कोहलर का सिद्धांत, कोहलर का सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धांत (insight theory of learning)

कोहलर का सूझ का सिद्धांत या कोहलर का अंतर्दृष्टि सिद्धांत(kohler theory in hindi)

कोहलर (kohler) द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत(theory) को कई नामों से जाना जाता है जैसे अंतर्दृष्टि का सिद्धांत(insight theory), कोहलर का सूझ का सिद्धांत, समग्रावाद का सिद्धांत,गेस्टाल्ट का सिद्धांत(gestalt theory of learning), कोहलर का सिद्धांत(kohler theory of learning), पूर्णाकारवाद का सिद्धांत,कोहलर का सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धांत,गेस्टाल्टवाद का सिद्धांत(gestalt theory of learning) gestalt theory,साहचर्यवाद का सिद्धांत, सम्पूर्णवाद का सिद्धांत, ।

कोहलर का सिद्धांत, कोहलर का सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धांत (insight theory of learning)
insight theory of learning

                  मैक्स वर्थीमर(Max Wertheimer) इस सिद्धांत का असली प्रतिपादक है कोफका (Koffka) एवं कोहलर(Kohler) ने इस सिद्धांत को आगे बढ़ाने का काम किया। गेस्टाल्ट का अर्थ (meaning of gestalt) होता है ‘एक आकृति का अथवा वस्तु को पूर्ण रूप से अध्ययन करना, वस्तु को एक इकाई के रूप में देखना।’इस प्रकार से एक ही इकाई में देखने से अनेक बातें सूझ-बुझ द्वारा सीखी जाती है। insight learning theory

वुडवर्थ का कहना है कि अंतर्दृष्टि या सूझ बूझ(insight learning theory) से तात्पर्य अच्छा निरीक्षण स्थिति को पूर्ण इकाई के रूप में समझना अथवा स्थिति के उन भागों को समझना जो लक्ष्य प्राप्ति का मार्गदर्शन करते हैं। अनेक मनोवैज्ञानिकों ने संपूर्ण परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण तथा फिर बुद्धितापूर्ण उचित अनुक्रिया प्रकट करने को अंतर्दृष्टि(insight learning) कहा है। दूसरे शब्दों में यह एक मानसिक योग्यता है जो मनुष्य तथा उच्च श्रेणी के पशुओं में पाई जाती हैं। अंतर्दृष्टि का सिद्धांत कोहलर ने अपने पुस्तकगेस्टाल्ट साइकोलॉजी’ में 1959 में दिया था।

कोहलर का प्रयोग (experiments by Kohler)

कोहलर ने अपना प्रयोग भूखे चिम्पांजी पर किया। जिनका नाम सुल्तान था। इन्होंने चिम्पांजी पर दो तरह से प्रयोग किया। कोहलर ने  कुल 6 चिम्पांजी पर अपना प्रयोग किये थे।

कोहलर का पहला प्रयोग

कोहलर ने अपना प्रयोग एक बंद कमरे में किया जिसमें चिंपांजी को भूखा रखा ताकि उसमें उत्तेजना उत्पन्न हो। उसने उस कमरे की छत पर कुछ केले बांध दिए थे वहां तक पहुंचना चिंपांजी के लिए असंभव था। चिंपांजी भूखा था इसलिए केले को देखकर उसमें उत्तेजना उत्पन्न होने लगी और उसने केला प्राप्त करने का  भरपूर प्रयास किया पर उसमें वह असफल रहा। थक कर वह एक कोने में जाकर बैठ गया। उस कमरे में तीन बॉक्स रखे गए थे। कुछ देर के बाद चिंपांजी को कुछ सूझा और उसने उन बॉक्स में से एक बॉक्स को केले के नीचे रखकर उस पर चढ़कर उछला पर केले तक नहीं पहुंच पाया। कुछ देर बाद उसने दूसरा बुक्स भी पहले बॉक्स के ऊपर रखा और उस पर चढ़कर फिर से केले प्राप्त करने की कोशिश की पर इस बार भी वह असफल रहा फिर उसने तीसरा बुक्स उन बॉक्स के ऊपर रखा और चढ़ा इस बार उन्हें केले प्राप्त हो गया। इस पर कोहलर ने निष्कर्ष निकाला कि अगर किसी भी प्राणी पर कोई समस्या आ पड़ती है तो वह अपनी सूझबूझ से उस समस्या का हल निकाल सकता है जैसे कि चिंपांजी ने किया।

