दिवाली पर निबंध ॥ Diwali Par Nibandh ।। पूरी रूप रेखा के साथ 300,400,500 और 600 शब्दों में

दिवाली पर निबंध 300, 400, 500 और 600 शब्दों में ॥ Diwali Par Nibandh ।। दिवाली पर निबंध 10, 20 और 30 लाइन में 

दिवाली पर निबंध 300, 400, 500 और 600 शब्दों में ॥ Diwali Par Nibandh ।। दिवाली पर निबंध 10, 20 और 30 लाइन में 

दिवाली पर निबंध 300 शब्दों में 

परिचय

दिवाली या दीपावली भारत का सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार है, जिसे “प्रकाश का पर्व” कहा जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपों, मोमबत्तियों और रोशनी से सजाते हैं। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं, नए वस्त्र पहने जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। यह त्योहार आनंद, प्रेम और एकता का संदेश देता है।

दिवाली का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में दिवाली का अत्यंत धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है। उनके आगमन पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर हर्ष व्यक्त किया था। इसी कारण इसे ‘दीपावली’ कहा गया। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है, जिससे घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। यह पर्व धर्म, विजय और प्रकाश का प्रतीक है।

त्योहार की तैयारियाँ

दिवाली से पहले लोग अपने घरों की अच्छी तरह सफाई करते हैं और उन्हें रंगोली, फूलों व दीपों से सजाते हैं। बाजारों में मिठाइयाँ, कपड़े, दीये और सजावटी वस्तुएँ खरीदने वालों की भीड़ रहती है। हर घर में नई उमंग और उत्साह का माहौल होता है। बच्चे पटाखे चलाकर खुशियाँ मनाते हैं और बड़े लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ व उपहार देकर शुभकामनाएँ देते हैं। पूरा वातावरण आनंद और रोशनी से भर जाता है।

दिवाली का महत्व और संदेश

दिवाली केवल खुशियों और उत्सव का पर्व नहीं, बल्कि यह जीवन में सत्य, प्रेम और ज्ञान के प्रकाश को अपनाने की प्रेरणा देती है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जैसे दीप अंधकार मिटाते हैं, वैसे ही हमें अपने भीतर की नकारात्मकता, अज्ञान और बुराइयों को दूर करना चाहिए। दिवाली का संदेश है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय पाती है और सत्य का मार्ग ही हमें सुख, शांति और समृद्धि की ओर ले जाता है।

निष्कर्ष

दिवाली हमें यह सिखाती है कि अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, अंत में प्रकाश की ही विजय होती है। यह पर्व अच्छाई, सत्य और प्रेम की शक्ति का प्रतीक है। हमें दिवाली को केवल उत्सव के रूप में नहीं, बल्कि स्वच्छता, सद्भाव और एकता के संदेश के रूप में मनाना चाहिए। दीपावली के दीप हमें प्रेरित करते हैं कि हम अपने जीवन में भी प्रकाश, सकारात्मकता और मानवता का संचार करें।

दिवाली पर निबंध 400 शब्दों में 

परिचय

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहार है। यह हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, रंगोली बनाते हैं और दीपों से उन्हें सजाते हैं। शाम के समय मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।

दिवाली का पौराणिक महत्व

दिवाली का पौराणिक महत्व अत्यंत गहरा है। इस दिन भगवान श्रीराम रावण का वध कर 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर नगर को प्रकाशमय बना दिया, तभी से यह पर्व दीपावली कहलाया। जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो आत्मज्ञान और मुक्ति का प्रतीक है। वहीं सिख धर्म में यह दिन गुरु हरगोबिंद जी की जेल से मुक्ति के उपलक्ष्य में “बंदी छोड़ दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

दिवाली की तैयारियाँ और उत्सव

दिवाली से पहले लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और दीवारों व आँगन में रंगोली सजाते हैं। घरों और मंदिरों को दीपों और लाइटों से रोशन किया जाता है। मिठाइयाँ बनाई और बाँटी जाती हैं, नए कपड़े पहने जाते हैं और रिश्तेदारों में उपहार दिए जाते हैं। बच्चे पटाखे जलाकर और खेल-खेल में खुशी मनाते हैं। दिवाली के अवसर पर धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे पर्व भी उत्साहपूर्वक मनाए जाते हैं, जो यह पर्व और भी रंगीन और आनंदमय बनाते हैं।

लक्ष्मी पूजा का महत्व

दिवाली की रात को धन की देवी माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। यह पूजा घर में समृद्धि, सुख और शांति लाने के लिए की जाती है। मान्यता है कि स्वच्छ, सज्जित और रोशन घरों में माता लक्ष्मी का वास होता है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। लोग इस दिन दीप जलाकर और मिठाइयाँ बाँटकर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं। लक्ष्मी पूजा का यह पर्व आर्थिक समृद्धि और नैतिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।

