कोई नहीं पराया कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 , Koi Nahi Paraya Kavita Ka Question Answer Class 8

कोई नहीं पराया कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 , Koi Nahi Paraya Kavita Ka Question Answer Class 8

कोई नहीं पराया कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 , Koi Nahi Paraya Kavita Ka Question Answer Class 8

आप सभी का इस आर्टिकल में स्वागत है आज हम इस आर्टिकल के माध्यम कोई नहीं पराया कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8,को पढ़ने जा रहे हैं। जो पश्चिम बंगाल के सरकारी विद्यालय के कक्षा 8 के पाठ 5 कोई नहीं पराया से लिया गया है जिसके कवि गोपाल दास नीरज है।  तो चलिए कोई नहीं पराया कविता के प्रश्न उत्तर क्लास 8 , koi nahi paraya kavita ka question answer Class 8 को देखें-

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.कवि गोपालदास ‘नीरज’ किसे अपना घर मानते हैं?

(क) सारे घर को
(ख) सारे संसार को (✔)

उत्तर : (ख) सारे संसार को।

प्रश्न 2. कवि ‘नीरज’ का आराध्य कौन हैं?

(क) गुलाम
(ख) भीड़
(ग) आदमी (✔)
(घ) देवता।

उत्तर : (ग) आदमी।

प्रश्न 3. ‘काई नहीं पराया’ में कवि क्या सिखलाना चाहते हैं?

(क) सिर्फ अपने लिये सुख की तलाश
(ख) स्वर्ग पाने की कोशिश
(ग) जियो और जीने दो की भावना (✔)
(घ) देवत्व पाने की भावना
उत्तर :
(ग) जियो और जीने दो की भावना।

प्रश्न 4. इस कविता का मुख्य संदेश क्या है ?

(क) संसार के सभी प्राणी समान है
(ख) सारा संसार अपना घर है (✔)
(ग) सुख-दु:ख आते-जाते रहते हैं
(घ) हमेशा हसते रहना चाहिए
उत्तर :
(ख) सारा संसार अपना घर है।

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. कवि मंदिर-मस्जिद के बजाय कहाँ सिर टेकना चाहता है?

उत्तर : कवि मंदिर-मस्जिद के बजाय हर घर के द्वार पर सिर टेकना चाहता है, क्योंकि उसके लिए हर आदमी पूजनीय है और हर द्वार देवालय के समान है। कवि के अनुसार भगवान हर इंसान के हृदय में रहते हैं, इसलिए वह मनुष्य की पूजा को ही सबसे बड़ा धर्म मानता है।

प्रश्न 2. कवि को किस पर अभिमान है और उसे क्या भाता है?

उत्तर : कवि को अपनी मानवता पर बहुत अभिमान है। उसे मनुष्य की अच्छाइयाँ, उसके प्यार और भावनाएँ बहुत भाती हैं।

प्रश्न 3. कवि को स्वर्ग-सुख की कहानियों से ज्यादा क्या प्रिय है?

उत्तर : कवि को स्वर्ग के सुखों और सुंदर कहानियों से भी ज्यादा प्रिय अपनी धरती है। वह मानता है कि यह धरती सैकड़ों स्वर्गों से अधिक सुंदर, प्यारी और कोमल है।

प्रश्न 4. कवि किस प्रकार हँसने और चलने का संदेश देता है?

उत्तर : कवि कहते हैं कि हमें ऐसे हँसना चाहिए कि हमारे साथ-साथ दुखी और दबे हुए लोग भी हँस सकें, जैसे हमारे पैरों के नीचे की धूल भी मुस्कुराने लगे। इसी तरह, हमें ऐसे चलना चाहिए कि हमारे पैरों से किसी काँटे को भी चोट न पहुँचे। यानी हमारे किसी भी काम या व्यवहार से किसी को भी दुःख न हो

बोध मूलक प्रश्न :

प्रश्न 1. इस कविता को पढ़कर क्या आपको लगता है कि आज भी एकता विद्यमान है?