कोहलर का दूसरा प्रयोग

दूसरे प्रयोग में कोहलर ने चिंपांजी को एक पिंजरे में रखा और पिंजरे के बाहर कुछ केले रख दिए थे चिंपांजी को केले स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। चिंपांजी भूखा था तथा केले को देख कर बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगे। पर वह केला तक नहीं पहुंच सकता था। पिंजरे के अंदर दो छड़ियां थी जो जुड़ कर एक छड़ी बन जाती थी पर ये बात सुल्तान को नहीं पता था। उसने पहली बार केवल एक ही छड़ी की मदद से केले को पाने की कोशिश की पर छड़ी केले तक पहुंच ही नहीं पाती थी। उसने कई बार प्रयास किया पर वह सफल न हो पाया। कुछ देर के बाद उसने दोनों ही छड़ियों को जोड़ने का प्रयास करने लगा कुछ देर के बाद वह इसमें सफल हो गया और उसने केले भी प्राप्त कर लिये।इस प्रकार चिंपांजी ने अपने अन्तर्दृष्टि की सहायता से अपना समस्या हल कर लिया।

अंतर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक (factors influencing insight)

अंतर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित है-

१. बुद्धि(intelligence)

बुद्धि अंतर्दृष्टि को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है। अंतर्दृष्टि का संबंध प्राणी की बुद्धि से होता है चिंपांजी की अपेक्षा मनुष्य अधिक बुद्धिमान होता है। इसलिए उसमें अंतर्दृष्टि अधिक पाई जाती है या उच्च बौद्धिक स्तर वाले जीवो में अंतर्दृष्टि अधिक होती है।

२. अनुभव(experience)

अंतर्दृष्टि को प्रभावित करने वाला दूसरा महत्वपूर्ण कारक अनुभव है। अनुभवों से किसी समस्या को सुलझाने में मदद मिलता है। अनुभवी व्यक्ति समस्या को सुलझाने में हमेशा अंतर्दृष्टि का लाभ उठाते हैं। वह अनुभव का स्थानांतरण एक परिस्थिति से दूसरी परिस्थिति में करते हैं अनुभवों के आधार पर व्यक्ति अपनी किसी भी समस्या का समाधान बहुत जल्दी कर लेता है।

३. समस्या का प्रत्यक्षीकरण(perception):

प्रत्यक्षीकरण अंतर्दृष्टि का विकास करता है जब तक समस्या का पूर्ण रूप से प्रत्यक्षीकरण नहीं होता तब तक अंतर्दृष्टि संभव नहीं है अंतर्दृष्टि पर समस्या की रचना भी प्रभावित करती है।

५.प्रयास(trial):

कुछ मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि किसी भी क्रिया के मूल में प्रयास या प्रयत्न आवश्यक निहित रहता है। मनुष्य या कोई भी जीव समस्याओं का हल करने के लिए कुछ ना कुछ प्रयास या प्रयत्न अवश्य करता है।

अंतर्दृष्टि सिद्धांत का शैक्षिक महत्व या अंतर्दृष्टि सिद्धांत का शिक्षा में प्रयोग,कोहलर के सिद्धांत का शैक्षिक महत्व

