गुरु नानक जयंती पर निबंध 300, 400, 500 और 600 शब्दों में ॥ Guru Nanak Jayanti Par Nibandh ।। गुरु नानक जयंती पर निबंध 10, 20 और 30 लाइन में
गुरु नानक जयंती पर निबंध 300 शब्दों में
परिचय
गुरु नानक जयंती सिख धर्म के प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी ने मानवता, समानता, सच्चाई और सेवा का संदेश दिया। यह दिन न केवल सिख समुदाय बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है।
गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय
गुरु नानक देव जी का जन्म सन् 1469 ईस्वी में पंजाब के तलवंडी गाँव (वर्तमान पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ था। उनके पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम माता तृप्ता था। वे बचपन से ही धार्मिक, ज्ञानी और दयालु स्वभाव के थे। उन्होंने समाज में फैली अंधविश्वास, असमानता और भेदभाव की निंदा की तथा सच्चाई, सेवा और समानता के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ
गुरु नानक देव जी ने “एक ओंकार सतनाम” का संदेश दिया, जिसका अर्थ है — ईश्वर एक है और वह सबमें विद्यमान है। उन्होंने समाज में व्याप्त जाति-पाति, ऊँच-नीच और भेदभाव का विरोध किया। उनकी शिक्षाओं का मुख्य उद्देश्य था कि मनुष्य प्रेम, करुणा, सत्य, सेवा और भक्ति के मार्ग पर चले। उन्होंने सिखाया कि सच्चा धर्म मानवता की सेवा और ईश्वर के नाम का स्मरण करने में निहित है।
गुरु नानक जयंती का उत्सव
गुरु नानक जयंती के दिन सभी गुरुद्वारों को सुंदर फूलों और रोशनी से सजाया जाता है। श्रद्धालु नगर कीर्तन निकालते हैं, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब की शोभायात्रा धूमधाम से की जाती है। इस अवसर पर “लंगर” यानी सामूहिक भंडारे का आयोजन होता है, जहाँ सभी जाति और धर्म के लोग मिलकर भोजन करते हैं। भक्तजन भजन-कीर्तन, पाठ और अरदास के माध्यम से गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके संदेशों का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं।
निष्कर्ष
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं। उन्होंने मानवता, समानता, सच्चाई और सेवा का जो संदेश दिया, वह पूरे विश्व के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका जीवन सादगी, करुणा और ईश्वर भक्ति का उदाहरण है। हमें उनके आदर्शों का अनुसरण करते हुए समाज में प्रेम, शांति और भाईचारे का संदेश फैलाना चाहिए — यही गुरु नानक देव जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
गुरु नानक जयंती पर निबंध 400 शब्दों में
परिचय
गुरु नानक जयंती सिख धर्म के प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस पर मनाई जाती है। यह पर्व ‘गुरुपर्व’ या ‘प्रकाश पर्व’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों में कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन होता है। गुरु नानक देव जी ने प्रेम, समानता, सच्चाई और मानवता का संदेश दिया, जो आज भी समाज के लिए प्रेरणादायक है।
गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी गाँव (वर्तमान ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम माता तृप्ता था। वे बचपन से ही ईश्वर-भक्त, ज्ञानी और सत्य के खोजी थे। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद और भेदभाव का विरोध किया तथा प्रेम, समानता और मानवता का संदेश दिया। उनका जीवन सत्य, सेवा और करुणा का आदर्श उदाहरण है।
गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएँ
गुरु नानक देव जी ने “सतनाम, एक ओंकार, करतार” का संदेश देकर बताया कि ईश्वर एक है और वही समस्त सृष्टि का रचयिता है। उन्होंने कहा — “ना कोई हिंदू, ना कोई मुसलमान, सब ईश्वर की संतान हैं।” गुरु जी ने सच्चे कर्म, सेवा और सिमरन (ईश्वर-स्मरण) को जीवन का मूल माना। उनका सिद्धांत था — “नाम जपो, किरत करो और वंड छको,” अर्थात ईश्वर का नाम लो, परिश्रम से जीविका चलाओ और अपने धन को जरूरतमंदों के साथ बाँटो।
गुरु नानक जयंती का उत्सव
गुरु नानक जयंती के अवसर पर सिख समुदाय ‘अखंड पाठ’ यानी गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ करता है। सभी गुरुद्वारों को फूलों, दीयों और रोशनी से सजाया जाता है। इस दिन नगर कीर्तन निकाला जाता है, जिसमें ‘पंज प्यारे’ शोभायात्रा का नेतृत्व करते हैं। भक्तजन भजन-कीर्तन करते हैं और गुरु जी की शिक्षाओं का प्रचार करते हैं। गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन किया जाता है, जहाँ सभी धर्मों और वर्गों के लोग समान रूप से बैठकर भोजन करते हैं।
