संधि किसे कहते है उसके प्रकार उदाहरण सहित
संधि किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाएं।(sandhi kise kahte hai)
नोट: स्वर वर्ण के एक ऐसा परिवार है जो एक समान लगता है या एक परिवार के लगते है वे है –
अ और आ (पहला परिवार) |
इ और ई (दूसरा परिवार) |
उ और ऊ (तीसरा परिवार) |
ए और ऐ (चौथा परिवार) |
ओ और औ (पांचवा परिवार) |
- मैं इस परिवार के बारे में इसलिए बता रहा हूं कि जब हम संधि के भेद पढ़ेगें तो इन परिवार का बहुत बड़ा योगदान होगा ।
संधि-विच्छेद किसे कहते हैं उदाहरण देकर समझाइए (sandhi vichchhed kise kahte hai)
संधि के कितने भेद होते हैं? (Sandhi ke prakar)
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
1. स्वर संधि (svar sandhi):
१.दीर्घ संधि (dirgh sandhi):
पहला परिवार से |
अ + अ = आ धर्म + अर्थ = धर्मार्थ |
अ + आ = आ हिम + आलय = हिमालय |
आ + अ = आ परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी |
आ + आ = आ महा+ आत्मा = महात्मा |
दूसरे परिवार से:- |
इ + इ = ई कवि + इंद्र = कवीन्द्र |
इ + ई = ई हरि + ईश = हरीश |
ई + इ = ई योगी + इंद्र = योगींद्र |
ई + ई = ई रजनी + ईश = रजनीश |
तीसरे परिवार से:- |
उ + उ = ऊ भानु + उदय = भानूदय |
उ + ऊ = ऊ लघु + ऊर्जा = लघूर्जा |
ऊ + उ = ऊ वधू + उपकार = वधूपकार |
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दीर्घ स्वर के और उदाहरण – |
शब्द + अर्थ = शब्दार्थ |
चरण + अमृत = चरणामृत |
भोजन + आलय = भोजनालय |
विद्या + अर्थीं = विद्यार्थी |
रवि + इंद्र = रविंद्र |
हरि + ईश = हरीश |
शची + इंद्र = शचींद्र |
सती + ईश = सतीश |
सु + उक्ति = सूक्ति |
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि |
सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि |
२. गुण संधि (gun sandhi):-
अ + इ = ए नर + इंद्र = नरेंद्र |
अ + इ = ए नर + ईश = नरेश |
आ + इ = ए रमा + इंद्र = रमेंद्र |
आ+ ई = ए महा + ईश = महेश |
अ + उ = ओ वीर + उचित = वीरोचित |
अ + ऊ = ओ सूर्य + ऊर्जा = सूर्योर्जा |
आ + उ = ओ महा + उत्सव = महोत्सव |
आ + ऊ = ओ दया + ऊर्मि = दयोर्मि |
अ + ऋ = अर् देव + ऋषि = देवर्षि |
सूर +इंद्र = सुरेंद्र |
गण + ईश = गणेश |
महा + इंद्र = महेंद्र |
महा + ईश = महेश |
सूर्या + उदय = सूर्योदय |
पर + उपकार = परोपकार |
जल + उर्मि = जलोर्मि |
महा + उदधि = महोदधि |
राज + ऋषि = राजर्षि |
वर्षा + ऋतु = वर्षाऋतु |
३.वृध्दि संधि(vriddhi sandhi):-
अ + ए = ऐ एक + एक = एकैक |
अ + ऐ = ऐ धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य |
आ + ए = ऐ सदा + एव = सदैव |
आ + ऐ = ऐ महा + ऐश्वर्य = महेश्वर्य |
अ + औ = औ परम + ओजस्वी = परमौजस्वी |
आ + औ = औ महा + औषधि = महौषधि |
आ + ओ = औ । महा + ओज = महौज |
४. यण् संधि (yan sandhi):-
इ + अ = य् यदि + अपि = यद्यपि |
इ + आ = या अति + आचार = अत्याचार |
इ + उ = यु उपर + उक्त = उपर्युक्त |
इ + ऊ = यू नि + ऊन = न्यून |
इ + ए = ये प्रति + एक = प्रत्येक |
