motivation in hindi: अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, प्रकृति what is motivation, motivation क्या है, अभिप्रेरणा क्या है,abhiprerna kya hoti hai
motivation का सीधा संबंध उत्तेजना (Stimulus) से हैं। क्योंकि किसी भी कार्य को करने से पहले किसी भी व्यक्ति के अंदर या बाहर उस कार्य को करने का उत्तेजना उत्पन्न होता है तभी वह व्यक्ति मोटिवेशन या अभिप्रेरित या प्रेरणा पाकर उस कार्य को करने में सफल होता है सीधे तौर पर कह सकते हैं कि मनुष्य का हर एक प्रतिक्रिया या व्यवहार का कारण कोई न कोई उत्तेजना से संबंध आवश्य होता है चाहे वह आंतरिक अभिप्रेरणा हो या बाह्य अभिप्रेरणा।
इसे हम एक उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं। एक कवि कविता लिखने के लिए हाथ में कलम लिए बैठा है, मौसम भी अच्छा है, लिखने का विषय भी स्पष्ट है, सभी सामग्री तैयार हैं, पर वह लिख नहीं पा रहा है क्योंकि उसे उस विषय पर लिखने के लिए वह प्रेरित नहीं हो पा रहा है उसके अंदर किसी भी प्रकार का उत्तेजना उत्पन्न ही नहीं हो पा रही है ये उत्तेजना उसे किसी भी प्रकार से प्राप्त हो सकता है जैसे- कर्तव्य बोध से, अपनों के प्रति स्नेह के कारण या किसी प्रेमिका की आंखों में चढ़ जाने की आकांक्षा के कारण या अपने मन की शांति व सुख के लिये किसी भी प्रकार से उसके अंदर उत्तेजना या अभिप्रेरणा जागृत होने पर उसका हाथ खुद ब खुद चलने लगेगा। या फिर इसलिए भी वह नहीं लिख पा रहा है क्योंकि अकेले मनुष्य ऊब जाता है, जीवन बोझ लगने लगता है, संसार की झंझटों से तंग आ जाता है। वह चाहता है कि कोई उसे प्रेरणा दें, कोई कंधे पर हाथ रखे या पीठ ठोंके ताकि वह उत्तेजित होकर फिर से खड़ा हो सके। कार्य सरल हो या कठिन बिना प्रेरणा के नहीं हो सकता। जिस व्यक्ति के व्यवहार में जितना ज्यादा उत्तेजना या प्रेरणा उत्पन्न होगा वह उतनी ही तेजी से उस कार्य को करने लगेगा।
जीवन के समस्त व्यवहारों में आंतरिक या बाह्य प्रेरणा (motivation) का हाथ अवश्य रहता है। मां बालक के पालन पोषण में दिन रात लगी रहती है, उसे नहलाती-धुलाती है, बालक बीमार होने पर रात-रात भर जागती है। यह बच्चे के प्रति मां का व्यवहार प्रेरणा का ही परिणाम है। परीक्षा से पहले विद्यार्थी सारी-सारी रात पढ़ता है इसके पीछे का कारण प्रेरणा ही है। अध्यापक छात्र को कक्षा में बैठने के लिए तो मजबूर कर सकता है लेकिन उसे पढ़ने के लिए तब तक बाध्य नहीं कर सकता जब तक कि उसमें स्वयं ही पढ़ने के प्रति रुचि उत्पन्न ना हो जाए। जैसे आप घोड़े को तलाब तक खींच कर ले तो जा सकते हैं पर उसे पानी पीने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। अतः हम कह सकते हैं कि motivation या अभिप्रेरणा मानव के अंदर या बाहर उत्पन्न होने वाली उत्तेजना है जो उसे प्रेरित करती है, किसी भी कार्य को करने या ना करने के लिए।
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गुड के अनुसार: “प्रेरणा क्रिया को आरंभ करने, जारी रखने एवं नियमित रखने की प्रक्रिया है।”
थॉमसन के अनुसार: “प्रेरणा विद्यार्थी में रुचि उत्पन्न करने की एक कला है,ऐसी रुचि जो या तो छात्र में है ही नहीं रुचि का उसे आभास ही नहीं है।”
स्किनर के अनुसार: “प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है।”
