अनुवाद और भाषान्तरण में अंतर (Anuvad Aur Bhashantaran Me Antar)

अनुवाद और भाषान्तरण में अंतर (Anuvad Aur Bhashantaran Me Antar), अनुवाद और भाषान्तरण से आप क्या समझते हैं?
वास्तव में भाषान्तरण या द्विभाषीय का मुख्य कार्य अनुवाद है। वह एक व्यक्ति की बातें स्रोत भाषा में सुनकर उसका तत्क्षण अनुवाद दूसरे व्यक्ति या समूह की लक्ष्य भाषा में प्रस्तुत करता है। अनुवाद और भाषान्तरण में अंतर (Anuvad Aur Bhashantaran Me Antar), अनुवाद और भाषान्तरण से आप क्या समझते हैं?
वास्तव में भाषान्तरण या द्विभाषीय का मुख्य कार्य अनुवाद है। वह एक व्यक्ति की बातें स्रोत भाषा में सुनकर उसका तत्क्षण अनुवाद दूसरे व्यक्ति या समूह की लक्ष्य भाषा में प्रस्तुत करता है। अनुवाद और भाषान्तरण को इसी आधार पर एक दूसरे का पर्याय समझा जाता है। जबकि उद्देश्य और कार्य विधि की दृष्टि से दोनों में पर्याप्त भेद है सच तो यह है कि अनुवाद और भाषान्तरण में समानताओं की अपेक्षा भेद के लक्षण अधिक है।

१. अनुवाद एक लिखित प्रक्रिया है जबकि भाषान्तरण पूरी तरह मौखिक प्रक्रिया है।
२. अनुवाद लिखित रूप में लेखनी, कागज टंकण यंत्र कंप्यूटर आदि के माध्यम से उपस्थित होता है जबकि भाषान्तरण के लिए ध्वनि प्रस्तुति और ध्वनि वितरण(माइक) के वाचिक माध्यम ही प्रयुक्त होते है।
३. अनुवाद करने वाले के पास इतना समय होता है कि चाहे जितनी बार स्त्रोत पाठ को पढ़े अनुवाद का पुर्नरीक्षण करें और अंतिम संतुष्टि मिलने तक उसमें संशोधन करें।भाषान्तरण में इतना समय नहीं मिलता द्विभाषीय को तो इतनी शीघ्रता एवं सटीकता से स्रोत वार्ता को एक बार सुनकर ही उसे लक्ष्य भाषा में प्रस्तुत करना होता है।
४. अनुवादक चाहे तो स्त्रोत पाठ के अर्थ बोध एवं अनुवादन के लिए शब्दकोश की संदर्भ ग्रंथ आदि की सहायता ले सकता है उसे आवश्यकता अनुसार किसी अन्य व्यक्ति की सहायता लेने की सुविधा भी प्राप्त होती है। जबकि द्विभाषीय के लिए यह संभव नहीं है।

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५. अनुवाद करते समय अनुवादक को स्त्रोत पाठ में प्रयुक्त विभिन्न विराम चिह्नों से अर्थ और संदर्भ के संकेत मिलते हैं जबकि भाषान्तरण में ये सुविधा नहीं मिलती। द्विभाषीय स्रोत वार्ता के वक्त के उच्चारण में उपलब्ध बालाघत स्तर विराम आदि के आधार पर कुछ अनुमान लगाकर लक्ष्य भाषा में प्रस्तुत कर सकता है।
६. स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा तक अभिव्यक्ति के स्तर पर अनुवाद की प्रक्रिया क्रमशः पठित मानसिक और लिखित होती है जबकि भाषान्तरण की प्रक्रिया श्रुत, मानसिक और मौखिक होती है।
७. अनुवाद में स्रोत भाषा के शब्दों के लिए लक्ष्य भाषा के शब्द चयन पर सारी अनुवाद प्रक्रिया आधारित होती है। जबकि भाषान्तरण का उद्देश्य स्रोत वार्ता की बातों को लक्ष्य वार्ता में बोधगम्य बनाना होता है जबकि अनुवादक स्त्रोत के शब्द और अर्थ को लक्ष्य भाषा में प्रस्तुत करता है।

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भाषान्तरण का कार्य निश्चित रूप से अधिक सावधानी अधिक अभ्यास अधिक अनुभव की मांग करता है। जिस विषय पर उसे भाषान्तरण करना है उस विषय की जानकारी या कम से कम कार्य साधक जानकारी होना आवश्यक है। सिद्ध हस्त एवं मजे हुए भाषान्तरणकार का कार्य समतुल्यता के निकप्त पर खड़ा उतर कर अपनी श्रेष्ठता प्रमाणित करता है। शब्द और अर्थ के साहचार्य और उससे अभिव्यक्ति अनिवार्य को भाषान्तरण समतुल्यता के स्तर पर ही सकर करता है।

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