इ + ऐ = यै अति + ऐश्वर्य = अत्यैश्वर्य |
ई+ अ = या नदी + अर्पण = नद्यार्पण |
ई + आ = या सखी + आगमन = सख्यागमन |
ई + उ = यु सखी + उचित = सख्युचित |
ई + ऊ = यू नदी + ऊर्मि = नद्यूर्मि |
ई + ए = ये सखी + एव = सख्येव |
ई + ऐ = यै देवी + ऐश्वर्य = देव्यैश्वर्य |
उ + अ = व् मनु + अंतर = मन्वंतर |
उ + आ = वा सु + आगत = स्वागत |
ऊ + आ = वा वधू + आगमन = वध्वागमन |
ऊ + इ = वि अनू + इत = अंवित |
ऊ + ए = वे अनू + एषण = अन्वेषण |
ऋ + अ = र् पितृ + अनुमति = पित्रनुमति |
ऋ + आ = रा पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा |
ऋ + इ = रि पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा |
ऋ + उ = रू पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश |
ऋ + ए = रे पितृ + एषण = पित्रेषण |
ऋ + ऐ = रै पितृ + ऐश्वर्य = पित्रेश्वर्य |
ऋ + ओ = रो पितृ + ओक = पित्रोक |
५. अयादि संधि (ayadi sandhi):
ए + अ = अय् शे + अन = शयन |
ऐ + अ = आय् गै + अक = गायक |
ऐ + इ = आयि नै + इक = नायिका |
ओ + अ = अव पो + अन = पवन |
औ + अ = आव पौ + अक = पावक |
ओ + इ = अवि पो + इत्र = पवित्र |
2. व्यंजन संधि (vyanjan sandhi):-
व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन आने से जो बदलाव होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं; जैसे-
दिक् + अंत = दिगंत (क् + अ = ग ) |
अच् + आदि = अजादि (च् + आ = ज) |
निस् + मल = निर्मल ( स् + म = र् ) |
व्यंजन संधि के नियम (vyanjan sandhi ke niyam):-
दिक् + अम्बर = दिगम्बर |
सत् + व्यवहार = सद्व्यवहार |
दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन |
सच्चित् + आनन्द = सच्चिदानंद |
सम + कल्प = संकल्प |
सम + चय = संचय |
सम + ध्या = संध्या |
सम् + भव = संभव |
अनु + छेद = अनुच्छेद |
परि + छेद =परिच्छेद |
स्व + छंद = स्वच्छंद |
संधि + छेद =संधिच्छेद |
परि + नाम = परिणाम |
हर + न = हरण |
भर + न = भरण |
ऋ + न = ऋण |
प्र + नाम = प्रणाम |
प्र + मान = प्रमाण |
दुस् + काल = दुष्काल |
दुस् + चरित्र = दुश्चरित्र |
निस् + पक्ष = निष्पक्ष |
निस् + फल = निष्फल |
निस् + गुण = निर्गुण |
दुस् + जन = दुर्जन |
दुस् + नाम = दुर्नाम |
दुस् + भाग्य = दुर्भाग्य |
निस् + मल = निर्मल |
उत् + लेख = उल्लेख |
उत् + लास =उल्लास |
तत् + लीन = तल्लीन |
3. विसर्ग संधि (visarg sandhi):
+ च नि: + चय =निश्चय |
: + छ नि: + छल = निष्छल |
: + त् नि: + तार = निस्तार |
: + ट् धनु: + टंकार = धनुष्टंकार |
नमः + कार = नमस्कार |
पुर: + कार = पुरस्कार |
भा: + कार = भास्कर |
अध: + गति = अधोगति |
मन: + बल = मनोबल |
मन: + योग = मनोयोग |
तप: + बल = तपोबल |
तम: + गुण = तमोगुण |
वर्ण का तीसरा चौथा और पांचवा वर्ण हो य, र, ल, व, ह हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘र्‘ हो जाता है-
नि: + अर्थक = निरर्थक |
दु: + आत्मा = दुरात्मा |
दु: + गुण = दुर्गुण |
नि: + गम = निर्गम |
नि: + भर = निर्भर |