Motivation In Hindi: अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, प्रकृति What is Motivation, Motivation क्या है, अभिप्रेरणा क्या है, Abhiprerna Kya Hoti Hai, अभिप्रेरणा का महत्व, अभिप्रेरणा के उद्देश्य
Motivation का सीधा संबंध उत्तेजना (Stimulus) से हैं। क्योंकि किसी भी कार्य को करने से पहले किसी भी व्यक्ति के अंदर या बाहर उस कार्य को करने का उत्तेजना उत्पन्न होता है तभी वह व्यक्ति मोटिवेशन या अभिप्रेरित या प्रेरणा पाकर उस कार्य को करने में सफल होता है सीधे तौर पर कह सकते हैं कि मनुष्य का हर एक प्रतिक्रिया या व्यवहार का कारण कोई न कोई उत्तेजना से संबंध आवश्य होता है चाहे वह आंतरिक अभिप्रेरणा हो या बाह्य अभिप्रेरणा।
इसे हम एक उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं। एक कवि कविता लिखने के लिए हाथ में कलम लिए बैठा है, मौसम भी अच्छा है, लिखने का विषय भी स्पष्ट है, सभी सामग्री तैयार हैं, पर वह लिख नहीं पा रहा है क्योंकि उसे उस विषय पर लिखने के लिए वह प्रेरित नहीं हो पा रहा है उसके अंदर किसी भी प्रकार का उत्तेजना उत्पन्न ही नहीं हो पा रही है ये उत्तेजना उसे किसी भी प्रकार से प्राप्त हो सकता है जैसे- कर्तव्य बोध से, अपनों के प्रति स्नेह के कारण या किसी प्रेमिका की आंखों में चढ़ जाने की आकांक्षा के कारण या अपने मन की शांति व सुख के लिये किसी भी प्रकार से उसके अंदर उत्तेजना या अभिप्रेरणा जागृत होने पर उसका हाथ खुद ब खुद चलने लगेगा। या फिर इसलिए भी वह नहीं लिख पा रहा है क्योंकि अकेले मनुष्य ऊब जाता है, जीवन बोझ लगने लगता है, संसार की झंझटों से तंग आ जाता है। वह चाहता है कि कोई उसे प्रेरणा दें, कोई कंधे पर हाथ रखे या पीठ ठोंके ताकि वह उत्तेजित होकर फिर से खड़ा हो सके। कार्य सरल हो या कठिन बिना प्रेरणा के नहीं हो सकता। जिस व्यक्ति के व्यवहार में जितना ज्यादा उत्तेजना या प्रेरणा उत्पन्न होगा वह उतनी ही तेजी से उस कार्य को करने लगेगा।
जीवन के समस्त व्यवहारों में आंतरिक या बाह्य प्रेरणा (Motivation) का हाथ अवश्य रहता है। मां बालक के पालन पोषण में दिन रात लगी रहती है, उसे नहलाती-धुलाती है, बालक बीमार होने पर रात-रात भर जागती है। यह बच्चे के प्रति मां का व्यवहार प्रेरणा का ही परिणाम है। परीक्षा से पहले विद्यार्थी सारी-सारी रात पढ़ता है इसके पीछे का कारण प्रेरणा ही है। अध्यापक छात्र को कक्षा में बैठने के लिए तो मजबूर कर सकता है लेकिन उसे पढ़ने के लिए तब तक बाध्य नहीं कर सकता जब तक कि उसमें स्वयं ही पढ़ने के प्रति रुचि उत्पन्न ना हो जाए। जैसे आप घोड़े को तलाब तक खींच कर ले तो जा सकते हैं पर उसे पानी पीने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। अतः हम कह सकते हैं कि Motivation या अभिप्रेरणा मानव के अंदर या बाहर उत्पन्न होने वाली उत्तेजना है जो उसे प्रेरित करती है, किसी भी कार्य को करने या ना करने के लिए।
Motivation Meaning in Hindi, Motivation Ka Arth, Abhiprerna Ka Arth Bataiye (अभिप्रेरणा का अर्थ) :
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गुड के अनुसार: “प्रेरणा क्रिया को आरंभ करने, जारी रखने एवं नियमित रखने की प्रक्रिया है।”
थॉमसन के अनुसार: “प्रेरणा विद्यार्थी में रुचि उत्पन्न करने की एक कला है,ऐसी रुचि जो या तो छात्र में है ही नहीं रुचि का उसे आभास ही नहीं है।”