दिवाली का सामाजिक संदेश

दिवाली केवल उत्सव और आनंद का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें गहरा सामाजिक संदेश भी देती है। यह त्योहार स्वच्छता, सद्भाव, प्रेम और एकता का प्रतीक है। दिवाली हमें सिखाती है कि जैसे दीपक अंधकार को दूर करता है, वैसे ही हमें अपने मन और समाज से अज्ञान, नकारात्मकता और बुराइयों को हटाना चाहिए। यह पर्व हमें भाईचारे, मेल-जोल और सामाजिक जिम्मेदारी का महत्व समझाता है। दिवाली का प्रकाश हमें जीवन में अच्छाई और सकारात्मकता की ओर प्रेरित करता है।

निष्कर्ष

दिवाली केवल धार्मिक महत्व वाला पर्व नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है। यह लोगों के बीच प्रेम, सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देता है। दीपों की रोशनी अंधकार को दूर करती है और बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देती है। मिठाइयाँ बाँटने, उपहार देने और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देने की परंपरा समाज में खुशियों और मेल-जोल को बढ़ाती है। दिवाली जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और आनंद का संचार करती है।

दिवाली पर निबंध 300, 400, 500 और 600 शब्दों में ॥ Diwali Par Nibandh ।। दिवाली पर निबंध 10, 20 और 30 लाइन में 

दिवाली पर निबंध 500 शब्दों में 

परिचय

दिवाली या दीपावली भारत का एक अत्यंत प्रसिद्ध और प्रिय त्योहार है। यह हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को पूरे देश में हर्षोल्लास और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ‘दिवाली’ का अर्थ है “दीयों की पंक्ति”, जो अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस अवसर पर लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, रंगोली बनाते हैं और दीपों से घरों को जगमगाते हैं। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं, नए वस्त्र पहने जाते हैं और परिजन आपस में उपहार देकर शुभकामनाएँ देते हैं। दिवाली जीवन में खुशियाँ और सकारात्मकता लाती है।

पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

दिवाली का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत गहरा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त कर 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए, जिससे नगर अंधकार से मुक्त हुआ और यह पर्व दीपावली के नाम से जाना गया। जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो आत्मज्ञान और मुक्ति का प्रतीक है। वहीं सिख धर्म में गुरु हरगोबिंद सिंह जी की जेल से मुक्ति के उपलक्ष्य में इस दिन को विशेष महत्व दिया गया है।

दिवाली की तैयारियाँ

दिवाली से पहले लोग अपने घरों की सफाई और रंगाई-पुताई करते हैं ताकि घर स्वच्छ और आकर्षक दिखे। इस अवसर पर नए कपड़े खरीदे जाते हैं और मिठाइयाँ तथा उपहार तैयार या खरीदे जाते हैं। बाजारों में भी खरीदारी और रौनक का माहौल रहता है। हर घर को दीपों, झालरों, फूलों और रंगोली से सजाया जाता है। बच्चे और बड़े पटाखे जलाकर आनंद मनाते हैं। इस प्रकार, दिवाली की तैयारियाँ न केवल घरों को सुंदर बनाती हैं, बल्कि पूरे समाज में उल्लास, उत्साह और एकता का संदेश फैलाती हैं।

मुख्य उत्सव और पूजा

दिवाली की रात सबसे प्रमुख रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। यह पूजा घर में समृद्धि, सुख और शांति लाने के लिए की जाती है। मान्यता है कि स्वच्छ और सज्जित घरों में माता लक्ष्मी का वास होता है। लोग दीपक जलाकर घरों और आस-पास के क्षेत्र को रोशन करते हैं और आरती करते हैं। बच्चे और बड़े आतिशबाजी करके खुशी मनाते हैं। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और उपहार दिए जाते हैं। इस तरह दिवाली का उत्सव प्रकाश, आनंद और भक्ति का संगम प्रस्तुत करता है।

पर्यावरण और सुरक्षा

आजकल दिवाली पर पटाखों के अत्यधिक उपयोग से वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें “ग्रीन दिवाली” मनाने का संकल्प लेना चाहिए। इसके अंतर्गत मिट्टी के दीये जलाना, प्राकृतिक सजावट का उपयोग करना और पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं का चयन करना शामिल है। पटाखों के स्थान पर फूलों और रोशनी से उत्सव को मनाना चाहिए। इस प्रकार हम दिवाली की खुशियाँ मनाते हुए पर्यावरण की रक्षा और अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं।