गेट्स व अन्य के अनुसार: “प्रेरक प्राणी के अन्दर की वे शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक द्वारें हैं जो उसे विशिष्ट प्रकार की क्रिया करने के लिये प्रेरित करती हैं।”
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1. सकारात्मक प्रेरणा (positive motivation) या आंतरिक अभिप्रेरणा (intrinsic motivation) :
2. नकारात्मक प्रेरणा (negative motivation) या बाह्या अभिप्रेरणा (exintrinsic motivation) :
१. थॉमसन द्वारा किया गया वर्गीकरण:
क) प्राकृतिक अभिप्रेरक (Natural motives) :
ख) कृत्रिम अभिप्रेरक (Artificial motives) :
२. मैस्लो द्वारा किया गया वर्गीकरण:
क) जन्मजात अभिप्रेरक(Inborn motives) :
ख) अर्जित (Acquired) :
३. क्रेच एवं क्रचफील्ड द्वारा दिया गया वर्गीकरण:
क) न्यूनतम:
ख) अधिकतम अभिप्रेरक:
Nature of motivation, अभिप्रेरणा की प्रकृति
- अभिप्रेरणा से परिणाम एवं प्रक्रिया दोनों ही उत्पन्न होता हैं।
- अभिप्रेरणा का जन्म किसी न किसी आवश्यकता से होता है।
- अभिप्रेरणा किसी व्यक्ति को तब तक क्रियाशील रखती है जब तक कि उसके उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो जाती है।
- अभिप्रेरणा का उत्पन्न करने वाले कारकों को मनोवैज्ञानिक भाषा में अभिप्रेरक कहते हैं।
- अभिप्रेरकों को दो भागों में विभाजित किया जाता है पहला आंतरिक अभिप्रेरणा दूसरा बाह्या अभिप्रेरणा।
- किसी भी मनुष्य के अंदर चाहे वह आंतरिक अभिप्रेरणा या बाह्य अभिप्रेरणा हो इन से उत्पन्न अभिप्रेरणा हमेशा आंतरिक ही होती है।
- अभिप्रेरणा मानव के अंदर उत्पन्न होने वाली उत्तेजना होती है जो उसके व्यवहार में परिवर्तन कर देती हैं जिस व्यक्ति में जितना ज्यादा उत्तेजना उत्पन्न होगा वह व्यक्ति उस कार्य को उतनी ही तेजी से कर पाएगा।
- कोई भी व्यक्ति आंतरिक या बाह्या उत्तेजना से प्रभावित होकर ही अपने कामों को अंजाम देता है अगर उसके अंदर किसी भी प्रकार की उत्तेजना उत्पन्न नहीं होगी तो वह उस कार्य को कर नहीं पाएगा या उसे करने में उसका मन नहीं करेगा।
- अभिप्रेरणा किसी भी व्यक्ति के अंदर एक ऐसी शक्ति या ऊर्जा उत्पन्न कर देती है कि वह अपने अंदर कि शक्तियों को महसूस कर अपने कामों में या अपने लक्ष्यों में दिलचस्पी दिखाता है।
अभिप्रेरणा की विशेषताएं बताइए
- व्यक्ति के जीवन में अभिप्रेरणा का अत्याधिक महत्व है।
- जीवन में किए जाने वाले कोई भी रूचि पूर्ण कार्य अभिप्रेरणा से प्रेरित होकर किया जाता है।
- प्राणी के व्यवहार को अभिप्रेरणा के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- सफलता प्राप्त करने वाले छात्रों के व्यवहार पूर्ण से अभिप्रेरित होते हैं।
- आज अभिप्रेरणा शिक्षा मनोविज्ञान तथा वाणिज्य के क्षेत्र में अत्याधिक महत्वपूर्ण विषय हैं ।
- थार्नडाइक का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत(thorndike theory of learning in hindi )
- पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत (pavlov theory of classical conditioning in hindi)
- स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत skinner operant conditioning theory in hindi
- मैस्लो का अभिप्रेरणा सिद्धांत
- अभिप्रेरणा की विधियाँ या कक्षा में बच्चों को अभिप्रेरित करने की विधियां techniques of motivation