स्किनर के अनुसार: “प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है।”
गेट्स व अन्य के अनुसार: “प्रेरक प्राणी के अन्दर की वे शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक द्वारें हैं जो उसे विशिष्ट प्रकार की क्रिया करने के लिये प्रेरित करती हैं।”
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1. सकारात्मक प्रेरणा (positive motivation) या आंतरिक अभिप्रेरणा (intrinsic motivation) :
2. नकारात्मक प्रेरणा (negative motivation) या बाह्या अभिप्रेरणा (exintrinsic motivation) :
१. थॉमसन द्वारा किया गया वर्गीकरण:
क) प्राकृतिक अभिप्रेरक (Natural motives) :
ख) कृत्रिम अभिप्रेरक (Artificial motives) :
२. मैस्लो द्वारा किया गया वर्गीकरण:
क) जन्मजात अभिप्रेरक(Inborn motives) :
ख) अर्जित (Acquired) :
३. क्रेच एवं क्रचफील्ड द्वारा दिया गया वर्गीकरण:
क) न्यूनतम:
ख) अधिकतम अभिप्रेरक:
Nature Of Motivation, अभिप्रेरणा की प्रकृति
1. अभिप्रेरणा एक प्रक्रिया और परिणाम दोनों है
अभिप्रेरणा न केवल एक मानसिक प्रक्रिया है, बल्कि यह व्यवहार में दिखाई देने वाला एक परिणाम भी है। जब किसी व्यक्ति को किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रेरणा मिलती है, तो वह एक सक्रिय प्रक्रिया से गुजरता है – सोचने, योजना बनाने और कार्य करने की। और इसका प्रत्यक्ष परिणाम उस व्यक्ति के व्यवहार में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
2. अभिप्रेरणा की उत्पत्ति आवश्यकता से होती है
अभिप्रेरणा का मूल आधार मानव की आवश्यकताएं होती हैं। जब किसी व्यक्ति को किसी विशेष चीज़ की आवश्यकता महसूस होती है – जैसे भोजन, सम्मान, उपलब्धि या आत्म-संतोष – तब उसके भीतर उस आवश्यकता को पूरा करने की इच्छा जाग्रत होती है, जो उसे कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। यही इच्छा आगे चलकर अभिप्रेरणा का रूप लेती है।
3. अभिप्रेरणा लक्ष्य प्राप्ति तक व्यक्ति को क्रियाशील बनाए रखती है
जब तक व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हो जाती, तब तक अभिप्रेरणा उसे निरंतर प्रेरित करती रहती है। यह उसे थकने, रुकने या हार मानने नहीं देती। वह तब तक प्रयास करता है, जब तक उसे वांछित परिणाम प्राप्त न हो जाए। यही सतत प्रेरणा उसकी सफलता का आधार बनती है।
4. अभिप्रेरक (Motivators) अभिप्रेरणा उत्पन्न करने वाले कारक हैं
मनोविज्ञान में, वे तत्व जो किसी व्यक्ति के भीतर अभिप्रेरणा उत्पन्न करते हैं, उन्हें अभिप्रेरक (Motivators) कहा जाता है। ये प्रेरक तत्व व्यक्ति की मानसिक, सामाजिक, आर्थिक या शारीरिक आवश्यकताओं से जुड़े हो सकते हैं।
5. अभिप्रेरकों के दो प्रकार – आंतरिक और बाह्य
अभिप्रेरकों को दो भागों में बाँटा गया है:
- आंतरिक अभिप्रेरणा (Intrinsic Motivation): यह वह प्रेरणा है जो व्यक्ति के भीतर से उत्पन्न होती है। जैसे – आत्म-संतोष, रुचि, जुनून, व्यक्तिगत विकास आदि।
- बाह्य अभिप्रेरणा (Extrinsic Motivation): यह प्रेरणा बाहरी कारकों से उत्पन्न होती है। जैसे – वेतन, पुरस्कार, प्रशंसा, प्रोमोशन, दंड आदि।
6. अंततः सभी प्रेरणाएँ व्यक्ति के भीतर कार्य करती हैं
चाहे प्रेरणा का स्रोत बाह्य हो या आंतरिक, उसका प्रभाव व्यक्ति के आंतरिक मनोबल पर ही पड़ता है। बाहरी कारक केवल ट्रिगर होते हैं, परंतु वास्तविक प्रेरणा व्यक्ति के मन में उत्पन्न होती है। इसलिए, अंतिम क्रिया व्यक्ति की आंतरिक इच्छा शक्ति से ही संचालित होती है।