१. माता पिता तथा शिक्षकों को बालक के व्यक्तित्व को पूर्ण रूप से देख कर ही उसके बारे में कोई विचार बनाने चाहिए। बालक के किसी एक कार्य से ही उसके व्यक्तित्व का अनुमान लगाना अनुचित होगा।
२. बालकों के बौद्धिक विकास हेतु उनकी अंतर्दृष्टि तथा सूझ बूझ बहुत सहायक होती है इसलिए इस विधि के द्वारा अधिक से अधिक कार्यों को करने के लिए बालकों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
३. छात्रों के पूर्वानुभवों के संगठन पर भी शिक्षक को ध्यान देना चाहिए क्योंकि अंतर्दृष्टि अधिगम में अनुभव अधिक सहायक सिद्ध होते हैं।
४. अध्यापक को अंतर्दृष्टि का प्रयोग समस्या समाधान अधिगम के लिए करना चाहिए।
५. विद्यार्थी में अंतर्दृष्टि का विकास करने हेतु शिक्षा का कार्य उनकी अंतर्दृष्टि के अनुकूल होना चाहिए क्योंकि विद्यार्थियों की क्षमता के प्रतिकूल कार्य होने पर उनमें अंतर्दृष्टि का विकास नहीं हो सकता।
६. विद्यार्थी को मानसिक रूप से तत्पर बनाने हेतु शिक्षक को अनुकूल वातावरण बनाना चाहिए और विद्यार्थियों को उनकी पूर्व धारणाओं से मुक्त करना चाहिए।
७. पाठ्यक्रम के निर्माण में सूझ बूझ अथवा अंतर्दृष्टि प्रक्रिया को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम के विभिन्न अंगों को एकीकृत किया जाता है। दूसरे शब्दों में एकीकृत पाठ्यक्रम इसी सिद्धांत के परिणाम स्वरूप किया जाता है।
८.यह सिद्धांत कठिन से कठिन कार्यों को करने तथा सीखने के लिए सूझ बूझ का सिद्धांत लाभदायक रहता है।

अंतर्दृष्टि सिद्धांत आलोचना

१. अंतर्दृष्टि सिद्धांत के नियमों के अनुसार प्रत्येक प्रकार का अधिगम नहीं किया जा सकता जैसे लिखना पढ़ना बोलना इत्यादि।
२. कुछ विद्वानों का विचार है कि अंतर्दृष्टि पशु तथा बच्चों पर लागू नहीं होती क्योंकि उनमें चिंतन का अभाव रहता है। पर दैनिक व्यवहार में यह देखने में आता है कि छोटे-छोटे बालक भी अंतर्दृष्टि का प्रयोग करते हैं।
३. अंतर्दृष्टि का सिद्धांत प्रयत्न एवं भूल किसी ना किसी स्तर पर आवश्यक होता है।
४. अंतर्दृष्टि का सिद्धांत सूझ-बूझ पर आधारित होता है और यह केवल उच्च स्तरों के प्राणियों पर ही होता है इसलिए अंतर्दृष्टि द्वारा सीखना सभी के लिए उपयुक्त नहीं है।
५. अंतर्दृष्टि का सिद्धांत मनोविज्ञान तथा शिक्षा दर्शन पर आधारित है यह मानवतावाद पर आधारित नहीं है।

अंतर्दृष्टि से सीखने की विशेषताएं या अंतर्दृष्टि सिद्धांत की विशेषताएं (characteristics of insight learning in hindi, characteristics of insight learning theory)

 १. यह किसी समस्या का समाधान करते समय अचानक ही पैदा होती है।
२. इस सिद्धांत द्वारा प्रत्यक्षीकरण या स्पष्टीकरण या प्रकटीकरण में सहायता होती है।
३. अंतर्दृष्टि अवबोध पर आधारित होती है।
४. अंतर्दृष्टि द्वारा सीखे गए अधिगम या कार्य की पुनरावृति की जा सकती है।
५. इस सिद्धांत द्वारा अधिगम स्थानांतरण एक परिस्थिति से दूसरी परिस्थिति में स्थानांतरण किया जा सकता है।
६. पूर्व अनुभव की अंतर्दृष्टि को प्रभावित करता है लेकिन यह प्रत्येक की स्थिति में नहीं होता।
७. आयु अंतर्दृष्टि को प्रभावित करती है प्रौढ़ की अपेक्षा अल्प आयु के बालकों में अंतर्दृष्टि कम कार्य करती हैं।
८. व्यक्ति का बौद्धिक स्तर उच्च होता है इस कारण उसमें अंतर्दृष्टि का विकास अत्यंत तीव्र गति से होता है।
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