निष्कर्ष
गुरु नानक देव जी ने विश्व को सत्य, प्रेम, समानता और सेवा का अमूल्य संदेश दिया। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि सच्चा धर्म मानवता की सेवा में निहित है। उन्होंने जात-पात, भेदभाव और अंधविश्वास को दूर करने का आह्वान किया। गुरु नानक जयंती हमें उनके उपदेशों — “नाम जपो, किरत करो और वंड छको” — को जीवन में अपनाने की प्रेरणा देती है, ताकि समाज में शांति, एकता और भाईचारा बना रहे।
गुरु नानक जयंती पर निबंध 500 शब्दों में
परिचय
गुरु नानक जयंती सिख धर्म के प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरे भारत और विश्वभर में अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे “गुरुपर्व” या “प्रकाश पर्व” के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सिख समुदाय गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन करता है। गुरु नानक देव जी ने सत्य, समानता, प्रेम और सेवा का जो संदेश दिया, वह आज भी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ईस्वी में ननकाना साहिब (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम माता तृप्ता था। बचपन से ही वे धार्मिक प्रवृत्ति और ईश्वर-भक्ति में गहरी आस्था रखते थे। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, भेदभाव और अन्याय का विरोध किया। गुरु नानक देव जी ने प्रेम, समानता, सेवा और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनका जीवन संपूर्ण मानवता के लिए ज्ञान और भक्ति का प्रकाशस्तंभ है।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ
गुरु नानक देव जी ने “एक ओंकार सतनाम” का संदेश दिया, जिसका अर्थ है — ईश्वर एक है और वह हर जीव में विद्यमान है। उन्होंने समाज में समानता, भाईचारा, प्रेम और सेवा की भावना को प्रोत्साहित किया। उनका जीवन दर्शन तीन मूल सिद्धांतों पर आधारित था —
- नाम जपो: ईश्वर का स्मरण करो।
- किरत करो: सच्चे मार्ग पर चलकर ईमानदारी से मेहनत करो।
- वंड छको: अपने अन्न और धन को जरूरतमंदों के साथ बाँटो।
गुरु जी ने अंधविश्वास, पाखंड और जातिवाद का विरोध करते हुए सच्चे कर्म और मानवता को सर्वोच्च बताया।
गुरु नानक जयंती का उत्सव
गुरु नानक जयंती से पहले दो दिनों तक सभी गुरुद्वारों में ‘अखंड पाठ’ अर्थात गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ आयोजित किया जाता है। पर्व के दिन भव्य नगर कीर्तन निकाला जाता है, जिसमें ‘पंज प्यारे’ अग्रणी रहते हैं और भक्तजन भजन-कीर्तन करते हुए गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रचार करते हैं। इस दिन लंगर का आयोजन किया जाता है, जो गुरु जी की “सेवा भावना” और “समानता” का प्रतीक है, जहाँ सभी लोग धर्म, जाति या वर्ग भेद के बिना एक साथ भोजन करते हैं।
गुरु नानक देव जी का संदेश और महत्व
गुरु नानक देव जी का महान संदेश था — “सबका मालिक एक है”, अर्थात ईश्वर एक है और वह सबमें समान रूप से विद्यमान है। उन्होंने यह सिखाया कि सच्चा धर्म किसी पूजा-पद्धति में नहीं, बल्कि मानवता, प्रेम और सेवा में निहित है। गुरु जी के उपदेश आज भी समाज में समानता, एकता, करुणा और भाईचारे की भावना को मजबूत करते हैं। उनका जीवन और शिक्षाएँ हमें यह प्रेरणा देती हैं कि हम बिना भेदभाव सभी के साथ सम्मान और प्रेम से व्यवहार करें।
निष्कर्ष
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ सदा मानवता के पथ को आलोकित करती रहेंगी। उन्होंने जीवन भर सत्य, प्रेम, समानता और सेवा का संदेश दिया, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। गुरु नानक जयंती हमें यह सिखाती है कि सच्चा धर्म वही है जो मानवता को जोड़ता है, भेदभाव को मिटाता है और ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति की प्रेरणा देता है। उनके आदर्शों पर चलकर ही हम एक प्रेममय, शांतिपूर्ण और समरस समाज की स्थापना कर सकते हैं।
गुरु नानक जयंती पर निबंध 600 शब्दों में
परिचय