7. अभिप्रेरणा एक मानसिक उत्तेजना होती है
अभिप्रेरणा एक प्रकार की मानसिक उत्तेजना है, जो व्यक्ति के सोचने, समझने और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करती है। जितनी अधिक यह उत्तेजना होगी, उतनी अधिक व्यक्ति सक्रिय रहेगा। यह उत्तेजना ही व्यक्ति को कार्य के प्रति तत्पर और केंद्रित बनाती है।
8. उत्तेजना के बिना कार्य में रुचि नहीं बनती
यदि किसी व्यक्ति के भीतर किसी कार्य को करने की कोई प्रेरणा या उत्तेजना नहीं है, तो वह या तो उस कार्य को करेगा ही नहीं या उसमें दिलचस्पी नहीं ले पाएगा। कार्य में सफलता और समर्पण के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति के भीतर एक स्पष्ट उद्देश्य हो और उसे प्राप्त करने की प्रबल इच्छा भी।
9. अभिप्रेरणा से आत्म-विश्वास और ऊर्जा का संचार होता है
जब व्यक्ति के भीतर प्रेरणा उत्पन्न होती है, तो वह न केवल अपने कार्यों में अधिक रुचि दिखाता है, बल्कि उसे यह भी अहसास होता है कि वह किसी कार्य को कर सकता है। यह अहसास उसे आत्म-विश्वास, ऊर्जा और सकारात्मक सोच प्रदान करता है, जो उसके लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक बनता है।
- अभिप्रेरणा से परिणाम एवं प्रक्रिया दोनों ही उत्पन्न होता हैं।
- अभिप्रेरणा का जन्म किसी न किसी आवश्यकता से होता है।
- अभिप्रेरणा किसी व्यक्ति को तब तक क्रियाशील रखती है जब तक कि उसके उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो जाती है।
- अभिप्रेरणा का उत्पन्न करने वाले कारकों को मनोवैज्ञानिक भाषा में अभिप्रेरक कहते हैं।
- अभिप्रेरकों को दो भागों में विभाजित किया जाता है पहला आंतरिक अभिप्रेरणा दूसरा बाह्या अभिप्रेरणा।
- किसी भी मनुष्य के अंदर चाहे वह आंतरिक अभिप्रेरणा या बाह्य अभिप्रेरणा हो इन से उत्पन्न अभिप्रेरणा हमेशा आंतरिक ही होती है।
- अभिप्रेरणा मानव के अंदर उत्पन्न होने वाली उत्तेजना होती है जो उसके व्यवहार में परिवर्तन कर देती हैं जिस व्यक्ति में जितना ज्यादा उत्तेजना उत्पन्न होगा वह व्यक्ति उस कार्य को उतनी ही तेजी से कर पाएगा।
- कोई भी व्यक्ति आंतरिक या बाह्या उत्तेजना से प्रभावित होकर ही अपने कामों को अंजाम देता है अगर उसके अंदर किसी भी प्रकार की उत्तेजना उत्पन्न नहीं होगी तो वह उस कार्य को कर नहीं पाएगा या उसे करने में उसका मन नहीं करेगा।
- अभिप्रेरणा किसी भी व्यक्ति के अंदर एक ऐसी शक्ति या ऊर्जा उत्पन्न कर देती है कि वह अपने अंदर कि शक्तियों को महसूस कर अपने कामों में या अपने लक्ष्यों में दिलचस्पी दिखाता है।
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अभिप्रेरणा की विशेषताएं बताइए
अभिप्रेरणा (Motivation) एक ऐसी आंतरिक शक्ति है जो किसी व्यक्ति को किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है। यह न केवल व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करती है, बल्कि उसके लक्ष्य निर्धारण, योजना, एवं कार्य-प्रदर्शन में भी अहम भूमिका निभाती है। अभिप्रेरणा की प्रमुख विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है:
1. व्यक्ति के जीवन में अभिप्रेरणा का अत्यधिक महत्व होता है
अभिप्रेरणा मानव जीवन का मूल तत्व है। यह जीवन को दिशा देती है और उद्देश्य निर्धारित करने में सहायता करती है। एक प्रेरित व्यक्ति जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना साहस और धैर्य के साथ करता है। इसके बिना जीवन निष्क्रिय और लक्ष्यहीन हो सकता है।