निष्कर्ष

दिवाली केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन और समाज के लिए महत्वपूर्ण संदेश भी देती है। यह हमें सिखाती है कि जैसे दीपक अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाता है, वैसे ही हमें अपने जीवन से अज्ञान, नकारात्मकता और बुराई को दूर करना चाहिए। इस पर्व के माध्यम से हम अच्छाई, प्रेम, ज्ञान और सद्भाव का प्रकाश अपने घर और समाज में फैलाएँ। दिवाली स्वच्छता, एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इसका संदेश है कि सकारात्मकता और नैतिक मूल्य जीवन को उज्जवल और सफल बनाते हैं।

दिवाली पर निबंध 600 शब्दों में 

परिचय

दिवाली या दीपावली भारत का सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे सभी धर्मों और समाज के वर्ग मिलकर हर्षोल्लास और उल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्योहार हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। ‘दिवाली’ का अर्थ है “दीयों की पंक्ति”, क्योंकि इस रात हर घर दीपों, मोमबत्तियों और रंगीन रोशनी से जगमगाता है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और भाईचारे व प्रेम का उत्सव मनाते हैं।

दिवाली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

दिवाली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है। हिंदू परंपरा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तब नगरवासियों ने पूरे नगर में दीप जलाकर उनका भव्य स्वागत किया। इसी स्मृति में दीपावली मनाई जाती है। जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण का प्रतीक माना जाता है, जो आत्मज्ञान और मुक्ति का संदेश देता है। वहीं सिख धर्म में यह गुरु हरगोबिंद जी की कारावास से मुक्ति के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस प्रकार, दिवाली सभी धर्मों में प्रकाश, अच्छाई और स्वतंत्रता का प्रतीक बन चुकी है।

दिवाली की तैयारियाँ

दिवाली की तैयारियाँ त्योहार से कई दिन पहले ही शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों की सफाई और रंगाई-पुताई करते हैं ताकि घर स्वच्छ और आकर्षक दिखे। बाजारों में मिठाइयों, नए कपड़ों, दीपकों और सजावटी सामान की खरीदारी का माहौल रहता है। हर घर को रंगोली, दीपक, झालरों और फूलों से सजाया जाता है। बच्चे और बड़े पटाखों और आतिशबाजी के माध्यम से उत्सव का आनंद लेते हैं। इन तैयारियों के माध्यम से न केवल घर सुंदर बनते हैं, बल्कि पूरे समाज में उल्लास, खुशी और भाईचारे का संदेश भी फैलता है, जिससे दिवाली का महत्व और बढ़ जाता है।

पाँच दिवसीय उत्सव

दिवाली का पर्व पाँच दिनों तक मनाया जाता है, और हर दिन का अपना विशेष महत्व है। पहला दिन धनतेरस होता है, जब धन की देवी लक्ष्मी और आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है। दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली होती है, जो नरकासुर के वध की स्मृति में मनाई जाती है। तीसरा दिन दीपावली है, इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है, घर दीपों से जगमगाते हैं और पटाखे जलाए जाते हैं। चौथा दिन गोवर्धन पूजा है, जब भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। अंतिम दिन भाई दूज होता है, जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।

लक्ष्मी पूजा और उत्सव

दिवाली की रात सबसे महत्वपूर्ण रूप से माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोग मानते हैं कि स्वच्छ, सज्जित और प्रकाशमान घरों में माता लक्ष्मी का वास होता है, जिससे घर में समृद्धि, सुख और शांति बनी रहती है। इस अवसर पर दीपक जलाए जाते हैं, घर और मंदिर सजाए जाते हैं, और आरती कर माता लक्ष्मी से आशीर्वाद माँगा जाता है। लोग मिठाइयाँ बाँटते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और उपहार देते हैं। इस तरह दिवाली का उत्सव भक्ति, आनंद और प्रकाश का संगम प्रस्तुत करता है, जो जीवन में सकारात्मकता और खुशियाँ लाता है।

सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश

दिवाली केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, भाईचारे और प्रेम का प्रतीक भी है। यह हमें सिखाती है कि जैसे दीपक अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाता है, वैसे ही हमें अपने जीवन और समाज से अज्ञान, नकारात्मकता और बुराइयों को दूर कर ज्ञान और सत्य का प्रकाश फैलाना चाहिए। आजकल पटाखों और रासायनिक सजावट से प्रदूषण बढ़ रहा है, इसलिए हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर “ग्रीन दिवाली” मनानी चाहिए। मिट्टी के दीये, प्राकृतिक सजावट और कम प्रदूषण वाले विकल्प अपनाकर हम पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों की सुरक्षा कर सकते हैं।