गुरु नानक जयंती सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन पूरे भारत और विश्वभर में अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे “गुरुपर्व” या “प्रकाश पर्व” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन गुरु नानक देव जी के जन्म से मानवता के मार्ग पर प्रकाश फैला था। गुरु नानक देव जी ने समाज में समानता, सत्य, प्रेम और सेवा का संदेश दिया। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा धर्म मानवता की सेवा और एकता के मार्ग पर चलने में निहित है।
गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी गाँव (वर्तमान ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता मेहता कालू एक पटवारी थे और माता माता तृप्ता एक धर्मपरायण और सरल स्वभाव की महिला थीं। बचपन से ही गुरु नानक देव जी में गंभीरता, ईश्वर-भक्ति और ज्ञान की जिज्ञासा के लक्षण स्पष्ट दिखाई देते थे। वे सदा सत्य, प्रेम और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते थे। उनका जीवन समाज में समानता, भक्ति और मानवता की भावना को प्रबल करने वाला था।
गुरु नानक देव जी का संदेश और विचारधारा
गुरु नानक देव जी ने “एक ओंकार सतनाम” का संदेश देकर बताया कि ईश्वर एक है और वह हर जीव में समान रूप से विद्यमान है। उन्होंने जाति-पाति, ऊँच-नीच, पाखंड, आडंबर और धार्मिक भेदभाव का दृढ़ता से विरोध किया। उनकी शिक्षाएँ तीन मूल सिद्धांतों पर आधारित थीं —
- नाम जपो – ईश्वर का निरंतर स्मरण करो।
- किरत करो – ईमानदारी और परिश्रम से जीवन यापन करो।
- वंड छको – अपने धन और भोजन को दूसरों के साथ बाँटो।
गुरु जी का मानना था कि “मनुष्य का असली धर्म मानवता की सेवा करना है।” उनकी विचारधारा प्रेम, समानता और सत्य पर आधारित थी।
गुरु नानक जयंती का आयोजन
गुरु नानक जयंती का उत्सव सिख समुदाय बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाता है। इस अवसर पर ‘अखंड पाठ’ यानी गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ तीन दिनों तक किया जाता है। पर्व के दिन प्रातःकाल नगर कीर्तन निकाला जाता है, जिसमें ‘पंज प्यारे’ (पाँच सिख) अग्रणी रहते हैं। भजन-कीर्तन, नगाड़े, झाँकियाँ और धार्मिक गीतों के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है। गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन होता है, जहाँ सभी धर्मों और वर्गों के लोग समान रूप से बैठकर भोजन करते हैं। यह आयोजन गुरु नानक देव जी की समानता, प्रेम और सेवा की भावना का प्रतीक है।
गुरु नानक देव जी का योगदान
गुरु नानक देव जी ने न केवल सिख धर्म की स्थापना की, बल्कि मानवता के सार्वभौमिक सिद्धांतों को भी प्रतिपादित किया। उन्होंने सिखाया कि धर्म का वास्तविक सार प्रेम, करुणा, सत्य और सेवा में निहित है। उनके उपदेशों ने समाज में भाईचारे, समानता और एकता की भावना को प्रबल किया। गुरु जी ने अंधविश्वास, पाखंड और अन्याय का विरोध करते हुए लोगों को सच्चे कर्म, ईमानदारी और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनका योगदान केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानव कल्याण और सामाजिक सुधार की दिशा में भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
निष्कर्ष
गुरु नानक देव जी का जीवन और शिक्षाएँ सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत हैं। उन्होंने सिखाया कि सच्चा धर्म किसी रीति-रिवाज या पूजा-पाठ में नहीं, बल्कि सेवा, प्रेम, करुणा और मानवता में निहित है। गुरु नानक जयंती हमें उनके आदर्शों को अपनाने और समाज में समानता, भाईचारा और सत्य की भावना फैलाने का संदेश देती है। यदि हम उनके बताए मार्ग पर चलें, तो संसार में शांति, एकता और सद्भावना की स्थापना संभव है।
गुरु नानक जयंती पर निबंध 10 लाइन में
- गुरु नानक जयंती सिख धर्म के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस पर मनाई जाती है।
- यह पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
- गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में हुआ था।
- उन्होंने “एक ओंकार सतनाम” का संदेश दिया।
- उनका उद्देश्य था — समानता, भाईचारा और सच्चाई का प्रचार करना।
- उन्होंने कहा कि ईश्वर एक है और सबमें विद्यमान है।
- इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और नगर कीर्तन निकाला जाता है।
- लंगर का आयोजन होता है, जिसमें सभी धर्मों के लोग एक साथ भोजन करते हैं।
- लोग गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को याद कर सेवा और भक्ति का पालन करते हैं।