2. हर रुचिपूर्ण कार्य के पीछे अभिप्रेरणा सक्रिय होती है
जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को उत्साह और रुचि के साथ करता है, तो उसके पीछे निश्चित रूप से कोई प्रेरक तत्व कार्यरत होता है। यह प्रेरणा आंतरिक भी हो सकती है, जैसे – आत्मसंतुष्टि या सीखने की इच्छा; और बाहरी भी, जैसे – पुरस्कार, मान-सम्मान या प्रशंसा। यह अभिप्रेरणा ही व्यक्ति को किसी कार्य में पूरी निष्ठा और लगन के साथ संलग्न रखती है।
3. अभिप्रेरणा जीव के व्यवहार को नियंत्रित करती है
मनुष्य या कोई भी प्राणी जब किसी आवश्यकता की पूर्ति हेतु क्रियाशील होता है, तो उसके सभी व्यवहार अभिप्रेरणा के अधीन होते हैं। वह क्या सोचता है, क्या करता है, कैसे प्रतिक्रिया देता है – यह सब कुछ उस समय सक्रिय प्रेरणा पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, भूख एक आंतरिक आवश्यकता है, जो भोजन प्राप्त करने हेतु व्यक्ति को प्रेरित करती है।
4. सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का व्यवहार प्रेरित होता है
वह छात्र जो कड़ी मेहनत करता है, समय का सदुपयोग करता है और पढ़ाई में रुचि रखता है, वह किसी न किसी प्रेरणा से संचालित होता है – जैसे अच्छी नौकरी पाना, माता-पिता को गौरवान्वित करना, समाज में प्रतिष्ठा अर्जित करना आदि। इस प्रकार, प्रेरणा सफलता का मूल मंत्र है और प्रेरित छात्र ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।
5. अभिप्रेरणा बहुव्यापी महत्व की धारणा है
आज के युग में अभिप्रेरणा केवल शिक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसका महत्व शिक्षा मनोविज्ञान, वाणिज्य, प्रबंधन, उद्योग, खेल और नेतृत्व के क्षेत्र में भी अत्यधिक बढ़ गया है। शिक्षक छात्रों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, प्रबंधक कर्मचारियों को बेहतर कार्य के लिए प्रोत्साहित करते हैं, विज्ञापन उपभोक्ताओं को उत्पाद खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं – इन सभी क्रियाओं के केंद्र में अभिप्रेरणा की भूमिका होती है।
6. अभिप्रेरणा उद्देश्यपूर्ण होती है
अभिप्रेरणा हमेशा किसी उद्देश्य या लक्ष्य की प्राप्ति हेतु उत्पन्न होती है। यह बिना उद्देश्य के उत्पन्न नहीं होती। व्यक्ति किसी वस्तु, उपलब्धि या मान्यता को पाने के लिए प्रेरित होता है। यही उद्देश्य उसकी प्रेरणा को जीवन्त बनाए रखता है।
7. अभिप्रेरणा सतत चलने वाली प्रक्रिया है
यह कोई एकबार की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह जीवन भर चलने वाली सतत मानसिक प्रक्रिया है। जैसे ही एक लक्ष्य प्राप्त होता है, व्यक्ति नए लक्ष्य की ओर प्रेरित हो जाता है। इस प्रकार, अभिप्रेरणा व्यक्ति के जीवन को निरंतर गति और दिशा देती है।
8. यह व्यवहार में परिवर्तन लाती है
प्रेरणा व्यक्ति की सोच और कार्यशैली को प्रभावित करती है। जब व्यक्ति प्रेरित होता है, तो वह सामान्य से अधिक परिश्रम करता है, नई चीजें सीखता है और समस्याओं का समाधान खोजने में अधिक सक्रिय रहता है। इसलिए, अभिप्रेरणा को व्यवहार-परिवर्तन की कुंजी माना जाता है।
निष्कर्ष:
