कविता शिक्षण की विशेषताएं


 कविता शिक्षण क्या है

गद्य एवं पद्य को साहित्य का अभिन्न अंग माना जाता है। पद्य के माध्यम से कवि अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति सरलता से करता है। पद्य के अंतर्गत भावना, कल्पना तथा बुद्धि तीनों पक्षों का समावेश होता है। किंतु भारत व की प्रधानता होती है।
काव्य का आरंभ वीरगाथा काल से ही माना जाता है। इस कार में ऐतिहासिकता होते हुए भी कल्पना का बहुल्य है।भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग माना जाता है कि इस काल में हिंदी साहित्य की जितनी सुंदर रचना हुई है भक्ति काल में तत्कालीन राजनीतिक पृष्ठभूमि यों का भी विशेष महत्व है। हिंदी काव्य का इतिहास बहुत ही बृहत् है किंतु हमारा उद्देश्य काव्य के अर्थ को जानना एवं शिक्षण उद्देश्य को ज्ञात करना है।

कविता शिक्षण की परिभाषा


श्यामसुंदर दास के अनुसार –
“कलात्मक रीति से सजी हुई भाषा जिसमें भाव की अभिव्यंजना हो कविता कहलाती है।”

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार – “कविता वह साधन है जिसके द्वारा से सृष्टि के साथ रगात्मक संबंध की रक्षा होती है।”

जयशंकर प्रसाद के शब्दों में – पद्य आत्मा की संकल्पना रस की अनुभूति हैं।

कविता शिक्षण की विशेषताएं

१. अनुभूति की प्रधानता : जब कवि की अनुभूति इतनी तीव्र हो जाती है कि वह मौन रह कर उसे नहीं रोक सकता तब उसकी भावना उसे विवश कर देती हैं और वह भाषा के माध्यम से प्रफूर्ति जाती हैं। इसमें कल्पना एवं अनुभूति की प्रधानता होती है।

२. सत्यम शिवम् सुंदरम् की भावना : सत्यम शिवम और सुंदरम की भावना होना कविता का मुख्य उद्देश्य है किंतु कवि कि सत्यता में कल्पना का भी मिश्रण होता है और यह कल्पना मिश्रित काव्य को मुग्तकारी एवं सुंदर बनाता है।

३. भाषा : कविता की भाषा सरल सुंदर सरस एवं मधुर होनी चाहिए।

४. संगीत्माक : संगीत काव्य की ह्रदय गति होती है लय तल एवं स्तरों के अरोह अवरोह के कारण ही कविता के भाव भरकर आते है।

५. रसानुभूति : रस एवं काव्य एक दूसरे के पूरक हैं एक के बिना दूसरा पक्ष होता है इसी कारण रस को कविता की आत्मा कहा जाता है।

६. स्थिरता : यह कविता में अमूल्य तत्व है उत्कृष्ट काव्य कृति हमेशा स्थाई होती है।

कविता शिक्षण के उद्देश्य

कविता शिक्षण के उद्देश्य को तीन स्तरों पर बांटा गया है –
१. प्राथमिक स्तर पर कविता शिक्षण के उद्देश्य
२. उच्च प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर कविता शिक्षण के उद्देश्य
३. उच्चतर माध्यमिक स्तर पर कविता शिक्षण के उद्देश्य

१. प्राथमिक स्तर पर कविता शिक्षण के उद्देश्य :
प्राथमिक स्तर पर कविता शिक्षण के उद्देश्य इस प्रकार से हैं-
कविता के द्वारा आनंद का वातावरण उत्पन्न करना
कविता गाकर अभिनय भी करना
कविता के प्रति रुचि उत्पन्न करना
गति लय एवं स्वर का ज्ञान उत्पन्न करना
समूह गीत के द्वारा एकता का परिचय देना
कविता के आधार पर अन्य वस्तुओं की जानकारी देना।

२. उच्च प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर कविता शिक्षण के उद्देश्य
उच्च प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर कविता शिक्षण के उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं-
भाव को समझने की क्षमता उत्पन्न करना
कविता के स्वर में गति लय भाव एवं आरोह अवरोह के अनुसार कविता वचन का ज्ञान देना।
कविता को रंगमंच के रूप से भी प्रस्तुत करना।

३. उच्चतर माध्यमिक स्तर पर कविता शिक्षण के उद्देश्य
उच्चतर माध्यमिक स्तर पर कविता शिक्षण के उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं –
कवि की अनुभूति का ज्ञान कराना।
सौंदर्य अनुभूति का ज्ञान कराना।
कविता का आलोचनात्मक अध्ययन कराना
छात्रों की कल्पना शक्ति को विकसित कराना।
कविता की विभिन्न विधाओं का ज्ञान प्रदान कराना।
छात्रों को भी कविता लिखने की प्रेरणा देना।

कविता शिक्षण के सोपान

कविता शिक्षण के सोपान का अर्थ है शिक्षक द्वारा विषय वस्तु को बताने के लिए अपनाएं की प्रक्रिया की रूपरेखा।
शिक्षक कविता पाठ पढ़ाते समय किस-किस प्रक्रिया को किस क्रम में अपनाता है यही शिक्षण प्रक्रिया कहलाती है अत: कविता पाठ शिक्षण के निम्नलिखित सोपान है
१ प्रस्तावना/भूमिका/परिचय
२. उद्देश्य कथन तथा प्रस्तुतीकरण
३. अध्यापक द्वारा सस्वर वाचन/छात्रों द्वारा अनुकरण वाचन।
४. केंद्रीय भाव ग्रहण के प्रश्न।
५. स्पष्टीकरण एवं सौंदर्य अनुभूति।
६. अध्यापक द्वारा द्वितीय आदर्श वाचन या सस्वर वाचन।
७. अर्थ ग्रहण एवं सौंदर्य बोध परीक्षण।
८. रचनात्मक कार्य

कविता शिक्षण की विधियां

१. गीत विधि
२. अभिनय विधि
३. समीक्षा विधि या प्रश्नोत्तर विधि/मूल्यांकन विधि
४. अर्थबोध विधि
५. व्याख्या या व्याख्यात्मक विधि
६. व्यास प्रणाली (केवल उच्च कक्षाओं के लिए)
७. तुलनात्मक विधि (दो कवियों की कविताओं)
८. खण्डान्वय विधि

Leave a Comment