निष्कर्ष

दिवाली केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन के लिए महत्वपूर्ण शिक्षाएँ भी देती है। यह हमें सिखाती है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो, अंततः अच्छाई की ही विजय होती है। इसी तरह हमें अपने जीवन में ईमानदारी, सच्चाई और सदाचार का प्रकाश फैलाना चाहिए। जब हम अपने भीतर के अहंकार, ईर्ष्या और नकारात्मकता को दूर करेंगे, तभी सच्ची दिवाली का अनुभव होगा। यह पर्व न केवल खुशियाँ और उत्साह लाता है, बल्कि हमें नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी उज्जवल और बेहतर व्यक्ति बनने की प्रेरणा देता है।

दिवाली पर निबंध – 10 लाइन

  1. दिवाली भारत का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है।
  2. इसे दीपावली भी कहा जाता है।
  3. यह अंधकार पर प्रकाश का प्रतीक है।
  4. भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में यह मनाई जाती है।
  5. लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं।
  6. दीपक और लालटेन से घर जगमगाता है।
  7. इस दिन लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है।
  8. बच्चे पटाखे जलाकर खुशी मनाते हैं।
  9. लोग मिठाइयाँ बाँटते हैं और उपहार देते हैं।
  10. दिवाली हमें अच्छाई, प्रेम और एकता का संदेश देती है।

दिवाली पर निबंध – 20 लाइन

  1. दिवाली भारत का प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है।
  2. इसे दीपावली भी कहा जाता है।
  3. यह अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  4. भगवान राम ने रावण का वध कर 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे।
  5. अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया।
  6. इसी स्मृति में दीपावली मनाई जाती है।
  7. जैन धर्म में यह भगवान महावीर के निर्वाण का दिन है।
  8. सिख धर्म में गुरु हरगोबिंद जी की जेल से मुक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  9. दिवाली से पहले लोग घरों की सफाई और रंगाई करते हैं।
  10. बाजारों में मिठाइयों, कपड़ों और उपहारों की खरीदारी होती है।
  11. लोग रंगोली बनाते और दीपक सजाते हैं।
  12. दिवाली की रात लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है।
  13. स्वच्छ और रोशन घरों में लक्ष्मी का वास माना जाता है।
  14. बच्चे पटाखे जलाकर आनंद मनाते हैं।
  15. लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों को शुभकामनाएँ देते हैं।
  16. दिवाली केवल खुशी का त्योहार नहीं बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व है।
  17. यह हमें प्रेम, भाईचारा और सद्भाव का संदेश देती है।
  18. आजकल “ग्रीन दिवाली” मनाने की परंपरा बढ़ रही है।
  19. मिट्टी के दीये और पर्यावरण मित्र वस्तुओं का उपयोग किया जाता है।
  20. दिवाली जीवन में अच्छाई और प्रकाश का प्रतीक है।

दिवाली पर निबंध – 30 लाइन

  1. दिवाली भारत का प्रमुख और सबसे लोकप्रिय त्योहार है।
  2. इसे दीपावली भी कहा जाता है।
  3. यह अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  4. यह त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है।
  5. हिंदू धर्म में यह भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी का पर्व है।
  6. भगवान राम ने रावण का वध कर 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे।
  7. अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया।
  8. इसी कारण इसे दीपावली कहा गया।
  9. जैन धर्म में यह भगवान महावीर के निर्वाण का दिन है।
  10. सिख धर्म में गुरु हरगोबिंद जी की जेल से मुक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  11. दिवाली से पहले लोग अपने घरों की सफाई करते हैं।
  12. घरों को रंगों और फूलों से सजाया जाता है।
  13. बाजारों में मिठाइयों, कपड़ों और उपहारों की खरीदारी होती है।
  14. लोग दीपक, लालटेन और झालरों से घर सजाते हैं।
  15. दिवाली की रात लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है।
  16. स्वच्छ और रोशन घरों में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है।
  17. बच्चे पटाखे जलाकर उत्सव मनाते हैं।
  18. लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं।
  19. यह पर्व परिवार और समाज में एकता बढ़ाता है।
  20. दिवाली केवल खुशी का त्योहार नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व भी है।
  21. यह अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाने का संदेश देती है।
  22. इसे पाँच दिनों तक मनाया जाता है: धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज।
  23. धनतेरस पर धन की देवी लक्ष्मी और धन्वंतरि की पूजा होती है।
  24. नरक चतुर्दशी पर नरकासुर का वध याद किया जाता है।
  25. दीपावली की रात दीप जलाकर माता लक्ष्मी की पूजा होती है।
  26. गोवर्धन पूजा और भाई दूज भी भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक हैं।
  27. आजकल पर्यावरण मित्र “ग्रीन दिवाली” मनाने का चलन बढ़ा है।
  28. मिट्टी के दीयों और प्राकृतिक सजावट का उपयोग किया जाता है।
  29. दिवाली जीवन में अच्छाई, ज्ञान, प्रेम और उत्साह का संदेश देती है।
  30. यह हमें सिखाती है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा विजय होती है।

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