अभिप्रेरणा किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व, सफलता और जीवन की दिशा निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह वह मानसिक शक्ति है जो व्यक्ति के भीतर ऊर्जा, उत्साह, और निरंतरता का संचार करती है। जीवन के हर क्षेत्र में इसकी उपयोगिता और प्रभावशीलता को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
संक्षेप में:
- व्यक्ति के जीवन में अभिप्रेरणा का अत्याधिक महत्व है।
- जीवन में किए जाने वाले कोई भी रूचि पूर्ण कार्य अभिप्रेरणा से प्रेरित होकर किया जाता है।
- प्राणी के व्यवहार को अभिप्रेरणा के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- सफलता प्राप्त करने वाले छात्रों के व्यवहार पूर्ण से अभिप्रेरित होते हैं।
- आज अभिप्रेरणा शिक्षा मनोविज्ञान तथा वाणिज्य के क्षेत्र में अत्याधिक महत्वपूर्ण विषय हैं ।
अभिप्रेरणा का महत्व, शिक्षा में अभिप्रेरणा का महत्व
(Importance of Motivation in Education)
अभिप्रेरणा (Motivation) शिक्षा प्रक्रिया की आत्मा है। यह वह मानसिक शक्ति है जो किसी विद्यार्थी को सीखने, समझने और अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करती है। शिक्षा केवल सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि एक सक्रिय मानसिक प्रक्रिया है जिसमें विद्यार्थी की रुचि, ऊर्जा और एकाग्रता का बड़ा योगदान होता है – और यह सब प्रेरणा से ही उत्पन्न होता है।
बालकों के सीखने की प्रक्रिया मुख्यतः प्रेरणा पर ही आधारित होती है। यदि बालक में विषय के प्रति रुचि जागृत नहीं होगी, तो वह सीखने के कार्य में संलग्न नहीं हो सकेगा। इसलिए, एक कुशल शिक्षक के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि वह बालकों को शिक्षण कार्य के प्रति प्रेरित करे।
नीचे शिक्षा के क्षेत्र में अभिप्रेरणा के महत्व को प्रमुख बिंदुओं के रूप में विस्तार से समझाया गया है:
1. सीखना (Learning) प्रेरणा पर आधारित है
सीखना एक मानसिक प्रक्रिया है जो तभी आरंभ होती है जब बालक में सीखने की इच्छा हो। यह इच्छा प्रेरणा से उत्पन्न होती है। मनोवैज्ञानिक थॉर्नडाइक के “परिणाम के नियम” के अनुसार, यदि किसी कार्य को करने से व्यक्ति को सुख या सफलता की अनुभूति होती है, तो वह कार्य बार-बार किया जाता है। इसी प्रकार, यदि किसी शिक्षण क्रिया के पश्चात बालक को प्रशंसा या पुरस्कार प्राप्त होता है, तो वह आगे भी सीखने के लिए प्रेरित होता है।
2. लक्ष्य की प्राप्ति में प्रेरणा की भूमिका
हर शैक्षिक संस्था का कोई न कोई शैक्षिक, सामाजिक या नैतिक लक्ष्य होता है। विद्यार्थी इन लक्ष्यों को तभी प्राप्त कर सकते हैं जब वे उनके लिए भीतर से प्रेरित हों। शिक्षक जब विद्यार्थियों को उनके भविष्य, करियर, या समाज में योगदान के महत्व के बारे में प्रेरित करते हैं, तो वे अपने अध्ययन में अधिक रुचि लेते हैं और लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में मेहनत करते हैं।
3. चरित्र निर्माण में प्रेरणा का योगदान
शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य चरित्र निर्माण है। नैतिक मूल्यों, आत्मानुशासन, सहिष्णुता, और सद्गुणों को बालकों में विकसित करने के लिए प्रेरणा का उपयोग आवश्यक है। जब शिक्षक या माता-पिता स्वयं अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, तब बालक उनसे प्रेरित होकर अच्छे संस्कार अपनाते हैं। प्रेरणा से ही आत्मनियंत्रण, नैतिक निर्णय और जिम्मेदारी की भावना का विकास होता है।
4. अवधान (Attention) बनाये रखने में सहायक
