पेड़ का दर्द कविता का उद्देश्य, ‎पेड़ का दर्द कविता का मूल उद्देश्य, Ped Ka Dard Kavita Ka Uddeshya

पेड़ का दर्द कविता का उद्देश्य, ‎पेड़ का दर्द कविता का मूल उद्देश्य, Ped Ka Dard Kavita Ka Uddeshya

पेड़ का दर्द कविता का उद्देश्य, ‎पेड़ का दर्द कविता का मूल उद्देश्य, Ped Ka Dard Kavita Ka Uddeshya

हम सबने कभी न कभी किसी पेड़ को देखा होगा – कोई आम का पेड़, नीम का पेड़ या बरगद का पेड़। पेड़ हमें छाया देते हैं, फल देते हैं, ऑक्सीजन देते हैं और कई पक्षियों व जानवरों का घर भी होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर पेड़ बोल पाते तो वो हमें क्या बताते?

कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने अपनी कविता “पेड़ का दर्द” में पेड़ों की तरफ़ से एक मार्मिक बात कही है। उन्होंने यह कविता इसलिए लिखी है ताकि हम सब – खासकर बच्चे – समझ सकें कि पेड़ भी दुखी होते हैं, जब उन्हें बिना वजह काटा जाता है।

आजकल इंसान जंगलों को काटकर बड़ी-बड़ी इमारतें और सड़कें बना रहा है। इससे बहुत सारे पेड़ नष्ट हो जाते हैं। जब पेड़ कटते हैं तो उनके साथ वहाँ रहने वाले पक्षी, गिलहरी और कीड़े-मकोड़े भी अपना घर खो देते हैं। इससे हमारा पर्यावरण बिगड़ जाता है।

“पेड़ का दर्द” कविता में पेड़ खुद अपनी कहानी सुनाते हैं। वो कहते हैं कि कैसे उन्हें काटा जा रहा है, कैसे उनकी शाखाएँ टूटती हैं और उन्हें कितना दर्द होता है। लेकिन वे कुछ कह नहीं सकते – क्योंकि पेड़ बोलते नहीं। इसलिए कवि ने उनकी बात हमारे लिए कही है।

इस कविता का उद्देश्य बच्चों और बड़ों दोनों को यह समझाना है कि पेड़ हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं। वे बिना कुछ माँगे हमें बहुत कुछ देते हैं। पेड़ अगर न हों, तो न तो हमें साफ़ हवा मिलेगी, न पानी, और न ही ठंडी छाया। इतना ही नहीं, जब पेड़ कम हो जाते हैं, तो बारिश भी कम होती है और गर्मी बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है।

कवि चाहते हैं कि हम सभी पेड़ों को अपना दोस्त मानें और उन्हें बचाने की कोशिश करें। अगर हम पेड़ों को काटते रहेंगे, तो एक दिन ऐसा आएगा जब धरती पर हरियाली ही नहीं रहेगी। पक्षी चहकना बंद कर देंगे और गर्मी इतनी ज़्यादा होगी कि जीना मुश्किल हो जाएगा।

इसलिए यह कविता हमें सिखाती है कि हम पेड़ों की रक्षा करें, ज़रूरत न हो तो पेड़ न काटें, और जहाँ हो सके वहाँ पेड़ लगाएँ। पेड़ लगाने से न सिर्फ़ हमें ताज़ी हवा मिलेगी, बल्कि हमारा पर्यावरण भी साफ़ और सुंदर रहेगा। 

“पेड़ का दर्द” एक ऐसी कविता है जो पेड़ों की चुप पीड़ा को हमारी ज़ुबान देती है। यह हमें यह सिखाती है कि हमें प्रकृति से प्यार करना चाहिए, और उसके लिए कुछ अच्छा करना चाहिए। आइए, हम सब मिलकर पेड़ों की रक्षा करें और धरती को हरा-भरा बनाए रखें।

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