा। फूल तोड़ा गया।
सरकार ने नया नियम लागू किया। नया नियम लागू किया गया।

ट्रिक या वाच्य पहचान का तरीका

१. कर्तृवाच्य = कर्ता + ने / शून्य
२. कर्मवाच्य = कर्ता + द्वारा, के द्वारा /कर्ता (निर्जीव)
३. भाव वाच्य = कर्ता + से ( नहीं/ नकारात्मक भाव)

क्रिया के प्रयोग कितने प्रकार के होते हैं उदाहरण सहित समझाइए।

क्रिया के प्रयोग के पांच प्रकार होते हैं-
१. निश्चयार्थ
२. संदेहार्थ
३. सम्भावनार्थ
४. आशार्थ
५. संकेतार्थ

१. निश्चयार्थ: जिससे निश्चित सूचना मिले। जैसे:

  • राम गया।
  • श्याम खेल रहा है।
  • अभिषेक पड़ रहा है।
  • जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रसिद्ध कवि थे।

२. संदेहार्थ: इसमें संदेह की अभिव्यक्ति होती हैं। जैसे:-

  • परीक्षा में शायद ही सफल हो।
  • शायद वह वहां गया था।
  • शायद अभिषेक बाजार गया होगा।
  • वह शादी में गया होगा।

३. सम्भावनार्थ: इच्छा, सम्मति, कर्तव्य, आशीर्वाद, अनुमान, संभावना आदि की अभिव्यक्ति के लिए इसका प्रयोग होता है। जैसे:-

  • उसके कल आने की संभावना है।
  • आज जवानों को पुरस्कार मिलेंगे।

४. आशार्थ: इस क्रिया रूप से आशा, निषेध, उपदेश, प्रार्थना आदि का बहुत होता है। जैसे:

  • मां-बाप का आदर करो।
  • चोरी मत करो।
  • मुझे उम्मीद है कि तुम उस काम को अवश्य कर सकते हो।
  • उसने मेरी प्रार्थना सुन ली।
  • हे ईश्वर! मेरी रक्षा करो।
  • बच्चों! शोर मत करो।

५. संकेतार्थ: जिस क्रिया रूप से एक क्रिया का होना दूसरे क्रिया पर निर्भर हो उसे संकेतार्थ कहते हैं। जैसे:-

  • यदि वह पढ़ता तो फिर न होता।
  • यदि वह गया होता तो उसका भी काम हो जाता।
  • यदि उसने फॉर्म भरा होता तो वह भी इंटरव्यू में जा सकता था।

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