अवधान अर्थात ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, शिक्षण प्रक्रिया की सफलता का महत्वपूर्ण आधार है। प्रेरणा के अभाव में छात्र की रुचि पाठ में नहीं बनी रहती, और उसका ध्यान भटकता है। एक प्रेरित छात्र, अध्यापक की बातों को गहराई से सुनता है, प्रश्न करता है, और उत्तर देने के लिए तत्पर रहता है। प्रेरणा से अवधान की गुणवत्ता और अवधि दोनों में वृद्धि होती है।
5. अध्यापन विधियों की प्रभावशीलता
प्रत्येक छात्र की सीखने की शैली अलग होती है, इसलिए एक कुशल शिक्षक को विविध अध्यापन विधियों का प्रयोग करना होता है। प्रेरणा यह सुनिश्चित करती है कि कौन सी विधि छात्रों को अधिक रुचिकर और उपयोगी लग रही है। उदाहरण के लिए – कहानी विधि, प्रयोगशाला विधि, संवाद विधि आदि छात्रों को सीखने के लिए प्रेरित करती हैं। यदि विधि प्रेरणादायक हो, तो शिक्षण अधिक प्रभावशाली होता है।
6. पाठ्यक्रम निर्माण में प्रेरणा का महत्व
पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जो छात्रों की रुचियों, क्षमताओं और आवश्यकताओं के अनुरूप हो। यदि पाठ्यक्रम में ऐसे विषय और गतिविधियाँ सम्मिलित हों जो छात्रों में स्वाभाविक रूप से प्रेरणा उत्पन्न करें, तो शिक्षण का वातावरण स्वतः ही सक्रिय और उत्साही बन जाता है। उदाहरणस्वरूप, जीवनोपयोगी विषय, परियोजना कार्य, स्थानीय संस्कृति पर आधारित सामग्री आदि पाठ्यक्रम को प्रेरक बनाते हैं।
7. अनुशासन बनाए रखने में प्रेरणा की भूमिका
विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने के लिए केवल दंड प्रणाली पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। यदि छात्रों को आत्म-अनुशासन के लिए प्रेरित किया जाए – जैसे कि जिम्मेदारी की भावना, नेतृत्व की भावना, सम्मान की अपेक्षा – तो वे स्वेच्छा से नियमों का पालन करते हैं। प्रेरणा आधारित अनुशासन लंबे समय तक टिकाऊ और प्रभावशाली होता है।
निष्कर्ष:
शिक्षा में अभिप्रेरणा एक अनिवार्य तत्व है, जो शिक्षण को नीरसता से उत्साह की ओर, और अनिच्छा से लगन की ओर ले जाती है। यह बालकों की सीखने की गति को तेज करती है, उन्हें लक्ष्य निर्धारण में मदद करती है, और उनमें चरित्र, अनुशासन तथा सामाजिक मूल्यों का विकास करती है। एक सफल शिक्षक वही होता है जो न केवल पढ़ाता है, बल्कि प्रेरणा देकर सीखने को जीवन का हिस्सा बना देता है।
अभिप्रेरणा के उद्देश्य
अभिप्रेरणा के उद्देश्य (Objectives of Motivation) शिक्षा, कार्य, व्यवहार और व्यक्तिगत विकास से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अभिप्रेरणा का उद्देश्य केवल किसी व्यक्ति को कार्य के लिए प्रेरित करना नहीं होता, बल्कि उसका संपूर्ण मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक विकास करना होता है।
नीचे अभिप्रेरणा के प्रमुख उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक, सरल और प्रभावशाली भाषा में प्रस्तुत किया गया है:
1. व्यक्ति को कार्य के लिए प्रेरित करना
अभिप्रेरणा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को किसी कार्य को आरंभ करने और उसे पूर्ण करने के लिए प्रेरित करना है। जब व्यक्ति के भीतर किसी कार्य के प्रति ऊर्जा, उत्साह और रुचि उत्पन्न होती है, तभी वह उस कार्य को सही दिशा में आगे बढ़ा पाता है।
2. उद्देश्य एवं लक्ष्य की प्राप्ति में सहायता करना