उत्तर : हाँ, इस कविता को पढ़कर ऐसा लगता है कि आज भी हमारे समाज में एकता विद्यमान है। भले ही जाति, धर्म और भाषा में भिन्नता हो, लेकिन लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं। सभी एक-दूसरे की मदद करते हैं और दुःख-सुख में साथ देते हैं।
हम सबको अपने देश और संस्कृति पर गर्व है। लोग एक-दूसरे के धर्म और विचारों का सम्मान करते हैं। सभी में करुणा, प्रेम और परोपकार की भावना है, जो हमें एकता के सूत्र में बाँधती है। इसलिए कहा जा सकता है कि आज भी समाज में एकता बनी हुई है।

प्रश्न 2. ‘मुझको अपनी मानवता पर बहुत-बहुत अभिमान है।’ का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : इस पंक्ति में कवि कहना चाहता है कि इंसान की पहचान उसकी मानवता से होती है। जब कोई इंसान दूसरों की मदद करता है, सेवा करता है, प्रेम और त्याग दिखाता है, तभी वह सच्चा मानव कहलाता है।
कवि को इस बात पर गर्व है कि वह एक ऐसा इंसान है, जिसमें यह सब गुण मौजूद हैं। इसलिए उसे अपनी मानवता यानी इंसानियत पर बहुत अभिमान (गर्व) है।

प्रश्न 3. ‘हँसों इस तरह, जैसे तुम्हारे साथ दलित यह धूल भी’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर : इस पंक्ति में कवि कहना चाहता है कि इंसान को ऐसा हँसना चाहिए कि उसके साथ-साथ दुखी, दबे-कुचले और गरीब लोग भी खुश हो जाएँ। सिर्फ अपने मन की खुशी दिखाना काफी नहीं है, बल्कि हमारी मुस्कान दूसरों के चेहरों पर भी मुस्कान ला सके — यही सच्ची खुशी है। कवि चाहता है कि हम सब मिलकर जीएँ और दूसरों की भी खुशी का कारण बनें।

प्रश्न 4. कवि प्यार को बाँटने की सलाह क्यों देता है?

उत्तर : कवि कहता है कि हमें सबके साथ प्यार से पेश आना चाहिए और अपने प्यार को जितना हो सके उतना बाँटना चाहिए। प्यार बाँटने से जाति, धर्म और संप्रदाय का भेद मिटता है। लोगों में आपसी भाईचारा बढ़ता है और एकता मजबूत होती है। प्यार एक ऐसी ताकत है जो दूसरों को अपना बना देती है। इसीलिए कवि चाहता है कि सभी लोग मिल-जुलकर रहें और एक-दूसरे से प्रेम करें, ताकि दुनिया में सुख-शांति बनी रहे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न  

प्रश्न.1. हमें इस कविता के द्वारा कवि ने क्या प्रेरणा दी है?

उत्तर : इस कविता के माध्यम से कवि ने हमें यह प्रेरणा दी है कि हमें सभी लोगों से प्रेम करना चाहिए और अपने-पराए का भेदभाव नहीं करना चाहिए। हमें देश, धर्म, जाति, ऊँच-नीच जैसी बातों से ऊपर उठकर पूरे संसार को एक परिवार समझना चाहिए। कवि कहते हैं कि मंदिर-मस्जिद में भगवान को खोजने की बजाय, हर इंसान में भगवान को देखना चाहिए। हमें अपनी मानवता पर गर्व करना चाहिए और अपने प्यार को सबके साथ बाँटना चाहिए। कवि यह भी कहते हैं कि अगर हम किसी का भला नहीं कर सकते, तो किसी का बुरा भी नहीं करना चाहिए। हमें इस तरह जीवन जीना चाहिए कि दूसरों को हमारे कारण कोई दुख न हो। कवि का सपना है कि सारा संसार प्रेम, शांति और भाईचारे से भर जाए और सभी लोग मिल-जुलकर रहें।

कोई नहीं पराया कविता का सारांश

कविता “कोई नहीं पराया” में कवि गोपालदास ‘नीरज’ ने पूरे संसार को एक परिवार मानने की भावना को प्रकट किया है। वे कहते हैं कि सच्चा धर्म प्रेम और मानवता में है, न कि जाति, धर्म, देश या काल की सीमाओं में। कवि के लिए हर इंसान पूजनीय है, हर घर मंदिर है और हर द्वार देवालय है।

वे किसी एक धर्म या रीति-नीति के बंधन में नहीं बंधना चाहते, बल्कि उन्हें हर दिल में बसने वाला प्रेम ही सच्चा राम दिखाई देता है।

