बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक या बाल विकास पर पड़ने वाले प्रभाव
बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है –
१.वंशानुक्रम
२.वातावरण
३.बुद्धि
४.पौष्टिक आहार
५.स्वास्थ्य
६. लिंग
७. खेलकूद एवं व्यायाम
८. भयंकर चोट व रोग
९. आर्थिक स्थिति
१०. प्रजातियां
१.वंशानुक्रम
अनुवांशिक वंशानुगत गुणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी से स्थानांतरण वंशानुक्रम कहलाता है इसके द्वारा बालकों में शारीरिक एवं मानसिक तथा सामाजिक और अन्य सारे गुण स्थानांतरण होते हैं यानी बालक को अपने माता-पिता से जो भी गुण प्राप्त होता है वो वंशानुक्रम के माध्यम से ही होता है।
बाल विकास में वंशानुक्रम का प्रमुख योगदान है-
हम देखते हैं कि वंशानुक्रम में विभिन्नता का नियम को प्रत्यागमन का नियम भी कहते हैं।
यदि माता-पिता लंबे होते हैं तो उनकी संतान भी लंबी होती है लेकिन प्रत्यागमन के नियम के अनुसार अंबे माता-पिता के संताने छोटी भी होती है।
प्रत्यागमन या प्रत्यावर्तन => प्रत्यागमन का अर्थ उल्टा होता है जैसे लंबे माता-पिता की संतान का छोटा हो जाना ही प्रत्यागमन या प्रत्यवर्तन कहा जाता है।
२.वातावरण
वातावरण भी बाल विकास को बहुत अधिक प्रभावित करता है जैसे कि हमको पता है की वातावरण का प्रभाव जंतुओं पर ज्यादा पड़ता है जैसे अच्छे वातावरण में रहने वाले बालक अच्छी बात सीखता है लेकिन खराब वातावरण में रहने वाले बालक खराब बात सीखता है इसी के साथ साथ शारीरिक विकास पर यानी बालक के रंग, रूप, लिंग आदि पर भी प्रभाव पड़ता है। जैसे कि हम देखते हैं जहां पर गर्मी पड़ती हैं वहां के लोग काले होते हैं तथा जहां पर ठंडी पड़ती है वहां के लोग गोरे होते हैं। वातावरण के कारण ही बालक की मानसिक शक्ति, स्मरण शक्ति, कल्पना शक्ति, तर्कशक्ति को प्रभावित करता है।
३. बुद्धि
बाल विकास को प्रभावित करने वाला एक कारक बुद्धि बुद्धि के द्वारा ही मापन किया जाता है बुद्धि के द्वारा ही बालक समायोजन, निर्णय, नैतिक बातों का निर्धारण होता है और यह निर्धारण किया जाता है कि कौन बालक कितना बुद्धिमान है। जिन बालकों की बुद्धि जितनी अच्छी होती हैं हम आकलन करते हैं कि वह बालक उतना ही अच्छा मानसिक रोग से होगा। बालक अपने परिवार समाज को अपने से समायोजित करता है और उसका प्रभाव उस पर पड़ता है और वह सीखता है।
४. पौष्टिक आहार
जिस बालक को बचपन से फल फूल दूध सब्जियां जैसे पौष्टिक आहार प्रदान किया जा रहा हो उस बालक का विकास भी उतनी ही तेजी से होता है परंतु जिस बालक को पौष्टिक आहार प्राप्त नहीं होते वह बहुत ही कमजोर और उनकी मानसिक एवं शारीरिक विकास की वृद्धि में बहुत समय लगता है या किसी किसी का होता ही नहीं है विरुक्षा जाता है।
५. स्वास्थ्य
बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारकों में स्वास्थ्य एक प्रमुख कारक है जो बालक स्वास्थ्य होता है उसका विकास तीव्र गति से होता है उसका मानसिक विकास शारीरिक विकास नैतिक विकास मौलिक विकास सभी प्रकार के विकास पर काफी प्रभाव पड़ता है जैसे कहा ही गया है कि “स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मस्तिष्क का निर्माण होता है।”
६. लिंग
बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक में लिंग भी हैं भारत तथा बालिकाओं का विकास अलग-अलग तरह से होता है जैसे कभी बालक का विकास तीव्र गति से होता है तो कभी बालिका का विकास तीव्र गति से होता है पर दोनों के विकास में काफी अंतर भी होता है।
७. खेल और व्यायाम
खेल और व्यायाम बालक एवं बालिका दोनों के विकास को काफी ज्यादा प्रभावित करता है जो बच्चे रोजाना खेलते और बयान करते हैं उन बालक एवं बालिकाओं का विकास अच्छी तरीका से होता है उन घरों के बालक एवं बालिका जो खेलकूद नहीं करते हैं उनके अंदर मानसिक एवं शारीरिक विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है और उनके अंदर कई तरह की बीमारियां पनपते हैं। इस प्रकार खेल और व्यायाम भी बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारकों में से एक हैं।
८. भयंकर चोट व रोग
भयंकर चोट व लोग से प्रभावित बालक शारीरिक एवं मानसिक विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है वे उसी बीमारी से पीड़ित रहते हैं वह उसे बाहर निकल नहीं पाते जिससे कारण उनका विकास थम सा जाता है।
९. आर्थिक स्थिति
बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक में से आर्थिक स्थिति भी प्रमुख है जिस घर की परिस्थितियां क्या आर्थिक स्थिति अच्छी होती है वहां खुशहाली जीवन होता है और वहां रहने वाले बालक एवं बालिकाओं का विकास भी पूर्ण रूप से होता है पर गरीब और आर्थिक रूप से पीड़ित घरों के बालक एवं बालिका है अच्छे भोजन एवं अच्छे पर्वारिश नहीं होने के कारण उनका शारीरिक विकास नहीं हो पाता है साथ ही उनके मानसिक विकास पर भी काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
१०. प्रजातियां
प्रजातियां बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक में से एक हैं इस संसार में कई प्रजाति के लोग पाए जाते हैं अलग-अलग जगह में रहने के कारण उनके बच्चों का विकास उसी वातावरण के अनुसार होने लगता है उनके शारीरिक मानसिक नैतिक रूप रंग आकार जैसे विकास पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
निष्कर्ष
निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक में इन सभी कारकों का बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका होता है अगर इन कारकों पर ध्यान दिया जाए तो बालक का पूर्ण विकास हो सकता है।
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