अभिप्रेरणा व्यक्ति को अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर अग्रसर करती है। चाहे वह शिक्षा, करियर, खेल या कोई अन्य क्षेत्र हो – अभिप्रेरणा लक्ष्य तक पहुँचने की दिशा और निरंतरता प्रदान करती है।
3. व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना
प्रेरणा के माध्यम से व्यक्ति के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन संभव होता है। वह अपने कार्यों के प्रति अधिक जिम्मेदार, आत्मनिर्भर और अनुशासित बनता है। इससे उसका व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन बेहतर होता है।
4. सीखने की प्रक्रिया को सक्रिय बनाना
शिक्षा के क्षेत्र में अभिप्रेरणा का उद्देश्य छात्रों को सीखने के प्रति उत्साहित करना होता है। जब छात्रों में पढ़ाई के प्रति आत्मिक प्रेरणा होती है, तो वे अधिक तेजी से और स्थायी रूप से ज्ञान अर्जित करते हैं।
5. सृजनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करना
प्रेरणा व्यक्ति के भीतर छिपी रचनात्मकता (Creativity) और नवाचार (Innovation) की भावना को उजागर करती है। यह उसे नये विचारों पर सोचने और उन्हें लागू करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
6. समस्याओं का समाधान खोजने की शक्ति विकसित करना
प्रेरित व्यक्ति समस्याओं से घबराता नहीं, बल्कि समाधान खोजने की दिशा में काम करता है। अभिप्रेरणा उसे मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और कठिन परिस्थितियों में भी सक्रिय बनाए रखती है।
7. आत्मविश्वास और आत्मसंतुष्टि बढ़ाना
जब व्यक्ति किसी प्रेरणा के तहत कार्य करता है और उसमें सफलता प्राप्त करता है, तो उसमें आत्मविश्वास बढ़ता है और वह अपनी क्षमताओं को लेकर आश्वस्त होता है। साथ ही, उसे आत्मसंतोष की अनुभूति होती है।
8. संगठन या संस्था की प्रगति में योगदान
कार्यक्षेत्र में अभिप्रेरणा का उद्देश्य कर्मचारियों को प्रेरित कर उनकी कार्यक्षमता बढ़ाना होता है, जिससे संस्था की उत्पादकता, गुणवत्ता और लक्ष्य-प्राप्ति सुनिश्चित होती है।
9. समूह कार्य में सहयोग की भावना उत्पन्न करना
प्रेरणा केवल व्यक्तिगत नहीं होती, यह समूह कार्य को भी प्रोत्साहित करती है। यह लोगों को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने और सहयोग की भावना विकसित करने में सहायता करती है।
10. निरंतर विकास और सुधार की भावना जागृत करना
अभिप्रेरणा व्यक्ति को अपने वर्तमान से संतुष्ट नहीं रहने देती, बल्कि उसे आगे और बेहतर करने के लिए निरंतर प्रेरित करती है। यह जीवनभर चलने वाली प्रगति की भावना को पोषित करती है।
निष्कर्ष (Conclusion):
अभिप्रेरणा के उद्देश्य व्यक्ति की आंतरिक क्षमताओं को जाग्रत करना, उसकी ऊर्जा को सही दिशा देना, और उसे लक्ष्य तक पहुँचाने में सहायक बनाना है। शिक्षा, कार्यक्षेत्र, समाज या व्यक्तिगत जीवन – हर क्षेत्र में प्रेरणा सफलता की कुंजी है।
अभिप्रेरणा के तत्व
अभिप्रेरणा के तत्व (Elements of Motivation) वे मुख्य घटक होते हैं जो किसी व्यक्ति के भीतर प्रेरणा उत्पन्न करने, उसे बनाए रखने और कार्य की दिशा में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये तत्व मिलकर व्यक्ति की मानसिकता, रुचियों, भावनाओं और लक्ष्यों को प्रभावित करते हैं।
नीचे अभिप्रेरणा के प्रमुख तत्वों को विस्तारपूर्वक, सरल और प्रभावशाली भाषा में समझाया गया है:
1. आवश्यकता (Need)