कवि को अपनी मानवता पर गर्व है। वे कहते हैं कि देवता बनना नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनना अधिक महत्वपूर्ण है। वे अमरता को भी त्याग सकते हैं, लेकिन इंसानियत और प्यार को नहीं छोड़ सकते। उन्हें स्वर्ग की कहानियाँ नहीं, बल्कि धरती का सौंदर्य और मानवता का साथ अधिक प्रिय है।

कवि हमें सिखाते हैं कि –

  • “जियो और जीने दो” का सिद्धांत अपनाओ।
  • जितना हो सके, प्यार बाँटो
  • इस तरह चलो कि किसी को भी तुमसे कष्ट न पहुँचे
  • तुम्हारा सुख केवल तुम्हारा न हो, उसमें समाज का भी हिस्सा हो।
  • जैसे फूल डाली की नहीं, पहले बगीचे की शोभा होता है, वैसे ही व्यक्ति पहले समाज का रत्न बने।

कवि हमें यह संदेश देते हैं कि –

“यह संसार ही हमारा घर है, इसमें कोई पराया नहीं,
हर इंसान अपने हैं, हर दिल में भगवान हैं।”

विचार और कल्पना 

प्र.1. इस कविता को कंठस्थ करके इसका सस्वर पाठ कीजिए । 

उत्तर:  कक्षा कार्य

प्र.2. सबको एकता के सूत्र में बांधने के उपायों पर एक संक्षिप्त निबंध लिखिए । 

उत्तर :    सबको एकता के सूत्र में बाँधने के उपाय

भारत विविधताओं का देश है, जहाँ अनेक धर्म, जातियाँ, भाषाएँ और संस्कृतियाँ पाई जाती हैं। इस विविधता में एकता बनाए रखना ही हमारे देश की सबसे बड़ी विशेषता है। एकता का तात्पर्य है – सभी लोगों में प्रेम, सहयोग, समानता और भाईचारे की भावना का होना। यह भावना तभी सशक्त होती है जब समाज में समता, सहिष्णुता और परस्पर सम्मान बना रहे।

एकता को मजबूत बनाए रखने के लिए हमें कुछ उपाय अपनाने चाहिए। सबसे पहले, हमें जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। सभी मनुष्यों को समान दृष्टि से देखना चाहिए। विद्यालयों में राष्ट्रीय एकता, सद्भाव और नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। सभी त्योहारों को मिल-जुलकर मनाना चाहिए, ताकि आपसी समझ और भाईचारा बढ़े।

मीडिया और सामाजिक मंचों पर ऐसी बातें नहीं होनी चाहिए, जो समाज में नफरत फैलाएँ। सरकार को भी ऐसे कानून बनाने चाहिए जो सामाजिक भेदभाव को रोकें। युवाओं को चाहिए कि वे दूसरों की संस्कृति का आदर करें और देशहित को सर्वोपरि रखें।

निष्कर्षतः, जब सभी लोग “वसुधैव कुटुम्बकम्” यानी “सारा विश्व ही परिवार है” की भावना को अपनाएँगे, तभी सच्चे अर्थों में एकता का सूत्र मजबूत होगा और देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा।

भाषा बोध :

1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
  1. संसार – विश्व, दुनिया, जग
  2. उपवन – बाग, बगीचा, उद्यान
  3. इंसान – मानव, आदमी, मनुष्य
  4. शूल – काँटा, कंटक, कील
  5. घर – गृह, सदन, आवास
2. निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह कर समास का नाम लिखिए-
  1. देश-काल
    विग्रह: देश और काल
    समास का नाम: द्वंद्व समास
  2. घट-घट
    विग्रह: प्रत्येक घट में
    समास का नाम: अव्ययीभाव समास
  3. देवालय
    विग्रह: देव के लिए आलय (स्थान)
    समास का नाम: तत्पुरुष समास
  4. स्वर्ग-सुख
    विग्रह: स्वर्ग का सुख
    समास का नाम: तत्पुरुष समास
3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
  1. पराया – अपना
  2. गुलाम – स्वामी / मालिक / स्वतंत्र
  3. प्यार – नफ़रत / घृणा
  4. स्वर्ग – नरक
  5. स्वीकार – अस्वीकार / इंकार
  6. शूल – फूल
  7. मानवता – दानवता / अमानवता / क्रूरता

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