- गुरु नानक जयंती हमें मानवता और प्रेम का मार्ग दिखाती है।
गुरु नानक जयंती पर निबंध 20 लाइन में
- गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस पर मनाई जाती है।
- यह पर्व पूरे विश्व में सिख समुदाय द्वारा भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
- गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को ननकाना साहिब (अब पाकिस्तान) में हुआ था।
- उनके पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम माता तृप्ता था।
- बचपन से ही वे धार्मिक प्रवृत्ति और ईश्वर-भक्ति में रुचि रखते थे।
- उन्होंने समाज में फैली अंधविश्वास, ऊँच-नीच और भेदभाव की प्रथाओं का विरोध किया।
- गुरु नानक जी ने सिखाया कि ईश्वर एक है और सबके लिए समान है।
- उनका प्रसिद्ध उपदेश था — “नाम जपो, किरत करो, वंड छको।”
- यानी ईश्वर का नाम लो, मेहनत करो और अपने धन को दूसरों से बाँटो।
- उन्होंने सच्चे कर्म और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
- गुरु नानक जयंती के दिन गुरुद्वारों में अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है।
- सुबह-सुबह नगर कीर्तन निकाला जाता है जिसमें “पंज प्यारे” अग्रणी रहते हैं।
- लोग भजन-कीर्तन करते हैं और गुरु जी के उपदेशों का प्रचार करते हैं।
- लंगर सेवा इस दिन का मुख्य आकर्षण होती है।
- लंगर में सभी धर्मों और वर्गों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
- इस दिन लोगों के हृदय में प्रेम, समानता और भाईचारे की भावना जागृत होती है।
- गुरु नानक जी के विचार आज भी मानवता के लिए प्रकाशस्तंभ हैं।
- उनका जीवन हमें सत्य और निस्वार्थ सेवा की सीख देता है।
- गुरु नानक जयंती केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है।
- हमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
गुरु नानक जयंती पर निबंध 30 लाइन में
- गुरु नानक जयंती सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस पर मनाई जाती है।
- इसे “गुरुपर्व” या “प्रकाश पर्व” भी कहा जाता है।
- यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरे भारत और विदेशों में मनाया जाता है।
- गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ईस्वी में ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में हुआ था।
- उनके पिता मेहता कालू और माता तृप्ता धार्मिक विचारों वाले थे।
- गुरु नानक देव जी बचपन से ही सत्य और ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे।
- उन्होंने समाज में फैले पाखंड, अंधविश्वास और जातिवाद का विरोध किया।
- उन्होंने सिखाया कि ईश्वर एक है, जो सबके भीतर बसता है।
- उनका प्रसिद्ध मंत्र था — “एक ओंकार सतनाम।”
- गुरु नानक देव जी ने लोगों को मानवता, समानता और सेवा का पाठ पढ़ाया।
- उनका संदेश था — “नाम जपो, किरत करो, वंड छको।”
- उन्होंने कहा कि सच्चा धर्म सेवा और सत्य में निहित है।
- गुरु नानक जी के उपदेशों ने समाज में भाईचारा और एकता की भावना जगाई।
- गुरु नानक जयंती से पहले अखंड पाठ आयोजित किया जाता है।
- इस दिन नगर कीर्तन निकाला जाता है जिसमें झाँकियाँ और भजन-कीर्तन होते हैं।
- सिख श्रद्धालु और अन्य धर्मों के लोग गुरुद्वारों में जाकर दर्शन करते हैं।
- लंगर सेवा इस दिन का सबसे पवित्र कार्य माना जाता है।
- इसमें सभी लोग एक साथ बैठकर समानता के साथ भोजन करते हैं।
- इस दिन गुरुद्वारों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है।
- लोग गुरु नानक जी के उपदेशों का स्मरण करते हैं।
- उनका कहना था — “मनुष्य का असली धर्म मानवता की सेवा है।”
- गुरु नानक जी ने धर्म, जाति और वर्ग के भेदभाव को मिटाने का प्रयास किया।
- उन्होंने प्रेम, दया और करुणा को जीवन का आधार माना।
- उनके उपदेश आज भी समाज को सही दिशा दिखाते हैं।
- गुरु नानक जयंती का उत्सव शांति, सद्भावना और एकता का संदेश देता है।
- उनके अनुयायी गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ और कीर्तन में शामिल होते हैं।
- यह पर्व हमें निस्वार्थ सेवा और सच्चाई का महत्व समझाता है।
- गुरु नानक जी का जीवन मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है।
- उनकी शिक्षाएँ आज भी युगों-युगों तक अमर रहेंगी।
- गुरु नानक जयंती हमें सिखाती है कि सच्चा धर्म प्रेम और सेवा में निहित है।
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