प्रत्येक प्रेरणा का आरंभ किसी न किसी आवश्यकता से होता है। जब व्यक्ति के भीतर किसी चीज की कमी महसूस होती है – जैसे भोजन, ज्ञान, सम्मान या सुरक्षा – तब उसके अंदर उसे पाने की इच्छा उत्पन्न होती है। यही आवश्यकता अभिप्रेरणा का मूल कारण बनती है।
उदाहरण: अगर विद्यार्थी को सफलता प्राप्त करनी है, तो उसमें पढ़ाई की आवश्यकता उत्पन्न होती है, और वही उसे पढ़ाई के लिए प्रेरित करती है।
2. प्रेरक (Incentive / Motive)
यह वह कारक होता है जो आवश्यकता को क्रिया में बदलता है। प्रेरक एक उद्देश्य या लक्ष्य हो सकता है जो व्यक्ति को किसी विशेष दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
प्रेरक दो प्रकार के होते हैं:
- आंतरिक प्रेरक (Intrinsic): जैसे आत्मसंतोष, रुचि, जिज्ञासा।
- बाह्य प्रेरक (Extrinsic): जैसे पुरस्कार, प्रशंसा, धन, पद।
3. उद्देश्य (Goal / Aim)
जब व्यक्ति को अपनी आवश्यकता का एहसास होता है, तो वह अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित करता है। यही उद्देश्य व्यक्ति को उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत बनाए रखता है। बिना लक्ष्य के प्रेरणा की दिशा तय नहीं हो सकती।
उदाहरण: अच्छे अंक प्राप्त करना, नौकरी पाना, प्रतियोगिता जीतना आदि।
4. मनोस्थिति (Mental State)
प्रेरणा व्यक्ति की मानसिक अवस्था पर भी निर्भर करती है। यदि व्यक्ति मानसिक रूप से सकारात्मक, आत्मविश्वासी और आशावादी है, तो उसमें प्रेरणा तेजी से उत्पन्न होती है। वहीं नकारात्मक भावनाएँ प्रेरणा को अवरुद्ध कर सकती हैं।
5. प्रयास (Effort / Drive)
जब व्यक्ति की आवश्यकता, उद्देश्य और मानसिक स्थिति सक्रिय हो जाती है, तो वह कार्य की दिशा में प्रयास करता है। यही प्रयास प्रेरणा का व्यवहारिक रूप होता है, जो किसी कार्य को पूर्णता तक ले जाता है।
6. संतुष्टि (Satisfaction)
जब व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर लेता है, तो उसके भीतर संतुष्टि की भावना उत्पन्न होती है। यह संतुष्टि न केवल पिछले प्रयासों को सार्थक बनाती है, बल्कि भविष्य में और बेहतर करने की प्रेरणा भी देती है।
7. प्रतिक्रिया (Feedback)
प्रतिक्रिया यह बताती है कि व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में कितना सफल रहा। यह तत्व सुधार, विकास और पुनः प्रेरणा के लिए आवश्यक होता है। सकारात्मक प्रतिक्रिया प्रेरणा को बढ़ाती है, जबकि नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्ति को नई रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
निष्कर्ष (Conclusion):
अभिप्रेरणा के तत्व व्यक्ति की जरूरत, लक्ष्य, मानसिकता, प्रयास और प्रतिक्रिया के चारों ओर घूमते हैं। इन तत्वों के समुचित तालमेल से ही व्यक्ति किसी कार्य को प्रेरित होकर पूरा कर पाता है। शिक्षा, कार्यक्षेत्र, या जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रेरणा के ये तत्व अत्यंत आवश्यक होते हैं।
👇
- थार्नडाइक का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत(thorndike theory of learning in hindi )
- पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत (pavlov theory of classical conditioning in hindi)
- स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत skinner operant conditioning theory in hindi
- मैस्लो का अभिप्रेरणा सिद्धांत
- अभिप्रेरणा की विधियाँ या कक्षा में बच्चों को अभिप्रेरित करने की विधियां techniques of motivation